यह तो थे लक्षण। अगर आपको अपने बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। अब जानिए क्या हैं सेप्टल डिफेक्ट के कारण।
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सेप्टल डिफेक्ट के कारण (Causes of Septal Defect)
ऐसा माना जाता है कि सेप्टल डिफेक्ट (Septal Defect) की समस्या का कारण फैमिली हिस्ट्री है और इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। अधिकतर बच्चों में इस हार्ट डिफेक्ट्स के कारण की जानकारी नहीं है। कई बच्चों को हार्ट डिफेक्ट्स जीन्स या क्रोमोसोम्स में बदलाव के कारण होते हैं। इसके साथ ही इनके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे अगर मां गर्भावस्था के दौरान किसी केमिकल या हानिकारक खाने पीने की चीजों के संपर्क में आए। अब जानते हैं कि कैसे संभव है इनका निदान?
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सेप्टल डिफेक्ट के निदान (Diagnosis of Septal Defect)
सेप्टल डिफेक्ट (Septal Defect) की स्थिति में डॉक्टर इस समस्या का निदान करने के लिए रोगी की हार्ट मर्मर को सुनते हैं। जिसके लिए स्टेथोस्कोप का प्रयोग किया जाता है। अगर डॉक्टर को हार्ट मर्मर की आवाज सुनाई देती है या इसके उन्हें इस रोग के अन्य लक्षण रोगी में नजर आते हैं, तो वो रोगी को यह टेस्ट्स कराने के लिए कह सकते हैं:
इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इस टेस्ट में साउंड वेव्स के प्रयोग से हार्ट की वीडियो इमेज बनाई जाती है। डॉक्टर इस टेस्ट का प्रयोग न केवल सेप्टल डिफेक्ट (Septal Defect) के निदान के लिए करते हैं बल्कि इससे वो इसके आकार, लोकेशन और गंभीरता के बारे में भी जान सकते हैं। इस टेस्ट से उन्हें यह भी पता चल सकता है कि रोगी को कोई अन्य हार्ट प्रॉब्लम तो नहीं है:
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
यह टेस्ट हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। जिसमें इलेक्ट्रोड्स को रोगी की स्किन से अटैच किया जाता है। इससे हार्ट डिफेक्ट्स और रिदम प्रॉब्लम का भी निदान होता है।
चेस्ट एक्स -रे (Chest X-ray)
चेस्ट एक्स -रे का प्रयोग करने से डॉक्टर को हार्ट और लंग की जांच करने में मदद मिल सकती है। इससे भी पता चलता है कि हार्ट एंलार्जड तो नहीं है और लंग्स में एक्स्ट्रा फ्लूइड तो नहीं है?
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