प्राणायाम और योग के द्वारा स्वस्थ्य जीवन जीया जा सकता है। योग गुरु बताते हैं कि इसे कर बीमार रहित जिंदगी जी जा सकती है। इसी कड़ी में हम आपको उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) और उज्जायी प्राणायाम के फायदे के साथ इसे कैसे किया जाए उसके बारे में बताएंगे। लेकिन पहले उज्जायी प्राणायाम है क्या, यह जानना बेहद ही जरूरी है। उज्जायी की जया शब्द की उत्पति हुई है, इसका अर्थ विजयी होता है। ऐसे में जो प्राणायाम हमें बंधन से आजादी देता है वो उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) कहलाता है। यह हठयोग के आठ कुंभकास में से एक हिस्सा है। एक्सपर्ट बताते हैं कि हमारे सांसों की क्वालिटी काफी अहम होती है, क्योंकि हमारे सांस ही यह हमारी आंतरिक फिलिंग्स को बताते हैं। यदि आप कभी भी योगा क्लास में गए हो तो आपने यह सुना होगा कि उज्जायी ब्रीद की तरह सांसें लीजिए। उज्जायी प्राणायाम एक खास प्रकार का श्वास है, जिसे कई योगाभ्यास में इस्तेमाल किया जाता है।
उज्जायी प्राणायाम श्वास लेने की पौराणिक तकनीक है, जिसे मौजूदा समय में योगा प्रैक्टिस के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। जब सुचारू रूप से कोई इसे करता है तो उसका मन व दिमाग शांत होता है। वहीं योगा के सभी एलीमेंट की तरह ही इसे करने के लिए प्रैक्टिस, धैर्य, खुले विचारों व दिल से किया जाए तो इसके काफी फायदे मिलते हैं।
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संस्कृत के शब्दों से बना है उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) शब्द पर गौर करें यह संस्कृत के शब्द हैं, उद् का अर्थ रूट और जि से है और उज्जि का अर्थ जीतने के लिए / विजयी होना (To be victorious), यही वजह है कि उज्जायी ब्रीद व श्वास (Breathing) को विक्टोरियस ब्रीद व विजयी श्वास कहा जाता है। उसी तरह प्राणायाम भी संस्कृत से लिए गए शब्द हैं। इसमें प्राणा का अर्थ जीवन शक्ति से, आयाम का अर्थ कंट्रोल से है। यही वजह है कि प्राणायाम का अर्थ श्वासों पर कंट्रोल करना है।
इस आर्टिकल में समझेंगे:-
- उज्जायी प्राणायाम के फायदे क्या हैं?
- उज्जायी प्राणायाम करने की सही विधि क्या है?
- उज्जायी प्राणायाम के अन्य लाभ क्या हैं ?
- उज्जायी प्राणायाम को किसे नहीं करना चाहिए?
उज्जायी प्राणायाम के फायदे (Benefits of Ujjayi Pranayama)
उज्जायी प्राणायाम करने से शरीर में फ्रेश ऑक्सीजन का प्रवाह होता है, इससे व्यक्ति खुद को तरोताजा और रिलेक्स महसूस करता है। जब कोई व्यक्ति इस योगाभ्यास को सही से करता है तो उसे आंतरिक तौर पर गर्मी मिलती है, जिससे शरीर में एनर्जी का संचार होता है। जीवन शक्ति के विकास के लिए इस योगाभ्यास को किया जाता है। यह प्राणायाम श्वासों की मदद से किया जाने वाला योग है। इस योगाभ्यास को करने से थ्रोट के फ्रिक्शन से स्वांसों की आवाज निकलती है, यह आवाज समुद्र की लहरों के समान होती है।
इस योग को करने से श्वास साफ तौर पर सुनाई देता है। इसे करने से हमारा दिमाग काफी ज्यादा अलर्ट होता है और आत्मा की शांति महसूस होती है। नियमित दिनचर्या में हम इस योग को शामिल करें तो हमारे आसपास क्या हो रहा व क्या नहीं उसके प्रति हमारा दिमाग पूरी तरह एकाग्र हो जाएगा। उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को आप चाहें तो मैट पर या फिर मैट के बिना भी प्रैक्टिस कर सकते हैं। ऐसे में जब भी आप स्ट्रेस्ड और असहज महसूस कर रहे हैं तो जरूरी है कि आप उज्जायी प्राणायाम करें। इसे कर आप शारिरिक और मानसिक रूप से शरीर को आराम पहुंचा सकते हैं।
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उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) कैसे करें?
एक्सपर्ट बताते हैं कि उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने के लिए गले को टाइट कर सांस भरते हैं। फिर यथाशक्ति उसे रोकने के बाद दायीं नाक को बंद कर बाएं से श्वास छोड़ देते हैं। इसे करने के क्रम में यानि श्वांस लेने के क्रम में हमारे थ्रोट से एक आवाज आती है। गले की एक्सरसाइज, थायराइड के लिए, रात को सोते सोते श्वांस रुक जाए, खर्राटे के लिए, जो बच्चे हकलाते हैं उनके लिए, टॉन्सिल के लिए उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। बता दें कि इसे 12 से 21 बार कर सकते हैं, फिर श्वास को दूसरे नाक से भी इसी प्रकार बंद कर छोड़ना होता है।
हाइपो या फिर हाइपर थायराइड (Thyroid) की बीमारी से बचने के लिए, इसके लिए जिनका बार बार गला खराब होता है उनके लिए आप इस योगाभ्यास को कर सकते हैं। इस प्राणायाम की खासियत है कि इसे दिन में कभी भी किया जा सकता है। जैसे कपालभाती व अन्य प्राणायाम हैं जिन्हें खाना खाने के बाद एक्सपर्ट करने की सलाह नहीं देते हैं लेकिन इसे आप कभी भी कर सकते हैं।
इसमें कोई खास सावधानी की बात नहीं है, इसे बच्चों से लेकर बड़े किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं। वैसे लोग जो हकलाते हैं, खासतौर पर बच्चे यदि इसे करें तो उनका हकलाना भी ठीक हो सकता है। इसे करने से जिंदगी में टांसिल (Tonsil) की बीमारी कभी नहीं होगी। सबसे खास यह कि पार्किंनसन, गले का पैरालाइसिस, स्वर भंग (आवाज बैठने) पर कपालभाती और उज्जायी प्राणायाम काफी लाभकारी होता है।
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उज्जायी प्राणायाम के अन्य लाभ (Benefits of Ujjayi Pranayama)
- इसे करने से शरीर में तरल की अधिकता होती है
- फेल्गम को क्लीयर करने के साथ भूख बढ़ाता है
- क्रॉनिक कोल्ड के साथ कफ, इनडायजेशन, लिवर की समस्याओं के साथ पेचिश, बुखार सहित अन्य बीमारियों से निजात दिलाने में काफी लाभकारी होता है।
- घटुशुद्दि के साथ शरीर में सात घातुस (एलिमेंट) जैसे स्किन, मांस, खून, हड्डियां, मैरो, फैट और सीमेन को तंदरुस्त रखता है
- उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने से हमारी आवाज में शुद्धि आ जाती है
- अस्थमा या सांस से संबंधित परेशानी को दूर करने के लिए
- कोलेस्ट्रॉल लेवल को बैलेंस्ड रखने में
- साइनस, गठिया, माइग्रेन एवं मोतियाबिंद जैसी परेशानी को दूर करने में
- शारीरिक परेशानी एवं मानसिक परेशानी दोनों को ही दूर रखने में उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) आपका साथ निभाता है
एथलीट के उज्जायी ब्रीद
जब आप एरोबिक एक्सरसाइज करते हैं उसके लिए भी उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) काफी लाभकारी होता है, खासतौर पर साइकलिंग और रनिंग जैसे स्पोर्ट्स में आप हिस्सा लेते हैं तो यह एक्सरसाइज आपके लिए बेस्ट है। कई ओलंपिक विजेता एथलीटों ने यह बात कही है कि उन्होंने ट्रेनिंग सेशन में उज्जायी प्राणायाम को शामिल किया था, ताकि अपनी रेस्पिरेटरी इफीशिएंशी को बढ़ा सकें। वहीं रेस के पहले होने वाले तनाव (Tension) से मुक्ति पा सकें। आप इस एक्सरसाइज ट्रिक का इस्तेमाल अपने आप पर भी कर सकते हैं जब आप वर्किंग कर रहे हो तब।
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मुश्किल विचारों को कंट्रोल करने में करता है मदद
जब भी आप तनाव (Tension) से जूझ रहे होते हैं तो आप यदि उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) करेंगे तो आपको काफी रिलेक्स मिलेगा। ऐसे में जब भी आप तनाव महसूस करें तो चार गिनने तक श्वास लें, फिर चार गिनने तक श्वास को होल्ड कर अंदर रखें, फिर श्वास को चार गिनती के क्रम में ही निकाल दें। ऐसा करीब दस बार करें। आप खुद इस बाद का एहसास करेंगे कि आप थोड़े तनाव मुक्त हुए होंगे।
उज्जायी ब्रीद के पीछे की साइंस
पौराणिक काल में योगी, साधु व महात्मा अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी साइंटिफिक तरीके से सोचते थे। हजारों साल पहले ही उन्होंने यह भांप लिया कि हमारे श्वास का कनेक्शन हमारे दिमाग के साथ है। उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने के दौरान इंटर्नल हीट हासिल होती है। श्वास जब हमारे थ्रोट से होते हुए हमारे लंग्स के जरिए जब शरीर में जाती है तो इससे हमारे आंतरिक ऑर्गन को ऑक्सीजन के रूप में ऊर्जा हासिल होती है।
उज्जायी ब्रीद को कई बार साइकिक ब्रिद भी कहा जाता है। इस योग को करने में थ्रोट का कम इस्तेमाल होने के कारण हमारा लंग्स (Lungs) ज्यादा से ज्यादा सांस लेने के लिए फूलता है। वहीं जब सांस छोड़ते हैं तो उसी क्रम में हमारा लंग्स (Lungs) और पेट सिकुड़ता है। ऐसे में लंग्स के जिस भाग का इस्तेमाल नहीं होता है उसमें भी काफी मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई होती है।
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जबतक हम दौड़ते नहीं तबतक हमारा खून, फ्लूइड और नर्वस एनर्जी का इस्तेमाल शरीर सामान्य रूप से नहीं कर पाता। वहीं जब हम एक्सरसाइज करते हैं तो हमारा मसल्स कॉन्ट्रैक्ट होता है, यही फायदा हमें उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने से मिलता है। हमारे शरीर का मसल्स रिलेक्स हो जाता है। जिससे शरीर को काफी आराम मिलता है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट की सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को किसे नहीं करना चाहिए?
उज्जायी प्राणायाम को उन्हें नहीं करना चाहिए जिनका थायराइड (Thyroid) लेवल सामान्य से ज्यादा बढ़ा हुआ हो। जरूरी है कि ऐसे लोगों को एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। वहीं यदि इस प्राणायाम को करना चाहिए तो एक्सपर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए करना चाहिए। सबसे जरूरी लो ब्लड प्रेशर (निम्न रक्तचाप) के रोगियों को भी उज्जायी प्राणायाम को नहीं करना चाहिए। वहीं हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट (Heart) संबंधी मरीजों को कुंभक नहीं करना चाहिए। इसके लिए एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। किसे के कहने पर उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) न करें। क्योंकि आपकी शारीरिक बनावट और आपकी शारीरिक क्षमता को समझते हुए हेल्थ एक्सपर्ट आपको सही सलाह देंगे।
मेंटल रिलेक्शन के लिए है काफी लाभकारी
उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) के बारे में जानकर हमें यह पता चला कि इसे कर हम शारिरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ्य रह सकते हैं। इसे कर हम ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम में और इजाफा कर सकते हैं, इतना ही नहीं हम इस योगाभ्यास को कर मानसिक तौर पर रिलेक्स फील करते हैं और हम रोजमर्रा के तनाव को मिटा सकते हैं। ऐसे में सभी यही होगा कि तनाव भरी जिंदगी से आराम पाने के लिए हमें अपने जीवन में इस एक्सरसाइज को शामिल करना चाहिए। लेकिन सबसे जरूरी यही है कि हाइपरसेंसिटिव मरीज इस योगाभ्यास को योग प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करें अन्यथा इसे न दोहराए। वहीं आम से लेकर खास सभी व्यक्तियों के लिए जरूरी है कि जबतक वो न सीखें तबतक उन्हें योग प्रशिक्षक के निर्देशन में इस योगाभ्यास को दोहराना चाहिए।
इस आसन को नियमित एवं सही तरह से करने पर शरीर के सभी टॉक्सिन्स को आसानी से निकाला जा सकता है, जिससे सांस संबंधित परेशानी दूर होती है और शरीर में हॉर्मोनल संतुलन बना रहता है। अगर आप उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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