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एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज : जानिए दोनों के बेहतरीन कनेक्शन के बारे में!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/02/2022

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज : जानिए दोनों के बेहतरीन कनेक्शन के बारे में!

    एरोबिक एक्सरसाइज डायबिटीज (Diabetes) की बीमारी में फायदेमंद होती है ये आप जानते होंगे, लेकिन शायद आपको एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes) के कनेक्शन के बारे में पता नहीं होगा। अब आप सोच सकते हैं कि ये एनारोबिक एक्सरसाइज क्या हैं, तो आपको बता दें कि एनारोबिक एक्सरसाइज एरोबिक एक्सरसाइज की ही तरह होती हैं, लेकिन इनमें एनर्जी का हाय लेवल यूज किया जाता है। एनोरोबिक एक्सरसाइज में हाय इंटेंसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT), वेट लिफ्टिंग (Weight lifting), जंपिंग (Jumping), पिलाटे (Pilates), स्प्रिंटिंग (Sprinting) आदि शामिल हैं। ये एक्सरसाइज डायबिटीज के साथ ही कार्डियोवैस्कुलर एंड्यूरेंस (Cardiovascular endurance) को इम्प्रूव करने, मसल्स को मेंटेन करने और वजन कम करने में मददगार हैं। एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज के कनेक्शन के पहले इन दोनों एक्सरसाइज में अंतर जान लेते हैं।

    एरोबिक (Aerobic) और एनारोबिक एक्सरसाइज (Anaerobic exercise) में अंतर

    एनारोबिक एक्सरसाइज (Anaerobic Exercise) प्लान में शॉर्ट, फास्ट इंटेसिटी एक्सरसाइजेस की जाती हैं। जिनमें बॉडी कार्डियो या एरोबिक एक्सरसाइज की तरह ऑक्सिजन का उपयोग नहीं करती। एनारोबिक एक्सरसाइज में मसल्स में एनर्जी के रूप में पहले से मौजूद ग्लूकोज को ब्रेकडाउन किया जाता है। वहीं एरोबिक एक्सरसाइज में बॉडी में स्टोर रहने वाली एनर्जी (जो फैट (Fat), कार्ब्स (Carbs), प्रोटीन (Protein), फैट (Fat) और ब्रीदिंग से प्राप्त होती है) पर निर्भर रहा जाता है।

    एनारोबिक मवूमेंट को दूसरे मूवमेंट पर शिफ्ट करने से पहले 10 से 15 सेकेंड तक ही रिपीट करते हैं। जबकि एरोबिक एक्सरसाइज को अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार लंबे समय तक करना आसान होता है। आपकी एरोबिक एक्सरसाइज एनारोबिक एक्सरसाइज पर ऑवरलेप कर सकती हैं साथ ही ये एनारोबिक में बदल सकती हैं अगर आप इंटेंसिटी बढ़ा देते हैं।

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    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes)

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes) का कनेक्शन ऐसा है कि यह एक्सरसाइज मरीज के ब्लड ग्लूकोज (Blood Glucose) या ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को कम कर सकती हैं। साथ ही अगर आप इन्हें ज्यादा समय तक करते हैं तो यह आपकी बॉडी ग्लूकोज को अच्छी तरह प्रोसेस करती है और इंसुलिन सेंसटिविटी भी बढ़ जाती है। डायबिटीज में यही फायदे एरोबिक एक्सरसाइज के भी हैं।

    स्टैंडर्ड्ज़ ऑफ मेडिकल केयर इन डायबिटीज, हर हफ्ते 150 मिनट के लिए मॉडरेट इंटेंसिटी एनारोबिक एक्सरसाइज रिकमंड करता है, लेकिन जब आप खुद को पुश करके हाइएस्ट एफर्ट लेवल पर ले जाते हैं तो यह एरोबिक से एनारोबिक में बदल जाती हैं। इन दोनों में एक बड़ा अंतर मसल स्ट्रेंथ और मसल मास को लेकर भी है। एनारोबिक एक्सरसाइज मसल को बिल्ड करने के साथ ही स्ट्रेंथ को बढ़ाने में भी मदद करती हैं।

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज : ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar level) में हो सकता है हाय

    एनारोबिक एक्सरसाइज को रूटीन का हिस्सा बनाने से पहले जान लें कि एक घंटे की इंटेंस एक्सरसाइज आपके ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकती हैं। जिसमें वेट लिफ्टिंग (Weight lifting) शामिल है, लेकिन इसमें चिंता की बात नहीं है यह बॉडी के कड़ी मेहनत करने के शुरुआती तनाव के कारण है। इससे इंसुलिन सेंसटिविटी में सुधार होता है जो कि महत्वपूर्ण है। चलिए तो अब जान लेते हैं कि कौन सी एनारोबिक एक्सरसाइज (Anaerobic Exercise) को डायबिटीज में किया जा सकता है।

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    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज : वेट लिफ्टिंग (Weight lifting)

    वेट लिफ्टिंग एनारोबिक एक्सरसाइज को फिटनेस रूटीन का हिस्सा बनाने का स्मार्ट तरीका है। रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (जिसे वेट ट्रेनिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी कहा जाता है) ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करने और बॉडी की इंसुलिन (Insulin) का उपयोग अच्छी तरह से करने में मदद करती है। यह फैट मास को कम करके मसल मास और स्ट्रेंथ को सुधारने में मदद करती हैं। डायबिटिक लोगों को हर हफ्ते दो से तीन रेजिस्टेंस ट्रेनिंग सेशन का हिस्सा बनने का लक्ष्य रखना चाहिए।

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज: एचआईआईटी (High-intensity interval training)

    डायबिटिक अपने एक्सरसाइज सेशन में एचआईआईटी को भी एड कर सकते हैं, लेकिन इसके पहले यह निश्चित कर लें कि डॉक्टर इसके लिए हां कह दें। यह इंटरवल ट्रेनिंग, कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज (Cardiovascular exercise) और एनारोबिक एक्सरसाइज का सम्मिलित फॉर्म है। इसमें कम समय में तीव्र गति से एक्सरसाइज की जाती हैं। उदाहरण के लिए आपको तीन से पांच मिनट के लिए जॉगिंग या वॉक करना होगा और इसके बाद तीस से साठ सेकेंड के लिए जितने तेज हो सके उतना तेज भागना होगा। इस पैटर्न को तीन से चार बार रिपीट किया जाता है। धीरे-धीरे वर्कआउट का समय बढ़ाया जाता है।

    आप जैसे-जैसे इन इंटरवल्स को अधिक करते हैं आपका शरीर उनके प्रति अनुकूलित हो जाता है और वे आसानी से होने लगते हैं। इस पैटर्न को फॉलो करने से आपके फिटनेस स्तर में अधिक समय तक मॉडरेट इंटेंसिटी से आगे बढ़ने की तुलना में तेजी से सुधार होता है। डायबिटीज (Diabetes) पीड़ितों के लिए भी एचआईआइटी फायदेमंद हैं। आप डॉक्टर की सलाह से इन्हें अपनी रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं।

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज: जंपिंग रोप (Jumping rope)

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes) का कनेक्शन समझने के बाद अगर आप इन्हें अपने रूटीन का हिस्सा बनाना चाहते हैं, तो जंपिंग रोप चुन सकते हैं। इसे रस्सी कूदना (Skipping) भी कहा जाता है। यह एक्सरसाइज डायबिटीज में फायदा पहुंचाने के साथ ही पूरी बॉडी को फिट रख सकती है।  हायपरटेंशन (Hypertension), स्ट्रोक और तनाव जैसी अन्य बीमारियों को दूर करने में भी यह मदद करती है। यह वजन कम करने में भी फायदेमंद है। 15 मिनट की जंपिंग रोप से 200 कैलोरी बर्न हो सकती है।

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    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज: स्प्रिंटिंग (sprinting)

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes) संबंध तो आप समझ ही चुके हैं। अगर आप इन्हें अपने रूटीन का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो स्प्रिरिंटिंग को ट्राय कर सकते हैं। स्प्रिरिंटिंग में कम समय में शॉर्ट डिस्टेंस पर अत्यधिक स्पीड के साथ दौड़ना पड़ता है। यह भी एक एनरोबिक एक्सरसाइज है। इससे कैलोरी और फैट जल्दी बर्न होता है ऐसा माना जाता है। यह कार्डियोवैस्कुलर और मसकुलर एंड्यूरेंस को बढ़ाने के साथ ही फिटनेस लेवल को बढ़ाती है। अगर आप पेरिफेरल न्यूरोपैथी (Peripheral neuropathy) जैसे डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन का सामना कर रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस एक्सरसाइज को करें।

    डायबिटीज में एनारोबिक एक्सरसाइज (Anaerobic Exercise and Diabetes) रूटीन सेट करने से पहले डॉक्टर की राय है जरूरी

    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes) का लिंक समझने के बाद अगर आप एनारोबिक एक्सरसाइज प्लान शुरू चाहते हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से बात करें। वे आपको बताएंगे कि एक्सरसाइज प्लान शुरू करने से पहले क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए। कार्डियो एक्सरसाइज और एनारोबिक एक्सरसाइज शुरू करने से पहले डॉक्टर की राय लेने से इंजरी का खतरा कम हो सकता है।

    अगर आप किसी भी प्रकार के डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन का सामना कर रहे हैं तो ऊपर बताई गई किसी भी एक्सरसाइज को अपने रूटीन में एड करने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें। वे आपके लिए बेस्ट एक्सरसाइज कौन सी हैं और उसे कितनी इंटेंसिटी के साथ करना चाहिए ये भी बता देंगे। अगर डायबिटीज के साथ ही आप नर्व डैमेज (Nerve damage), हार्ट डिजीज (Heart disease), और आय प्रॉब्लम (Eye Problems) का सामना कर हैं तो कुछ एक्सरसाइज आपको नहीं करना चाहिए। इस बारे में मेडिकल प्रोफेशनल या फिटनेस एक्सपर्ट से सलाह लें।

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    एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज

    डायबिटीज में एक्सरसाइज प्लान बनाते निम्न बातों का ध्यान रखें (Keep these things in mind while making a diabetes exercise plan)

    • एक ही समय पर सभी एक्सरसाइजेस ना करके दिन भर में उनके लिए टाइम तय कर लें और उस रूटीन को फॉलो करें।
    • ऐसा कोई गोल सेट ना करें जिसे आप अचीव नहीं कर सकते।
    • एक्सरसाइज प्लान (Exercise plan) फॉलो करने के साथ ही ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose level) की भी निगरानी करते रहे।
    उम्मीद करते हैं कि आपको एनारोबिक एक्सरसाइज और डायबिटीज (Anaerobic Exercise and Diabetes) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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