सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज दो प्रकार की होती हैं जो ब्लड वेसल्स के डैमेज पर निर्भर करती हैं। इस्केमिक और हेमोरेजिक (Ischemic and hemorrhagic)
इस्केमिक सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज में ब्लड का फ्लो कम हो जाता है। ऐसा तब हो सकता है कि जब ब्लड वेसल्स नैरो हो जाती हैं या उनमें ब्लॉकेज हो जाता है। हेमोरेजिक सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज ब्लड में कमी है जो ब्लड वेसल्स के रप्चर होने के कारण होती है। ये दोनों प्रकार की बीमारियां स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं। ज्यादातर स्ट्रोक्स इस्केमिक टाइप के होते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज और सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज के कनेक्शन को लेकर कई स्टडीज की गई हैं जिसमें टाइप 2 डायबिटीज और सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज (Type 2 diabetes and cerebrovascular disease) के लिंक के बारे में बताया गया है। अमेरिकन एकेडेमी ऑफ न्यूरोलॉजी में छपी स्टडी के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज के लिए रिस्क फैक्टर है, लेकिन इस दोनों के संबंध के पीछे क्या मेकेनिज्म है यह स्पष्ट नहीं है। यह स्टडी लार्ज आर्ट और स्माल वेसल स्ट्रोक पर टाइप 2 डायबिटीज और हायपरग्लाइसीमिया के प्रभाव को सपोर्ट करती है।
स्टडी के अनुसार बड़ी धमनी और स्माल वेसल स्ट्रोक पर आनुवंशिक रूप से निर्धारित इंसुलिन प्रतिरोध और β-सेल डिसफंक्शन के अंतर प्रभाव दिखाते हैं जो इन तंत्रों को लक्षित करने वाले एंटी डायबिटिक ट्रीटमेंट्स के लिए निहितार्थ हो सकते हैं। टाइप 2 डायबिटीज और सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज (Type 2 diabetes and cerebrovascular disease) के संबंध के विषय में अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है। बता दें डायबिटीज से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक होने की आशंका उन लोगों की तुलना में जिन्हें डायबिटीज नहीं है 1.5 गुना ज्यादा होती है।
टाइप 2 डायबिटीज और सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज के कनेक्शन का कारण (Cause of the connection of type 2 diabetes and cerebrovascular disease)
ऐसी ही एक अन्य स्टडी की टीम का सुझाव है कि टाइप 2 डायबिटीज और सेरेब्रोवास्कुलर डिजीज के बीच एक लिंक के लिए जैविक स्पष्टीकरण जटिल और अस्पष्ट होने की संभावना है। टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के रक्त में वसा का असामान्य स्तर होता है। वे एथेरोजेनेसिस की बहुत तेज दर का भी अनुभव कर सकते हैं, एक ऐसी स्थिति जिसमें आर्टरीज में फैट डिपॉजिट का विकास होता है।
विभिन्न कारकों से उत्पन्न मेटाबोलिक व्यवधान (Metabolic disruption) एक और कारण हो सकता है कि टाइप 2 डायबिटीज के कारण सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज की संभावना को बढ़ा सकता है। इन कारकों में बड़ी हुई रक्त शर्करा और फैटी डिपॉजिट, सूजन, इंसुलिन प्रतिरोध और इनका इंसुलिन प्रोडक्शन पर प्रभाव शामिल हैं। टाइप 2 डायबिटीज और सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज (Type 2 diabetes and cerebrovascular disease) के बीच एक लिंक की कमी की व्याख्या करने के लिए, शोधकर्ताओं का सुझाव है कि ऐसा इसलिए हो सकता है कि टाइप 2 डायबिटीज रक्त वाहिकाओं की परत को ऑल्टर करती है।
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एक कारण ये भी
डायबिटीज आपके शरीर के लिए स्ट्रोक या किसी सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज का जवाब देना भी कठिन बना सकती है। जब बॉडी में ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो जाती है, तो अन्य धमनियां आमतौर पर बाईपास के रूप में काम कर सकती हैं, लेकिन अगर व्यक्ति को मधुमेह है, तो वे वाहिकाओं सख्त हो सकती हैं या उनमें प्लाक की वजह से अवरुद्ध हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहा जाता है। इससे आपके मस्तिष्क में रक्त का पहुंचना कठिन हो जाता है। इतना सब जानने के बाद सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज के लक्षण जानना जरूरी हो जाता है।
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सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? (What are the symptoms of cerebrovascular disease?)
या किसी अन्य सेरेब्रोवैस्कुलर डिजीज के लक्षण निम्न हैं जिनके दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता या कमजोरी (विशेषकर शरीर के एक तरफ)
- शब्दों या सरल वाक्यों को बोलने या समझने में परेशानी
- एक या दोनों आंखों में अचानक धुंधली दृष्टि या बदतर दृष्टि
- अचानक निगलने में परेशानी
- चक्कर आना, संतुलन की हानि, या समन्वय की कमी
- शरीर के किसी अंग को हिलाने में अचानक असमर्थता (लकवा)
- अचानक, अस्पष्ट, और तीव्र सिरदर्द
- होश में ना रहना