अमेरिका के प्रसिद्ध डॉक्टर और एंडोक्रोनोलोजिस्ट डॉक्टर रिचर्ड बर्नस्टेटिन (Richard K. Bernstein) ने डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन रिवर्सल पर कई स्टडीज की हैं। यहां तक कि उन्होंने अपनी खुद की केस स्टडी भी प्रकाशित की थी। उन्हें टाइप 1 डायबिटीज के चलते किडनी, आंख और न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लिकेशन थे। उन्होंने कीटोजेनिटिक डायट के महत्व को पहचाना और पाया कि अगर ग्लूकोज लेवल के नियंत्रण में सुधार करते हैं तो डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन रिवर्सल संभव है।
वहीं जापान में भी शोधकर्ता इसी तरह के निष्कर्ष पर पहुंचे तब उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट के इफेक्ट्स की जांच की। जिसमें उन्होंने पाया कि किडनी डोनर को टाइप 2 डायबिटीज थी लेकिन जिसे किडनी लगाई गई उसे डायबिटीज नहीं थी। उस समय डायबिटीज के चलते किडनी बदले गए थे, लेकिन एक साल के बाद नॉन डायबिटिक पेशेंट में रिवर्सल हो गया था।
इसी प्रकार की एक अन्य रिपोर्ट भी थी जिसमें किडनी डोनर जिसे टाइप 2 डायबिटीज थी उसमें डायबिटिक किडनी डिजीज (Diabetic kidney disease) के लक्षण दिखाई दे रहे थे। एक नॉन डायबिटिक होस्ट में किडनी ट्रांसप्लांट के 6 महीने बाद ही किडनी की बीमारी पूरी तरह ठीक हो गई। इसके अलावा पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद भी डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन के रिवर्सल की खबरें हैं।
और पढ़ें: डायबिटीज और एथेरोस्क्लेरोसिस: जानिए क्यों जरूरी है ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल करना
डायबिटिक कॉम्प्लिकेशन्स रिवर्सल कैसे होता है? (How Does Diabetic Complications Reversal Happen?)
शरीर एक लिविंग बायोलॉजिकल एंटिटी होने के कारण कुछ हद तक खुद को ठीक करने में सक्षम है, लेकिन हमारे शरीर को खुद को ठीक करने का मौका देने के लिए, हमें उस चीज को रोकना होगा जो नुकसान पहुंचा रही है, डायबिटीज के मामले में यह ब्लड शुगर लेवल का बढ़ा हुआ स्तर है। जब हम अपने ब्लड शुगर के स्तर को “सुरक्षित” स्तर पर वापस लाते हैं, तो शरीर को होने वाली क्षति रुक जाती है, और उपचार का अवसर मिलता है। हालांकि, इसके लिए लंबे समय तक हेल्दी ब्लड शुगर लेवल की आवश्यकता होती है।
इसके साथ ही लो कार्ब डायट के जरिए किडनी और न्यूरोपैथी से जुड़े डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन्स को रिवर्स करने में सफलता दर्ज की गई है। 2011 में एक स्टडी में चूहों के ग्रुप को हाय फैट और कम कार्ब वाली डायट दी गई जिससे किडनी डिजीज को रिवर्स कर दिया गया।