एकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)
इस टेस्ट में एक हाय पिच साउंड वेव का प्रयोग किया जाता है, ताकि हार्ट की इमेज बनाई जा सके। यह साउंड वेव्स हार्ट से बाउंस करती हैं और इनसे मूविंग इमेज बनती हैं, जिन्हें वीडियो स्क्रीन पर देखा जा सकता है। एकोकार्डियोग्राफी का प्रयोग टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) के निदान के लिए किया जा सकता है। यही नहीं, इस टेस्ट से अन्य हार्ट डिफेक्ट्स का निदान भी हो सकता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को स्थिति के उपचार के बारे में प्लान करने में भी मदद मिलती है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम जब भी दिल धड़कता है तो उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी (Electrical Activity) को रिकॉर्ड करता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रभावित व्यक्ति की छाती, कलाई आदि पर वायर के साथ पैचेज लगाए जाते हैं। जिन्हें इलेक्ट्रोड्स (Electrodes) कहा जाता है। इलेक्ट्रोड्स इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापते हैं।
चेस्ट एक्स -रे (Chest X-ray)
चेस्ट एक्स रे से हार्ट और लंग्स के स्ट्रक्चर का पता चलता है। एक्स-रे पर टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का सामान्य लक्षण है बूट शेप का हार्ट क्योंकि राइट वेंट्रिकल्स एंलार्जड हो गए होते हैं।
पल्स ऑक्सीमीट्री (Pulse Oximetry)
इस टेस्ट में एक छोटे से सेंसर को मरीज की उंगली में लगाया जाता है, ताकि खून में ऑक्सीजन (Oxygen) की मात्रा को मापा जा सके।
कार्डियक कैथेटेराइजेशन (Cardiac Catheterization)
डॉक्टर इस टेस्ट का प्रयोग हार्ट के स्ट्रक्चर को एवल्यूएट करने और सर्जिकल ट्रीटमेंट (Surgical Treatment) का प्लान करने के लिए करते हैं। कैथेटेर के माध्यम से डॉक्टर डाई भी इंजेक्ट कर सकते हैं, ताकि एक्स-रे पिक्चर में हार्ट स्ट्रक्चर अच्छे से विज़िबल हो सके। कार्डियक कैथेटेराइजेशन हार्ट के चैम्बर्स और ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) में ऑक्सीजन लेवल (Oxygen Level) और प्रेशर को भी मापता है। अब जानिए टेट्रालॉजी ऑफ फलो के उपचार के बारे में।
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टेट्रालॉजी ऑफ फलो का उपचार कैसे किया जा सकता है? (Treatment of Tetralogy of Fallot)
इस समस्या के उपचार का सबसे बेहतरीन विकल्प है सर्जरी। इस सर्जरी को शिशु के जन्म के कुछ समय बाद ही किया जाता है। अगर सही समय पर टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का उपचार नहीं किया जाता है, तो यह रोग कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जो हार्ट रिदम्स से जुड़ी हुई हो सकती हैं या बच्चे के डेवलपमेंट में देरी हो सकती है या उन्हें सिजर्स भी हो सकते हैं। ऐसा होना दुर्लभ है लेकिन अगर इन स्थितियों को सही समय पर मैनेज न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकती है। ऐसे में, अगर डॉक्टर इस समस्या का निदान जल्दी कर लेते हैं, तो इस समस्या को दूर करने के लिए सर्जरी की जाती है। लेकिन, इस सर्जरी के बाद रोगी को पूरी जिंदगी कार्डियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है।