चिन मुद्रा, योग का सबसे प्रचलित शब्द है। चिन मुद्रा को ज्ञान मुद्रा भी कहा जाता है। यह सबसे प्रचलित होने के साथ-साथ बेहद आसान भी है। इस मुद्रा का प्रयोग ध्यान लगाने की सभी मुद्राओं में होता है। चिन मुद्रा दो शब्दों से मिलकर बना है चिन और मुद्रा, जिसमे चिन या चित का अर्थ है चेतना और मुद्रा एक स्थिति है। यह एक ऐसी मुद्रा है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। ज्ञान (चिन) मुद्रा आत्मा को शांत करती है और शरीर में वायु तत्वों को उत्तेजित करने में मदद करती है। इसलिए, इसे करने से हमारे दिमाग और शरीर दोनों को लाभ होता है। जानिए कैसे करते हैं ज्ञान (चिन) मुद्रा को और क्या हैं इसके लाभ।
ज्ञान (चिन) मुद्रा को करने का तरीका
ज्ञान (चिन) मुद्रा को करना बेहद आसान है। लेकिन इसके लिए आपको इसके सही पोस्चर और हाथ की मुद्रा आदि के बारे में पता होना चाहिए।
इस मुद्रा के लिए आप अपनी टांगों को क्रॉस कर के यानी आरामदायक स्थिति में बैठें। इसमें शुरुआती स्थिति में बैठने के लिए आप अर्ध पद्मासना या लोटस पोज को भी कर सकते हैं।
इस दौरान आपकी रीढ़ की हड्डी और गर्दन सीधी होनी चाहिए। आपके कंधें पीछे और सीना आगे की तरफ होना चाहिए। इस पोस्चर से आपके शरीर में अच्छी ऊर्जा का संचार होगा।
ज्ञान (चिन) मुद्रा में हाथ की पोजीशन
इस पुजीशन में बैठने के बाद अपने हाथों को अपने घुटनों के पास लाएं। इस दौरान हथेली ऊपर की तरफ होनी चाहिए।
अब अपने अंगूठे और तर्जनी (index finger) को साथ जोड़ें। अन्य तीनों उंगलियों को खोल दें यानी फैला लें।
आपका हाथ आरामदायक स्थिति में होना चाहिए और आपका अंगूठा व तर्जनी एक दूसरे के साथ जुड़ी होनी चाहिए। इसमें आपकी अंगूठे का सिरा आपकी तर्जनी के सिरे से मिलना चाहिए लेकिन इन पर दबाव न डालें।
अब अपनी आंखों को बंद कर दें या उन्हें थोड़ा सा खुला भी रख सकते हैं।
इस मुद्रा को करते हुए आपकी सांस सामान्य होनी चाहिए।
इस मुद्रा में आप कुछ मिनटों तक रहें। अगर आप घंटों तक ज्ञान (चिन) मुद्रा में ध्यान कर सकते हैं तो यह आपके लिए और भी फायदेमंद है। जितनी अधिक देर आप ज्ञान (चिन) मुद्रा में रहेंगे आपके लिए उतना ही अच्छा रहेगा। हालांकि, इस मुद्रा में अधिक देर तक रहना मुश्किल है लेकिन आप रोजाना अभ्यास से इसमें सफल हो सकते हैं। ज्ञान (चिन) मुद्रा को अपने ध्यान का एक मुख्य हिस्सा बना लें। इस मुद्रा को आप दिन के किसी भी समय में कर सकते हैं। रोजाना उठने के बाद और सोने से पहले इस मुद्रा को करें। इससे आपको लाभ होगा।
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इसे करते हुए इन बातों का खास ख्याल रखें
ज्ञान (चिन) मुद्रा को करते हुए आपकी पीठ सीधी होनी चाहिए और आपका सिर व सीना तने हुए होने चाहिए।
इस दौरान अंगूठे और तर्जनी को छोड़ कर सभी उंगलियां फैली हुई होनी चाहिए।
ज्ञान (चिन) मुद्रा का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इससे वायु तत्व बढ़ते हैं। आयुर्वेदिक वात दोष के अनुसार हमारे शरीर के लिए वायु एक जरूरी तत्व है। हालांकि ज्ञान (चिन) मुद्रा वायु को प्रभावित करती है, इसलिए इस मुद्रा को वायु-वर्धक मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। कुछ शोधों के मुताबिक यह मुद्रा कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में लाभदायक है। खासकर किसी व्यक्ति को तनाव से राहत पहुंचाने के लिए। ज्ञान (चिन) मुद्रा विशेष रूप से वात की कमी को ठीक करने और इसके कारण होने वाले रोगों से छुटकारा पाने के लिए उपयोगी है। यह योग साधनाओं और ऋषियों द्वारा दर्शाया गया एक सामान्य तरीका है।
वायु-वर्धक मुद्रा के प्रभाव
वायु-वर्धक मुद्रा शरीर में वायु तत्वों को बढ़ाती है। इसके साथ ही यह दिमाग के कार्यों को सही से करने के लिए भी प्रोत्साहित करती है।
वायु मुद्रा का कार्य शक्ति में सुधार करने के लिए मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करना है।
ज्ञान (चिन ) का कोई साइड इफेक्ट का कोई बुरा प्रभाव नहीं होता। इसे कोई भी व्यक्ति, कहीं भी कर सकता है। लेकिन, अगर आपको पीठ में दर्द या चोट लगी हो तो आपको इसे नहीं करना चाहिए।
भोजन करने के तुरंत बाद या चाय व कॉफी पीने के बाद भी कोई भी योगासन या मुद्रा को करने की सलाह नहीं दी जाती क्योंकि इससे शरीर को नुकसान हो सकता है।
अगर आपको यह मुद्रा करते हुए कोई भी समस्या हो, तो तुरंत इस मुद्रा को छोड़ दें।