डायबिटीज की बीमारी दो प्रकार की होती हैं। टाइप 1 डायबिटीज की समस्या में पैंक्रियाज कम या फिर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। इंसुलिन हॉर्मोन ब्लड में ग्लूकोज लेवल को या शुगर लेवल को नियंत्रित करने का काम करता है। वहीं टाइप 2 डायबिटीज में पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूज नहीं कर पाता है। डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) असरदार होते हैं या नहीं, इस बारे में जानकारी जरूरी है। शरीर में प्रत्येक कोशिका ग्लूकोज को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करती है। इंसुलिन हॉर्मोन के ठीक से काम न कर पाने के कारण ब्लड में शुगर का लेवल धीमे-धीमे बढ़ता जाता है। डायबिटीज के ट्रीटमेंट के लिए कई दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है। कुछ पेशेंट्स को इंसुलिन का इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जाती है। जानिए मधुमेह की बीमारी में डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin), दोनों में किसका इस्तेमाल करना फायदेमंद रहता है या फिर दोनों को किन कंडिशन में लेने की सलाह दी जाती है।
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डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin)
जब ब्लड में ग्लूकोज का लेवल अधिक बढ़ जाता है, तो इस कंडिशन को हायपरग्लायसेमिया (Hyperglycemia) के नाम से जाना जाता है। जब ब्लड में शुगर का लेवल कम होने लगता है, तो इस कंडिशन को हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) के नाम से जाना जाता है। दोनों ही तरह की कंडिशन को सीरियस माना जाता है। दोनों ही कंडिशन के लिए मेडिसिंस यानी पिल्स का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ये सभी व्यक्तियों में असरदार साबित हो, ये जरूरी नहीं होता है।
अगर पैंक्रियाज कुछ मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस कर रहा है, तो मेडिसिंस का असर दिखता है। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के पेशेंट्स में मेडिसिंस का असर नहीं दिखता है क्योंकि पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। डॉक्टर ऐसे पेशेंट्स को कुछ मेडिसिंस के साथ ही इंसुलिन लेने की सलाह भी दे सकते हैं। ये डॉक्टर ही तय करते हैं कि पेशेंट में डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) का इस्तेमाल करना है या फिर नहीं। जानिए डायबिटीज में किन मेडिसिंस का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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- बिगुआनाइड्स (Biguanides)
- सल्फोनिलयूरिया (Sulfonylureas)
- मेग्लिटिनाइड्स (Meglitinides)
- थियाजोलिडाइनायड्स (Thiazolidinediones)
- डाइपेप्टिडाइल-पेप्टिडेज 4 इनहिबिटर्स (Dipeptidyl-peptidase 4 inhibitors)
- अल्फा-ग्लूकोसिडेस अवरोधक (Alpha-glucosidase inhibitors)
- सोडियम-ग्लूकोज कोट्रांसपोर्टर -2 (एसजीएलटी 2) इनहिबिटर्स (Sodium-glucose cotransporter-2 (SGLT2) inhibitors)
डायबिटीज की बीमारी में किन दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जाएगी, इस बारे में डॉक्टर ही आपको बेहतर जानकारी दे सकते हैं। बिना डॉक्टर की जानकारी के किसी भी दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) में आपके लिए क्या बेहतर है, इस बारे में डॉक्टर ही जानकारी दे सकते हैं।
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डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin): मधुमेह में इंसुलिन का इस्तेमाल कब किया जाता है?
इंसुलिन की जरूरत सभी लोगों को होती है। अगर किसी व्यक्ति को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) है, तो आपको कुछ दिन नहीं बल्कि रोजाना इंसुलिन लेने की जरूरत पड़ती है। अगर टाइप 2 डायबिटीज में व्यक्ति के पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पा रहा है, तो ऐसे में भी इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। अगर ये कहा जाए कि ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन लेना जरूरी होता है, तो ये गलत नहीं होगा। इंसुलिन को एक नहीं बल्कि कई तरीकों से लिया जा सकता है।
- आप इंसुलिन को सिरेंज यानी इंजेक्शन के माध्यम से भी ले सकते हैं। सिरेंज में इंसुलिन भर कर इंजेक्ट किया जाता है। ये स्किन में इंजेक्ट किया जाता है।
- इंसुलिन लेने के लिए पेन (Pen) का इस्तेमाल भी किया जाता है। ये सिरेंज की अपेक्षा कम दर्द देते हैं।
- इंसुलिन जेट इंजेक्टर (Insulin jet injector) का इस्तेमाल भी इंसुलिन इंजेक्ट करने के लिए किया जाता है। ये बी पेन (Pen) की तरह ही होते हैं। इसमें निडिल का इस्तेमाल करने के बजाय स्किन में हाय प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है।
- इंसुलिन इंफ्यूजर (Insulin infuser) छोटी ट्यूब के आकार का होता है, जिसे स्किन के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। ये कुछ दिनों तक स्किन में ही रहता है। अगर किसी व्यक्ति को निडिल से समस्या हो रही है, तो वो इंसुलिन इंफ्यूजर (Insulin infuser) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- शरीर में इंसुलिन को इंजेक्ट करने के लिए इंसुलिन पंप का भी इस्तेमाल किया जाता है। इंसुलिन पंप (Insulin pump) आकार में छोटा होता है और साथ ही हल्का भी होता है। आप आसानी से इसे एक स्थान से दूसरे स्थान में ले जा सकते हैं। आप दिनभर में कभी भी इंसुलिन की खुराक इसके माध्यम से ले सकते हैं।
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लोग डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) को लेकर अक्सर कंफ्यूजन में रहते हैं लेकिन आपको एक बात का ध्यान हमेशा रखना चाहिए कि ये दोनों विकल्प नहीं है। एक ही समय में दोनों का इस्तेमाल किए जाने की सलाह डॉक्टर आपको दे सकते हैं। इसलिए आप डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) में किसी एक को नहीं चुन सकते हैं। डॉक्टर डायबिटीज के प्रकार के अनुसार आपके मेडिसिंस की डोज या फिर इंसुलिन की मात्रा को कम या फिर ज्यादा कर सकते हैं। डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin), दोनों के ही अपने दुष्प्रभाव होते हैं। लोगों को मेडिसिंस लेना आसान लगता है वहीं इंसुलिन लेने में दर्द का एहसास होता है। अगर आप टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के पेशेंट हैं और केवल मेडिसिंस ले रहे हैं और अचानक से आपकी हालत बिगड़ जाती है, तो ऐसे में डॉक्टर इंसुलिन लेने की भी सलाह दे सकते हैं। आपको इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
दवाओं का सही समय पर सेवन करने के साथ ही आपको अपने खानपान में बदलाव के साथ ही लाइफस्टाइल में सुधार की भी जरूरत होती है। आप डॉक्टर से डायट चार्ट के बारे में जानकारी ले सकते हैं। रोजाना एक्सरसाइज आपके वजन को नियंत्रित रखने के साथ ही डायबिटीज के लक्षणों में सुधार करने में मदद करेगी।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) के बारे में जानकारी शेयर की है। उम्मीद है आपको डायबिटीज पिल्स या इंसुलिन (Diabetes Pills and Insulin) के बारे में दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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