रेग्युलर फिजिकल एक्टिविटी से एक नहीं बल्कि कई प्रकार के लाभ होते हैं। जिन लोगों को पहले से ही हार्ट संबंधी समस्या या फिर डायबिटीज की समस्या है, उनके लिए रेग्लुर फिजिकल एक्टिविटी कई समस्याओं को हल करने का काम करती है। क्रॉनिक डिजीज जैसे कि कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और डायबिटीज में एक्सरसाइज ट्रेनिंग किस तरह से कैपेसिटी को बढ़ाने का काम करती है और किस तरह से यह ट्रेनिंग शरीर की अन्य गतिविधियों पर असर करती है, इसके संबंध में समय-समय पर स्टडी होती रही है। ट्रेनिंग की मदद से लेफ्ट वेंट्रीकल स्ट्रोक वॉल्यूम को बढ़ाया जा सकता है।
लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट (Exercise impact on left ventricular function) को लेकर एक स्टडी की गई स्टडी के परिणाम मिले जुले रहे।
एक्सरसाइज ट्रेनिंग एरोबिक कैपेसिटी ने दोनो ट्रेनिंग ग्रुप में 10 प्रतिशत तक और स्ट्रोक वॉल्यूम को 6 प्रतिशत तक इंप्रूव किया।लेकिन टाइप 1 डायबिटीज वाले ग्रुप में ट्रेंड कंट्रोल सब्जेक्ट की तुलना में कम रही। टाइप 1 डायबिटीज वाले वाले किशोरों में स्ट्रोक की मात्रा में वृद्धि लेफ्ट वेंट्रिकुलर कॉन्ट्रेक्टिलिटी (इजेक्शन फैक्शन में 9% की वृद्धि और एंड-सिस्टोलिक वॉल्यूम में 11% की कमी) हुई। कुछ हद तक, बाएं वेंट्रिकुलर फिलिंग (6%) में सुधार हुआ। टाइप 1 डायबिटीज वाले किशोरों में व्यायाम प्रशिक्षण से बिगड़ा हुआ डायस्टोलिक कार्य प्रभावित हो सकता है। इंसुलिन के उपयोग में 10% की कमी आई, लेकिन ग्लाइसेमिक लेवल में कोई बदलाव नहीं देखा गया।
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