बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) वो ड्रग्स हैं, जो हार्ट रेट को स्लो कर सकते हैं और इसे अधिक काम करने से बचाते हैं। वे हार्ट को एड्रेनालीन (Adrenaline) जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन के प्रभाव को भी रोकते हैं। समय के साथ बीटा ब्लॉकर्स हार्ट पंप के काम को अच्छे से करने में मदद करते हैं। कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy) की सलाह कई अन्य स्थितियों में भी दी जा सकती है। डॉक्टर अन्य दवाईयों के साथ भी बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) को लेने के लिए कह सकते हैं ताकि हार्ट फेलियर के लक्षणों को सुधारा जा सके, जैसे एल्डोस्टेरॉन एंटागोनिस्ट्स (Aldosterone Antagonists), एंजियोटेंसिन रिसेप्टर नेप्रिलिसिन इंबिहिटर (Angiotensin receptor neprilysin inhibitor), एसजीएलटी2 इनहिबिटर्स (SGLT2 inhibitors) आदि। यह दवाईयां हार्ट डिजीज या फेलियर के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और इससे कार्डियोवैस्क्युलर डिजीज (cardiovascular disease) की संभावना को कम किया जा सकता है।
और पढ़ें : बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) : जानिए, हार्ट फेलियर के ट्रीटमेंट में कैसे काम करती है यह दवाईयां?
कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy)
कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy) हार्ट को अधिक धीमे से और कम फोर्स से बीट करने का कारण बनती हैं। जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है। बीटा ब्लॉकर्स वेन्स और आर्टरीज को खोलने में भी मदद करती हैं ताकि ब्लड फ्लो सही से हो सके। इससे भी हार्ट अच्छे से काम कर पाता है। कुछ बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) अधिकतर हार्ट को प्रभावित करते हैं, जबकि अन्य बीटा ब्लॉकर्स हार्ट और ब्लड वेसल्स दोनों को प्रभावित करते हैं। डॉक्टर रोगी की हेल्थ कंडिशंस (Health condition) के अनुसार ही उसे सही बीटा ब्लॉकर्स की सलाह दे सकते हैं। कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy) का उदाहरण इस प्रकार हैं:
- एटेनोलोल (Atenolol) जो ब्रांड नेम टेनोर्मिन (Tenormin) से बाजार में उपलब्ध हैं।
- एसेबुटोलोल (Acebutolol) को ब्रांड नेम सेक्टरल (Sectral) से जाना जाता है।
- बीटाक्सोलोल (Betaxolol) जिसका ब्रांड नेम करलोन (Kerlone) है।
- प्रोप्रानोलोल (Propranolol) को कई ब्रांड नेम्स जैसे हेमेंजियोल (Hemangeol) ,इंडरल एलए (Inderal LA), इंडरल (Inderal) आदि से जाना जाता है।
- नेबिवोलोल (Nebivolol), ब्रांड नेम बायस्टोलिक (Bystolic) से बाजार में उपलब्ध है।
- नेडोलोल (Nadolol) जिसका ब्रांड नेम कॉर्गार्ड (Corgard) है।
यह तो थे कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy) के कुछ उदाहरण हैं। लेकिन, इनका प्रयोग तभी करें जब डॉक्टर ने इनकी सलाह दी हों। अपनी मर्जी से इनका सेवन करना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही इन्हें किस मात्रा में और किसी तरह से लेना है, जिस बारे में जानना भी बेहद जरूरी है। अब जानिए कि इन दवाईयों को कैसे लेना चाहिए?
और पढ़ें : डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी में डिगोक्सिन का उपयोग बचा सकता है हार्ट फेलियर से!
कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स का प्रयोग कैसे करना चाहिए?
डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इन दवाईयों को लें। आमतौर पर इन दवाईयों को आहार के साथ, सोते समय या सुबह लेनी की सलाह दी जा सकती है। लेकिन, आहार शरीर की बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) को एब्सॉर्ब करने की क्षमता को कम कर सकता है। इसके साथ ही इसके कुछ साइड-इफेक्ट भी हो सकते हैं। दवाई के लेबल पर दी डायरेक्शंस को फॉलो करें। बीटा ब्लॉकर्स का सेवन तब भी न करें जब आपका ब्लड प्रेशर बहुत लो हो या आपकी पल्स स्लो हो। पल्स स्लो होने से आपको जी मचलना और चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर आपको गंभीर लंग कंजेशन की समस्या है, तो डॉक्टर बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) की सलाह देने से पहले इस कंजेशन का उपचार करेंगे।
जब आप बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) ले रहे हों तो डॉक्टर आपको रोजाना आपकी पल्स रिकॉर्ड लेने की सलाह देंगे। अगर आपको पल्स सामान्य से कम हो या ब्लड प्रेशर लो हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर किस सलाह के बिना इस दवाई को लेना भी न छोड़ें चाहे अगर आपको पता भी हो कि आपको इससे कोई लाभ नहीं हो रहा है। जब आपने कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy) को लेना शुरू किया है तो आप हार्ट फेलियर के लक्षणों को अधिक बदतर महसूस कर सकते हैं। ऐसा होना सामान्य है क्योंकि हार्ट को इस दवाई के साथ एडजस्ट होने में कुछ समय लग सकता है। लेकिन अगर आप बहुत अधिक थकावट महसूस कर रहे हों तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। आइए जानते हैं कार्डियोमायोपैथी में बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers in Cardiomyopathy) के साइड इफेक्ट्स के बारे में।
और पढ़ें : Alpha-beta blockers: जानिए हायपरटेंशन में अल्फा-बीटा ब्लॉकर्स के फायदे और नुकसान