टाइप 2 डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी में क्या संबंध है? यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ा सवाल है। डायबिटीज एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जो अपने साथ कई और बीमारियों को तो साथ लाती ही है, साथ में शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी का कारण भी बन सकती है। आज हम यहां बात करेंगे, डायबिटीज के मरीजों में आयोडीन की कमी के बारे में। आयोडीन की सही मात्रा शरीर को मिलना बहुत जरूरी है, नहीं तो यह कमी भारी पड़ सकती है। शुगर के मरीजों को अपने डायट में सभी विटामिन और मिनरल्स का विशेष ध्यान रखना चाहिए। टाइप 2 डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी में क्या संबंध है, यह जानने से पहले जानें कि डायबिटीज क्या है?
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टाइप 2 डायबिटीज (Diabetes Type 2) क्या है ?
टाइप 2 डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी के बारे में जानने से पहले जान लें कि डायबिटीज है क्या? टाइप 2 डायबिटीज, मधुमेह का सबसे आम प्रकार है और यह एक क्रॉनिक कंडिशन ( Chronic condition) है। इस स्थिति में रोगी के शरीर में रक्त में शर्करा के स्तर बढ़ने लगता है। धीरे-धीरे शरीर रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। ऐसा टाइप-2 डायबिटीज के स्तर में होता है। इसमे कोशिकाएं रक्त शर्करा से ऊर्जा का निमार्ण नहीं कर पाती हैं। टाइप 1 मधुमेह (Type 1 diabetes)के विपरीत, टाइप 2 में इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय होता है, लेकिन कोशिकाएं इसका उपयोग कर नहीं कर पाती हैं। यानि कि जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज की बिमारी है, तब उसका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इस कारण से रक्त में ग्लूकोज जमा होने लगता है।
टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के पीछे इटीयोलॉजिकल कारण हैं:
- एक्सरसाइज में कमी (Lack of exercise)
- तनाव और एंग्जायटी (Stress and anxiety)
- खराब लाइफस्टाइल (Lifestyle Problem)
- मोटापा (Obesity)
- जेनेटिक (Genetics)
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शरीर में आयोडीन की क्या भूमिका (Role of iodine in the body) है?
शरीर में अच्छे मेटाबॉलिज्म में आयोडीन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शरीर में थायराॅइड हाॅर्मोन्स बनाने के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। अगर हम रोजाना आयोडीन की जरूरत की बात करें तो, हर दिन लगभग 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत सभी सामान्य लोगों को होती है। वहीं ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को रोजाना 290 माइक्रोग्माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। शरीर में अच्छे विकास और फंक्शन में आयोडीन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयोडीन हमारे आहार में बहुत प्रमुख पोषक तत्व है और इसे कई बीमारियों से जाेड़कर देखा गया है। हमारे शरीर में । थायरॉइड हाॅर्मोन चयापचय को भी कंट्रोल में रखता है।शरीर में आयोडीन की कमी से थायरॉयड ग्रंथि का असामान्य विस्तार हो सकता है, जिसे गण्डमाला के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, अन्य थायरॉयड संबंधि समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों में, यह मानसिक अक्षमता का कारण बन सकता है। यदि किसी के शरीर में स्वाभाविक रूप से आयोडीन की सही मात्रा नहीं बन पा रही है, तो इसके लिए अपने आहार में उन फूड को शमिल करें, जो शरीर में आयोडीन की कमी को पूरा कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मछली का सेवन
- अंडे का सेवन
- कुछ प्रकार के नॉनवेज
- रोटी में भी पाया जाता है
- मिल्क प्रोडक्ट
- आयोडीन युक्त नमक
आयोडीन की कमी हर दुनिया भर में लगभग 2 अरब लोगों को प्रभावित करती है। लेकिन यह आहार डायबिटीज के मरीज ले सकते हैं या नहीं, यह बात उनके डायबिटीज कें लेवल और अन्य स्वास्थ समस्याओं पर निर्भर करती हैं। शुगर के मरीज कुछ भी खाने से पहले डाॅक्टर की सलाह लें।
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टाइप 2 डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी में क्या संबंध (Relationship between type 2 diabetes and iodine deficiency)है?
डायबिटीज एक गंभीर हेल्थ कंडिशन है और डायबिटीज के मरीजों को अपने डायट में नमक (salt), चीनी (sugar) और ऑयल (oil) की मात्रा की न के बराबर लेने की सलाह दी जाती है। कम नमक का सवेन इसलिए ताकि हाय ब्लड प्रेशर की समस्या न हो। लेकिन नमक के आयोडीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तो इस तरह से टाइप-2 डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी में अहम संबंध है। आयोडिन थायराॅइड हाॅर्मोन्स के उत्पादन और उनके सही तरीके से फंक्शन के लिए जरूरी पोषक तत्व है। बहुत अधिक आयोडिन की मात्रा से थायराइड डिसॉर्डर का रिस्क बढ़ जाता है। इसी तरह थायराॅइड ग्लैंड की कार्यक्षमता खराब होने से और डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ सकता है। टाइप 2 मधुमेह मेलिटस (T2DM) एक ऐसी बीमारी है, जिसके लिए निरंतर चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। जिसमें शरीर को इंसुलिन की कमी होने के कारण कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन से पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाते है41। आजकल मधुमेह अपनी बारंबारता और जटिलताओं के कारण पूरी दुनिया में एक स्वास्थ्य समस्या बन गया है। जबकि 2015 में दुनिया में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या 415 मिलियन थी, यह अनुमान लगाया गया है कि यह संख्या 55% की वृद्धि के साथ 2040 तक 642 मिलियन तक पहुंच जाएगी।
आयोडीन, एक सूक्ष्म पोषक तत्व, थायरॉइड हार्मोन का एक महत्वपूर्ण घटक है जो मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र और होमोस्टैसिस के सामान्य विकास और विकास के लिए आवश्यक है । अपर्याप्त आयोडीन सेवन या बिगड़ा हुआ आयोडीन चयापचय के कारण होने वाले सभी रोगों को “आयोडीन की कमी विकार कहा जाता है। मधुमेह और थायरॉइड रोग अंतःस्रावी रोग हैं जो एक दूसरे से परस्पर क्रिया करते हैं।
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टाइप 2 डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी : उपचार (Treatment)
डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी में अहम संबंध है। टाइप 2 मधुमेह की प्राथमिक रोकथाम निम्न पर आधारित होनी चाहिए सभी रोगजनन तत्वों पर ज्ञान। टाइप 2 मधुमेह एक है ।सामाजिक रोगों का हिस्सा और सामान्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। जनसंख्या में स्वास्थ्य का स्तर। टाइप 2 मधुमेह की जटिलताओं और विकसित देशों में मृत्यु का प्रमुख कारण धमनीकाठिन्य है देश।टाइप 2 मधुमेह की प्राथमिक रोकथाम गैर-औषधीय पर आधारित है। यह शरीर के वजन में कमी पर निर्भर करता है, वृद्धि
शारीरिक गतिविधि और शिक्षा कार्यक्रम। शरीर के वजन में कमी है। चीनी और वसा की सीमा के साथ कम कैलोरी वाले आहार द्वारा उपलब्ध
संतृप्त फैटी एसिड। टाइप 2 डायबिटीज और आयोडीन में संबंध देखा जा सकता है। इसके इलाज इस बाता पर निर्भीर करता है कि शरीर में आयोडीन की कमी है या मात्रा हाय है। इसकी जांच के लिए डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट करवाएंगे, फिर स्थिति के अनुसार इलाज करेंगे।
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डायबिटीज के मरीजों को अपने मन से कुछ भी डायट में शामिल नहीं करना चाहिए। डॉक्टर आपको जितनी डायट बोले, बस आप उतनी ही डायट लें। डायबिटीज और आयोडीन डेफिशिएंसी संबंध क्या है, अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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