एनीमिया (Anemia) खून (Blood) से संबंधित बीमारी (Disease) है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की कमी होने लगती है। यही कारण है कि शरीर में ऑक्सीजन (Oxygen) की मात्रा घट जाती है। शरीर में खून की कमी या आरबीसी (Red Blood Cells) के खत्म होने को एनीमिया बीमारी से जोड़ा जाता है। एनीमिया होने के एक नहीं बल्कि कई कारण (Reasons for Anemia) हैं। इसके लक्षण (Syptoms of Anemia) भी सामान्य हैं, जैसे थकान और कमजोरी। बाकी के लक्षणों में बार-बार सिरदर्द की शिकायत होना, दिल की धड़कनों का अनियमित होना, ध्यान लगाने में कमजोर होना और भूख में कमी होना। इसमें पूरा शरीर पीला भी होने लगता है। सीधी सी बात है खून हमारे शरीर में स्फूर्ति और ताजगी भरता है, जिसकी गुणवत्ता खत्म होने से कई बीमारियां हमें घेर लेती हैं। एनीमिया से निजात पाने के लिए होम्योपैथिक इलाज (Homeopathic Treatment For Anemia) बेहतर माना जाता है। इलाज की इस कैटगरी में कई दवाईयां हैं जो इस बीमारी को जड़ से खत्म करने की गारंटी देती है।
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एनीमिया में होम्योपैथी दवाएं कितनी कारगार
कई शोधों और अधय्यन में पाया गया है कि एनीमिया में मौजूद कारणों के इलाज में होम्योपैथिक इलाज को असरकारी पाया गया है। ब्रिटिश होम्योपैथिक एसोसिएशन के मुताबिक, पल्सेटिला प्रेटेंसिस एनीमिया और इससे संबंधित लक्षणों जिसमें ऐठन का दर्द और देर से माहवारी और न आने के इलाज में बेहतर है।
यह एनीमिया पर काबू पाने के लिए लंबे समय ले लेने वाले आयरन टॉनिक के नेगेटिव असर को भी कम करने में उपयोगी है।
एनीमिया के इलाज में एलोपैथी दवाओं को लंबे समय तक लेने के बुरे असर हो सकते हैं। वहीं, होम्योपैथिक दवाईयां पूरी तरह से प्राकृतिक है इसलिए इनका प्रभाव पॉजिटिव रहता है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर की देख-रेख में ही इन खुराकों को लेना होगा।
खास बात यह है कि एलोपैथी इलाज के दौरान होम्योपैथी ट्रीटमेंट भी बिना किसी डर के लिया जा सकता है।
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होम्योपैथी इलाज के दौरान भोजन और लाइफस्टाइल में बदलाव
एनीमिया के खात्मे के लिए होम्योपैथी इलाज बहुत सूझबूझ से किया जाता है। वैसे होम्योपैथिक दवाओं को बहुत पतले रूप में तैयार किया जाता है। इसलिए हो सकता है कि आपके खान-पान और लाइफस्टाइल का असर इन दवाओं पर भी पड़ सकता है। एनीमिया में होम्योपैथी इलाज के लिए डॉक्टर नीचे दी गईं कुछ बातों को ध्यान रखने की सलाह भी दे सकते हैं।
- एनीमिया के होम्योपैथी इलाज के दौरान हेल्दी फूड और बैलेंस्ड डायट लेने की सलाह दी जा सकती है।
- इसमें साफ वातावरण में रहने की सलाह दी जाती है और साफ-सफाई का खास ध्यान रखने को भी कहा जाता है।
- शरीर के सभी अंग एक्टिव रहे, इसलिए एक्सरसाइज करने की भी सलाह दी जाती है। इसे शरीर में खून का संचार तेजी से बिना रुकावट होगा।
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इन चीजों से बचना होगा
- एनीमिया के होम्योपैथी इलाज के दौरान डॉक्टर कुछ चीजों और आदतों से दूर रहने और परहेज करने की भी सलाह दे सकते हैं। जैसे…
- चाय और कॉफी से दूरी बनाएं, क्योंकि इनमें कैफीन की मात्रा अधिक होती है।
- ध्यान रहे कि ऐसा कोई पेय पदार्थ न पिएं, जिसकी खुशबू बहुत तेज हो।
- इसमें जड़ी बूटियों से बनी चीजों को खाने का परहेज करना पड़ सकता है।
- मेंटल हेल्थ के लिए गुस्से पर कंट्रोल करना होगा और साथ ही तनाव नहीं लेना होगा।
- इसमें ज्यादा खाना (Overeating) न खाने की सलाह भी दी जा सकती है। क्योंकि ओवरइटिंग दवाओं के असर को कम कर सकती है।
- एनीमिया में होम्योपैथिक इलाज के दौरान ज्यादा मात्रा में नमक और चीनी न लेने की सलाह दी जाती है।
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एनीमिया में होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम
- होम्योपैथी दवाएं प्राकृतिक चीजों से तैयार की जाती हैं। इसमें जड़ी बूटी, जानवरों के उत्पादों और खनिज पदार्थ शामिल किए जाते हैं। बता दें कि इन दवाईयों में टॉक्सिन न बने, इसलिए इन्हें बहुत ही पताला बनाया जाता है। यही कारण है कि इन दवाईयों के बहुत कम साइड इफेक्ट देखे जाते हैं।
- ध्यान देने वाली बात यह है कि होम्योपैथी दवाईयां बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्गों के लिए भी पूरी तरह से असरदार और सुरक्षित बताई जाती हैं।
- किसी भी बीमारी में होम्योपैथिक इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी माना जाता है। क्योंकि, डॉक्टर्स को इन सभी दवाईयों की अच्छी और पूरी जानकारी होती है। होम्योपैथिक इलाज करने से पहले रोगी की शारीरिक, मानसिक और मेडिकल हिस्ट्री को ध्यान में रखा जाता है।
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इन स्थितियों में घेरता है एनीमिया
वैसे तो एनीमिया के सामान्य लक्षणों में कमजोरी और थकान को अहम माना जाता है। लेकिन निम्न स्थितियों में भी एनीमिया बीमारी घेर सकती है।
- मलेरिया और डेंगू
- सिकल सेल एनीमिया (जेनेटिक एनीमिया)
- पाचन के रास्ते में अल्सर और लंबे से हो रही सूजन
- अप्लास्टिक एनीमिया (अनुवांशिक विकार)
- बोन मैरो से संबंधित विकार जैसे ल्यूकेमिया
- आंतों का कैंसर
- थैलासीमिया
- पीरियड्स में अधिक खून बहना
- आयरन की कमी भी इसका कारण
- शिशु का स्तनपान
- प्रेग्नेंसी
- फोलिक एसिड या विटामिन B12 की कमी
एनीमिया में होम्योपैथी इलाज में दी जाने वाली दवाईयां
इन सभी कारणों से शरीर में होने वाली खून की कमियों को दूर करने के लिए होम्योपैथी में कई दवाईयां तैयार की गई हैं, जिसमें कैल्केरिया फास्फोरिका (Calcarea Phosphorica), कैलोट्रोपिस जिजैंटिया (Calotropis Gigantea), फेरम मेटालिकम (Ferrumm Metallicum), नेट्रम म्यूरिएटिकम (Natrium Muriaticum), फॉस्फोरस (Phosphorus), पिक्रिकम एसिडम (Picricum Acidum), साइक्लैमेन यूरोपियम (Cyclamen Europaeum) और आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album) शामिल हैं।
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एनीमिया में दी जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं
कैल्केरिया फास्फोरिका (Calcarea Phosphorica)
इसका सामान्य नाम फास्फेट ऑफ लाइम ( Phosphte of Lime) है। इसे उन बच्चों को दिया जाता है, जिनकी मोटापे की वजह से स्किन लटकने लगती है। साथ उन बच्चों को भी यह दवा दी जाती है, जो चिड़चिड़ स्वभाव के होते हैं और जिनके हाथ-पैर ठंडे पड़े रहते हैं। इसे मासिक धर्म और सिरदर्द में लेने की सलाह दी जाती है।
आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
इसका सामान्य नाम आर्सेनियम एसिड है। यह दवा उन रोगियों को लेने की सलाह दी जाती है, जिन्हें अत्यधिक खून निकलने से होने वाले एनीमिया, आयरन की कमी, अनियमित मासिक धर्म और मलेरिया से ग्रस्त होते हैं। इसके अलावा दम घुटना, सीने में जलन, बेचैनी, जल्दी थकना, चिड़चिड़ापन और कमजोरी महसूस करने वालों को भी यह दवाई दी जाती है।
फॉस्फोरस (Phosphorus)
टेरटरी सिफलिस से ग्रस्त वो लोग जिन्हें अचानक तेज दर्द की शिकायत होती है और कमजोरी महसूस करने वालो लोगों पर यह दवा असरदार मानी जाती है। चेहरे की रंगत में सुधार के लिए यह दवा कारगार है। आयरन की कमी और मामूली कट लगने पर घाव से लगातार खून बहने पर यह भी दवा दी जाती है।
नेट्रम म्यूरिएटिकम (Natrium Muriaticum)
नेट्रम म्यूरिएटिकम (Natrium Muriaticum) का सामान्य नाम क्लोराइड ऑफ सोडियम है। इस दवाई से टांग का सुन्न होना, जीभ में सूखापन, नियमित कमर दर्द एनीमिया, आयरन की कमी, तेज सिरदर्द, दिल की धड़कन तेज और अनियमित होना और मासिक धर्म में अनियमित रूप से खून बहने पर यह दवा कारगार साबित होती है।
साइक्लैमेन यूरोपियम (Cyclamen Europaeum)
इस दवा को डॉक्टर तब लेने की सलाह देते हैं, जब आयरन की कमी से एनीमिया की शिकायत होती है। इसके अलावा इसे इन समस्याओं में भी लिया जा सकता है, जैसे कि एंडी में लगातार दर्द होना और अत्यधिक जलन, हाथ और पैरों में असहनीय दर्द, अनियमित मासिक धर्म और डिलीवरी के बाद खून की कमी होना।
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पल्सेटिला प्रेटेंसिस (Pulsatilla Pratrensis)
इसे विंड फ्लॉवर (Wind Flower) के नाम से भी जाना जाता है। ठंड लगने, चिड़चिड़ापन और श्लेष्मा झिल्लियों जैसी समस्याओं में यह बेहद कारगार है। साथ ही एनीमिया में होने वाले अल्सर के ट्रीटमेंट भी इसे लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इसे पेट और कमर में दर्द, अल्सर की वजह से पेट में दर्द, शाम के समय ठंड लगना, आयरन की कमी, निचले होठ का बीच का हिस्सा फटना, थकान और नसों में दर्द होने की समस्या में भी लिया जा सकता है।
फेरम मेटालिकम (Ferrumm Metallicum)
इसका सामान्य नाम आरयन (Iron) है। यह दवा उन लोगों के लिए ज्यादा कारगार है जिन्हें आयरन की कमी वाला एनीमिया है और जिनकी स्किन पीली पड़ती जा रही है। साथ ही कमजोरी महसूस करने वाले रोगियों को भी इस दवा को लेने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा हाथ-पैरों में ठंड लगना, भूख न लगना, दिल की धड़कने बढ़ना, कूल्हों के जोड़ में अत्यधिक दर्द और लंबे समय तक मासिक धर्म जैसी समस्यायों में यह दवा बेहद उपयोगी है।
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