ट्रांसजेंडर्स में हॉर्मोन थेरिपी का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव (Effect of hormone therapy on Insulin sensitivity in transgenders) और अन्य अध्ययन
इसके अलावा भी ट्रांसजेंडर्स में हॉर्मोन थेरिपी का इंसुलिन सेंसिटिविटी पर प्रभाव को लेकर अध्ययन किए गए हैं। बैल्जियम के एक अध्ययन में पाया गया कि ट्रांसजेंडर महिलाओं में हॉर्मोन थेरिपी का असर इंसुलिन सेंसिटिविटी पर होता है। जब वे एक साल से अधिक समय से हॉर्मोन थेरिपी ले रही हो। जो मेल सेक्स से फीमेल सेक्स में ट्रांजिशियन के लिए दी जाती है। इस स्टडी में 55 ट्रांसजेंडर महिलाएं और 35 ट्रांसजेंडर पुरुष शामिल थे। ट्रांसजेंडर पुरुषों की आयु 26 वर्ष और ट्रांसजेंडर महिलाओं की आयु 34 साल के लगभग थी।
ट्रायल की शुरुआत में मेडिकेशन शुरू करने से पहले सभी प्रतिभागियों का स्वास्थ्य से संबंधित डेटा इकठ्ठा किया गया था जिसमें हाइट, वेट, लीन मास, कमर की चौड़ाई, फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज और फास्टिंग इंसुलिन की जानकारी ली गई थी। एक साल के बाद जब उनकी हॉर्मोन थेरिपी शुरू की गई सभी का मेजरमेंट फिर से लिया गया।
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ऐसा रहा रिजल्ट
रिजल्ट में पाया गया कि ट्रांसजेंडर पुरुष जो हॉर्मोन थेरिपी पर थे उन्होंने इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ी वहीं महिलाएं जो हॉर्मोन थेरिपी पर थी उनकी इंसुलिन सेंसिटिविटी कम हो गई। इस खोज के नैदानिक प्रभाव हो सकते हैं क्योंकि परिणाम बताते हैं कि ट्रांसजेंडर पुरुषों को टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का अधिक खतरा हो सकता है। निष्कर्षों की पुष्टि करने और निहितार्थों की जांच करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्रांसजेंडर पुरुषों में एक साल की हॉर्मोन थेरिपी के बाद एवरेज बॉडी वेट 63.1kg से 65.9kg तक हो गया, लेकिन महिलाओं के बॉडी में वेट में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि भले ही सभी पैरामीटर्स और मार्कर्स पूरी तरह नहीं बदले, लेकिन इंसुलिन सेंसिटिविटी में बदलाव अपोजिट डायरेक्शन में हुआ है। यह बताता है कि, कम से कम हमारे अध्ययन समूह में, पुरुष महिला हॉर्मोन एक्सपोजर की तुलना में पुरुष के तहत अधिक इंसुलिन संवेदनशील थे। इस प्रकार ट्रांसजेंडर्स में इंसुलिन सेंसिटिविटी पर हॉर्मोन थेरिपी का प्रभाव (Effect of hormone therapy on Insulin sensitivity in transgenders) के बारे में जानकारी हमें प्राप्त होती है।
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ट्रांसजेंडर्स पर हॉर्मोन थेरिपी का प्रभाव (Effect of hormone therapy on transgenders)
ट्रांसजेंडर्स में इंसुलिन सेंसिटिविटी पर हॉर्मोन थेरिपी का प्रभाव (Effect of hormone therapy on Insulin sensitivity in transgenders) के बारे में जानने के बाद यह भी जान लीजिए कि हॉर्मोन थेरिपी ट्रांसजेंडर के हार्ट और फर्टिलिटी को भी प्रभावित करती है। कई बार यह स्ट्रोक का कारण भी बन सकती है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में नए पेपर के अनुसार, डॉक्टरों ने ईस्ट्रोजन के एक वर्जन (ओरल एथिनिलोएस्ट्राडियोल) का उपयोग करना बंद कर दिया। क्योंकि 1990 के दशक के अंत में सामने आए अध्ययनों से पता चला है कि यह हॉर्मोन नसों या फेफड़ों में खतरनाक थक्कों के जोखिम में 20 गुना वृद्धि के साथ जुड़ा था। जिसे थ्रोम्बेम्बोलाइज्म (Thromboembolism) कहा जाता है। इसके अलावा भी फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी (Feminizing Hormone Therapy) के कुछ रिस्क हैं जो निम्न प्रकार हैं।
टेस्टेस्टोरॉन हॉर्मोन थेरिपी के रिस्क (Risks of Testosterone Hormone Therapy)
इसके साथ ही ट्रांसजेंडर महिलाओं को दी जाने वाली टेस्टेस्टोरॉन थेरिपी के साथ गर्भावस्था संभंव नहीं है। साथ ही यह निम्न कंडिशन्स का कारण बन सकती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको ट्रांसजेंडर्स में इंसुलिन सेंसिटिविटी पर हॉर्मोन थेरिपी का प्रभाव (Effect of hormone therapy on Insulin sensitivity in transgenders) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।