अंगों में असामान्य प्रोटीन निर्माण (Abnormal protein buildup in organs)
अंगों में असामान्य प्रोटीन निर्माण यानी एमिलॉयडोसिस के कारण भी ऑर्गन्स और नर्वस सिस्टम (Nervous System) प्रभावित हो सकता है।
ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune diseases)
ऑटोइम्यून डिजीज वो डिजीज है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर पर अटैक करता है और शरीर के कई हिस्सों को डैमेज कर देता है, जिसमें नर्वज भी शामिल हैं। इनके उदाहरणों में शॉग्रेंन’स सिंड्रोम ( Sjogren’s syndrome), रयूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis), सीलिएक डिजीज (Celiac disease) आदि शामिल हैं।
कुछ दवाईयां (Some Medicines)
कुछ दवाईयां भी इस समस्या का कारण बन सकती हैं। इन दवाईयों में वो ड्रग्स शामिल हैं, जिनका प्रयोग कैंसर ट्रीटमेंट (Cancer treatment) में किया जाता है।
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कुछ वायरस और बैक्टीरिया (Some Virus and Bacteria)
कुछ वायरस और बैक्टीरिया जैसे HIV आदि भी इस समस्या की वजह हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ इनहेरिटेड डिसऑर्डर भी इसका कारण हो सकते हैं। इसके अलावा अन्य कुछ कारण भी हो सकते हैं, जो इस समस्या की वजह बन सकते हैं। इसके कुछ रिस्क फैक्टर्स भी हो सकते हैं जैसे :
- अगर डायबिटीज को सही से कंट्रोल न किया जाए, तो इसका खतरा बढ़ सकता है और नर्व डैमेज हो सकती है।
- अन्य डिजीज जैसे एमिलॉयडोसिस (Amyloidosis), पोरफाइरिया (Porphyria), हायपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) आदि से भी इस समस्या का खतरा बढ़ सकता है। अब जान लेते हैं कि इस कंडिशन का निदान कैसे हो सकता है?
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डायबिटिक ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी का निदान (Diagnosis of Diabetic autonomic neuropathy)
डायबिटिक ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी (Diabetic autonomic neuropathy) के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके बाद आपकी मेडिकल और फैमिली हिस्ट्री जानी जाएगी। रोगी की शारीरिक जांच भी जरूरी है। इसके साथ ही डॉक्टर रोगी को ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests) की सलाह देंगे, ताकि इस समस्या का निदान हो सके। सबसे पहले इन रोगों का टेस्ट कराया जाता है:
इसके बाद डॉक्टर आपको कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं, जैसे:
- टिल्ट-टेबल टेस्ट (Tilt-table test)
- एक्स-रे (X-ray)
- यूरोडायनामिक (Urodynamic tests)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
- गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग टेस्ट (Gastric emptying test)
- थर्मोरेगुलेटरी स्वेट टेस्ट (Thermoregulatory sweat test)