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कार्डियोमायोपैथी : इन तरीकों से बचाव संभव है इस हार्ट डिजीज से!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    कार्डियोमायोपैथी : इन तरीकों से बचाव संभव है इस हार्ट डिजीज से!

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) हार्ट मसल से जुड़ी एक डिजीज है, जिसके कारण हार्ट को शरीर के अन्य हिस्सों में ब्लड पंप करना मुश्किल हो जाता है। कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) के कारण हार्ट फेलियर भी हो सकता है। इस बीमारी को मायोकार्डियम (Myocardium) या हार्ट मसल (Heart Muscle) का एक प्रकार माना जाता है। अधिकतर मामलों में हार्ट मसल कमजोर हो जाते हैं इसके कारण इर्रेगुलर हार्ट बीट और हार्ट वॉल्व प्रॉब्लम या अन्य जटिलताएं हो सकते हैं।आज हम बात करने वाले हैं कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) कैसे संभव है इसके बारे में। इसके बारे में सबसे पहले जान लेते हैं, इसके लक्षणों के बारे में।

    कार्डियोमायोपैथी के लक्षण (Symptoms of Cardiomyopathy)

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) के शुरुआती लक्षणों में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन जैसे -जैसे स्थिति बढ़ती है वैसे ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं। नेशनल हार्ट लंग और ब्लड इंस्टिट्यूट (National Heart, Lung, and Blood institute) के अनुसार कुछ लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं, लेकिन उन्हें इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। उन्हें उपचार की जरूरत नहीं होती। अन्य लोगों में यह समस्या बहुत जल्दी से बढ़ते हैं। लक्षण गंभीर हो जाते हैं और अन्य कॉम्प्लीकेशन्स भी हो सकती हैं। इन लक्षणों में लाइफस्टाइल में बदलाव, दवाईयां, सर्जरी और नॉन सर्जिकल प्रोसीजर आदि हो सकते हैं। इनका उपचार लक्षणों को मैनेज करना, कॉम्प्लीकेशन्स को कम करना और बीमारी को बदतर होने से बचाना आदि शामिल है। इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:

    • एक्टिविटी या आराम करने के दौरान सांस फूलना (Breathlessness)
    • टांगों , टखनों और पैरों की सूजन (Swelling)
    • फ्लूइड बिल्ड-अप के कारण पेट की सूजन (Bloating)
    • नीचे लेटे हुए खांसी आना (Cough)
    • सीधा सोने में समस्या (Difficulty lying flat to Sleep)
    • थकावट (Fatigue)
    • हार्टबीट का तेज होना Heartbeats that Feel Rapid)
    • छाती में समस्या और दबाव (Chest Discomfort or Pressure)
    • चक्कर आना और बेहोशी (Dizziness and Fainting)

    बिना उपचार के इसके लक्षण बदतर हो सकते हैं। कई बार इसके लक्षण बहुत जल्दी बिगड़ सकते हैं और कुछ लोगों में यह समय के साथ बदतर हो सकते हैं। कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) से पहले इसके उपचार के बारे में जानना भी जरूरी है।

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    कार्डियोमायोपैथी का उपचार (Treatment of Cardiomyopathy)

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) के उपचार का उद्देश्य बीमारी को धीमा करना, लक्षणों को कंट्रोल करना और इसके कारण जान के जोखिम को कम करना है। अगर आपमें इस समस्या का निदान हुआ है ,तो डॉक्टर आपको डायट में बदलाव करने, व्यायाम करने, तनाव से बचने, शराब से दूर रहने और उचित दवाईयों को लेने की सलाह देंगे डॉक्टर कार्डियोमायोपैथी का कारण बनने वाली स्थितियों के उपचार के बारे में सोच सकते हैं। इसका उपचार इस बात पर भी निर्भर करता है कि रोगी कौन सी कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) से पीड़ित है। कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) के जेनेटिक और इनहेरिटेड प्रकारों से बचाव संभव नहीं है। लेकिन, अपने लाइफस्टाइल को हेल्दी और सही रखकर आप इसके लक्षणों और जटिलताओं से बच सकते हैं।

    अगर आपको कोई ऐसी समस्या है जो इस बीमारी का कारण बन सकती है, तो सबसे पहले इस कंडीशन का उपचार करना जरूरी है। ताकि, डिजीज के बदतर होने से से बचा जा सके। जानिए. कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) कैसे हो सकता है?

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    कार्डियोमायोपैथी में बचाव कैसे संभव है? (Cardiomyopathy Prevention) 

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) या दिल से जुडी अन्य समस्याओं से बचने के लिए सबसे जरूरी है। अपनों जीवनशैली को सही बनाए रखना। इससे इन समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। कार्डियोमायोपैथी में बचाव के लिए इन तरीकों को अपनाएं:

    कार्डियोमायोपैथी में बचाव के लिए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें (Control Blood Pressure)

    हार्ट डिजीज जिनमें कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) भी शामिल है। उनका मुख्य रिस्क फैक्टर हाय ब्लड प्रेशर है। ऐसे में नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच करना जरूरी है। वयस्कों के लिए कम से कम साल में एक बार या अगर आपको यह समस्या है, तो नियमित रूप से इसका चेकअप साथ ही हाय ब्लड प्रेशर से बचाव और कंट्रोल के लिए जीवनशैली में बदलाव करें।

    कोलेस्ट्रॉल और ट्रायग्लिसराइड्स लेवल को कंट्रोल में रखें (Keep Cholesterol and Triglycerides Levels under Control)

    कोलेस्ट्रॉल का हाय लेवल आर्टरीज को ब्लॉक कर सकता है और कोरोनरी आर्टरी डिजीज व हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ाता है। जीवनशैली में बदलाव और दवाईयां कोलेस्ट्रॉल को लो बनाए रखती है। ट्रायग्लिसराइड्स रक्त में वसा का एक अन्य प्रकार है। ट्रायग्लिसराइड्स का उच्च स्तर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease) का खतरा भी बढ़ा सकता है, खासकर महिलाओं में।

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    कार्डियोमायोपैथी में बचाव: हेल्दी वेट मेंटेन रखें (Maintain Healthy Weight)

    वजन का अधिक होना या मोटापा हार्ट डिजीज यानी कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) के खतरे को बढ़ा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अन्य हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर्स में ब्लड कोलेस्ट्रॉल और हाय ट्रायग्लिसराइड्स लेवल, हाय ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आदि शामिल है। ऐसे में कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) के लिए अपने वजन को कम करें।

    हेल्दी डायट लें (Heathy Weight)

    अगर स्वस्थ रहना चाहते हैं तो खानपान में परिवर्तन बेहद जरूरी है। ऐसे चीजों का सेवन कम करें जिनमें सैचुरेटेड फैट, सोडियम और शुगर की मात्रा कम हो। इसके साथ ही पर्याप्त फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए। सही डायट से ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल और अन्य बीमारियां कंट्रोल में रहती हैं। जिससे हार्ट डिजीज के जोखिम कम होता है। कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) के लिए यह पॉइंट बहुत महत्वपूर्ण है

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    रोजाना व्यायाम करें (Exercise Daily)

    व्यायाम करने के कई लाभ हैं जिसमे दिल का मजबूत होना, सर्कुलेशन का सुधरना आदि शामिल है। इससे हेल्दी वजन को मेंटेन रहने में भी मदद मिलती है और कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर भी लो रहता है। इन सभी से हार्ट डिजीज का जोखिम कम रहता है।

    एल्कोहॉल का सीमित मात्रा में सेवन करें (Limit Alcohol)

    बहुत अधिक एल्कोहॉल के सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इससे एक्स्ट्रा कैलोरीज भी आप गेन कर सकते हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है। यह दोनों हार्ट संबंधी समस्याओं को बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे में एल्कोहॉल का सेवन न करें या सीमित मात्रा में करें। कार्डियोमायोपैथी में बचाव के लिए इस टिप्स को जरूर अपनाएं।

    स्मोकिंग न करें (Don’t Smoke)

    सिगरेट स्मोकिंग से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ता है। अगर आप स्मोकिंग नहीं करते हैं तो इसकी आदत न डालें और अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) के लिए इसे छोड़ दें। आप इसके बारे में अपने डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं ताकि वो आपको इसे छोड़ने के बेहतरीन तरीके बता सके।

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    स्ट्रेस को मैनेज करें (Manage Stress)

    कार्डियोमायोपैथी में बचाव के लिए स्ट्रेस को मैनेज करना बेहद जरूरी है। स्ट्रेस को बहुत से तरीकों से हार्ट डिजीज से जोड़ा जाता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और बहुत अधिक स्ट्रेस से हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ सकता है। स्ट्रेस से बचने के लिए योग करें, मैडिटेशन करें, अपने परिवार या दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें, सकारात्मक रहें और खुश रहें। इसके साथ ही ओवरईटिंग, अधिक शराब का सेवन और धूम्रपान से भी यह समस्या बढ़ सकती है।

    कार्डियोमायोपैथी में बचाव: डायबिटीज को मैनेज करें (Manage Diabetes)

    डायबिटीज भी दिल की समस्याओं जैसे कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) का एक रिस्क फैक्टर है। जिससे डायबिटिक हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसा, इसलिए क्योंकि समय के साथ डायबिटीज ब्लड वेसल्स और नर्वज को नुकसान पहुंचा सकती है, जो हार्ट और ब्लड वेसल्स को कंट्रोल करती है ऐसे में डायबिटीज का टेस्ट कराएं और अगर आपको यह समस्या है तो उसे कंट्रोल करें। कार्डियोमायोपैथी में बचाव के लिए यह टिप्स भी जरूरी है।

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    कार्डियोमायोपैथी में बचाव: पर्याप्त नींद लें (Enough Sleep)

    पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है। अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेंगे तो इससे हाय ब्लड प्रेशर, मोटापा और डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है और यह तीनों चीजें दिल संबधी समस्याओं को बढ़ाने का काम करती हैं। वयस्कों को सात से नौ घंटे रोजाना नींद लेनी चाहिए। इस बात का भी ध्यान दें कि आपको नींद संबंधी समस्याएं न हों। अगर आपको नींद से जुडी कोई भी समस्या है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें। सोते हुए सांस लेने में समस्या को स्लीप एप्निया (Sleep Apnea) कहा जाता है। इस समस्या के कारण न केवल रोगी अच्छे से सो नहीं पाता। बल्कि, इससे हार्ट डिजीज का जोखिम भी बढ़ जाता है। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आता है, तो इसके बारे में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

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    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) का कारण कई अंडरलायिंग डिजीज और स्थितियां हो सकती हैं। इन स्थितियों के जल्दी उपचार से कार्डियोमायोपैथी में बचाव (Cardiomyopathy Prevention) संभव है। इसके अलावा इन चीज़ीं का भी ध्यान रखें। डॉक्टर से दिल और अन्य स्थितियों का नियमित चेक-अप कराएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाईयां लें। अगर आपको कार्डियोमायोपैथी की समस्या है तो देखभाल बेहद जरूरी है। अगर आप कोई नया या बदतर लक्षण महसूस करते हैं जैसे पैरों, टांगों, पेट, वेन या घुटनों में सूजन। तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि, यह स्थिति के बदतर होने की निशानियां हैं।

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    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) की बीमारी फैमिलीज में यानी जेनेटिक होती है। यानी, आपके परिवार में अगर किसी को यह समस्या है तो आपको भी यह समस्या होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। अगर आपके परिवार में किसी को यह समस्या है, तो आपने परिवार के अन्य लोगों को इसके लिए जांच करानी चाहिए। यह एक गंभीर स्थिति है और जान के लिए जोखिम की वजह भी बन सकती है। यही नहीं, यह एक प्रोग्रेसिव कंडीशन है। जो समय के साथ बदतर हो सकती है। कार्डियोमायोपैथी ट्रीटमेंट (Cardiomyopathy Treatment) से यह समस्या मैनेज हो सकती है। अगर आपको यह समस्या है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। दवाईयां सर्जरी या अन्य उपचार से न केवल आपके जीवन की गुणवत्ता सुधर सकती है। बल्कि लम्बा जीवन जीने में भी आपको मदद मिल सकती है।

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