फिट एंड टोन्ड बॉडी के लिए आजकल लोग हायपरट्रॉफी ट्रेनिंग और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी करने लगे हैं। ये दोनों ट्रेनिंग जिम में अधिक इस्तेमाल की जाने वाली ट्रेनिंग में से एक हैं। ये दोनों ही वेट लिफ्टिंग (Weight lifting) और वेट मैनेजमंट ट्रेनिंग (Weight management Training) हैं। टोन्ड बॉडी के लिए ये ऐसी एक्सराइज हैं, जिनमें मसल्स के साइज और उसकी स्ट्रेंथ, दोनों पर ध्यान दिया जाता है। इससे आपकी बॉडी को शेपअप मिलता है और ओबेसिटी की समस्या भी कंट्रोल होती है। इन दोनों का रोल और जरूरत सभी के लिए अलग-अगल हो सकती हैं, जैसे कि:
- यदि आप अपने मसल्स के आकार को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके लिए हायपरट्रॉफी ट्रेनिंग है।
- यदि आप अपनी मसल्स की क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग है।
यह दोनों एक प्रकार की वेट ट्रेनिंग है। जिनमें ये चीजें शामिल हैं, जैसे कि:
- फ्री वेट ( बारबेल्स, डंबल्स और कैटल बेल्स)
- वेट मशीन ( पुली एंड स्टैक्स)
- बॉडी वेट के लिए (पुश्अप एंड चिनअप )
इन दोनों को बारे में जानने के लिए हमें सबसे पहले ये हैं क्या और इन दोनों के बीच के अंतर को जानना चाहिए।
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हायपरट्रॉफी (Hypertrophy) बनाम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training): क्या अंतर है?
हायपरट्रॉफी ( Hypertrophy), यानि कि वेट लिफ्टिंग (weight Training) एक ट्रेनिंग है। फिटनेस की भाषा में इसे हम एक तकनीक भी कह सकते हैं। इसमें मांसपेशियों के निमार्ण के साथ उसकी कार्यक्षमता को भी बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। मस्कयुलर ग्रोथ के लिए आज के समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक है। इसमें मसल्स के निमार्ण के साथ बल्की मांसपेशियों को टोनड भी किया जाता है।
इसी तरह स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्सरसाइज में भी पहले वेट लिफ्टिंग पर जोर दिया जाता है। इसमें भी डंबल (Dumble) आदि की सहायता से रेप्स और पेप्स कर मांसपेशियों की क्षमता को बढ़ाया जाता है। हम यह कह सकते हैं कि दोनों की लगभग कुछ हद तक एक हीहैं। हायपरट्रॉफी बनाम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के प्रॉसेज में लगभग काफी सामान्ताएं हैं। दोनों में ही पहले वेट लिफ्टिंग के कुछ नियमों पालन करना जरूरी है। इनके स्टेप्स में आपको बेसिक से लेकर एडवांस एक्सरसाइज तक करायी जाती है। यानि की आपकी मसल्स की स्ट्रेंथ को धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। यह दोनों जिम में ही करायी जाने वाली वेट लिफ्टिंग एक्सरसाइज है।
हालांकि, कुछ लोग इसे केवल अपने शरीर की स्टेमिना बनाए रखने के लिए डेली एक्सरसाइज के तौर पर भी करते हैं। इसे शरीर वेट उतना ही बना रहता है और बॉडी एक्टिव भी रहती है। इसके अलावा, जिनकी बॉडी बल्की हो चुकी होती है। उनके लिए भी यह एक्सरसाइज बेस्ट है। जहां तक हमने यह जाना कि हायपरट्रॉफी बनाम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में प्रॉसेज में काफी समानताएं हैं। लेकिन अब हम इन दोनों के बीच के थोड़े से अंतर को भी समझते हैं।
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हायपरट्रॉफी (Hypertrophy) और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training) के बीच अंतर
अगर हम साफ-साफ बात करें, तो इन दोनों में सबसे बड़ा पाया जाने वाला फर्क यह है कि हायपरट्राॅफी एक्सरसाइज बॉडी बिल्डर के लिए होती है। बल्कि साधारण लोगों के लिए टोनड बॉडी के लिए स्टेंथ ट्रेनिंग होती है। हम यह भी कह सकते कि हायपरट्रॉफी, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का एडवांस रूप है।
इसके अलावा, इन दोनों में पाए जाने वाले अंतर कुछ इस प्रकार हैं:
- हायपरट्रॉफी में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के मुकाबले अधिक सेट होते हैं और समय भी अधिक लगता है।
- हायपरट्रॉफी में कंपाउंट लिफ्ट की जरूरत हाेती है। क्योंकि इसमें मांसपेरशियों के विकास पर फोक्स किया जाता है।
- स्ट्रेंथ एक्सरसाइज में थोड़े सिंपल स्टेप्स होते हैं
- जिनका प्रभाव मांसपेशियों की क्षमता में पड़ रहा होता है।
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में मुख्य रूप से फ्री वेट पर जोर दिया जाता है। बल्कि हायपरट्रॉफी में मशीन पर ज्यादा फाेक्स किया जाता है।
- इन दोनों की स्पीड में भी काफी अंतर होता है। हायपरट्रॉफी में ज्यादा समय लगता है। इसका परिणाम भी पहले सामने आता है।
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इन दोनों के बीच पाएं जाने वाली कुछ सामानताएं भी इस प्रकार हैं:
हायपरट्रॉफी और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के बीच कुछ समानताएं भी हैं, जो इस प्रकार हैं, जैसे कि:
- दोनों में स्कावेयट, ब्रेंच प्रेस, ओवर हेड प्रेस एंड पुलअप जैसी एक्सरसाइज सामान होती हैं।
- इन दोनों में जो एक सामानता और पायी जाती है, ये दोनों ही अपर-लोअर बॉडी, फुल बॉडी या शरीर के किसी एक जरूरमंद हिस्से के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दोनों का प्रॉसेज लगभग एक है।
- चाहें हायपरट्रॉफी हो या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हो, दोनों के लिए डेडिकेशन की जरूरत होती है।
- हायपरट्रॉफी के लिए, फास्ट सपीड में सेट और रेप्स पर फोक्स किया जाता है। इसके एक सेट की अवधि में 1 से 3 मिनट तक का समय लगता है।
- स्ट्रेथ ट्रेनिंग में मांसपेशियों की क्षमता को बढ़ाने के लिए जोर दिया जाता है। इसके एक सेट को करने में 3 से 5 मिनट का समय लगता है।
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स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (Strength Training) आपकी इन समस्याओं मदद कर सकता है:
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग केवल बॉडी फिटनेस के लिए ही नहीं, बल्कि और भी कई बीमारियों को ठीक करने में फायदेमंद है, जैसे कि:
- वेट कंट्रोल के लिए
- वेट मैनेजमेंट के लिए
- ब्लड प्रेशर की समस्या को कम करने के लिए
- ऑस्टियोपोरोसिस
- पुरानी स्थितियों के लक्षणों को कम करें, जैसे:
- पीठ दर्द की समस्या में
- वात रोग
- हार्ट डिजीज के लिए
- मधुमेह
- डिप्रेशन को कम करता है।
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हायपरट्रॉफी ट्रेनिंग (Benefits of)के बेनेफिट्स
हायपरट्रॉफी प्रशिक्षण के लाभों में से एक सौंदर्य है यदि आपको लगता है कि बड़ी मांसपेशियां अच्छी लगती हैं। हायपरट्रॉफी प्रशिक्षण के अन्य लाभों में शामिल हैं:
- शरीर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
- कैलोरी को आसानी से घटाता है, जो वजन घटाने में सहायता कर सकता है
- मांसपेशियों को बैलेंस और टोनंड करता है।
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क्या न करें
- बहुत तेजी से उठने से बचें। नहीं तो आपको चोट लग सकती है।
- वेट लिफ्ट करते समय सांस को रोककर रखने से रक्तचाप में तेजी से वृद्धि हो सकती है। ऐसा करने से बचे या हर्निया हो सकता है।
- वर्कआउट के बीच पर्याप्त आराम नहीं करने से टिश्यू डैमेज हो सकता है और चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है, जैसे टेंडिनोसिस और टेंडिनिटिस।
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स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के दिशानिर्देश (Strength Training Rules)
स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के साथ जरूरी है अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना, जिसके लिए कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना भी जरूरी है:
- प्रति सप्ताह 2-4 दिन ही हैवी लिफ्ट एक्सरसाइज करें।
- वाॅर्मअप करने के बाद, 1-3 तरह के ही हैवीवेट इक्यूपमेंट (जैसे स्क्वेट्स, डेडलिफ्ट, बेंच प्रेस, ओवरहेड प्रेस, या पुल-अप) के साथ शुरू करें।
- अपने अनुभव और सहुलियत के अनुसार, प्रति कंपाउंड लिफ्ट सेट के 1-5 एक्सरसाइज के लगभग 5-10 सेट करें।
- हेवी लिफ्टिंग के बीच कुछ सेकेंड का गैप लें।
- अपने एक्सरसाइज के लिए, 1-2 मिनट की बाकी अवधि और मैनुअल एक्सरसाइज करें।
- सभी वर्कआउट को कम से कम 45 मिनट लगभग करना चाहिए।
- लिफ्टिंग के समय आप प्रोटीन शेक का सेवन करें।
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हायपरट्रॉफी ट्रनिंग के दिशानिर्देश (Hypertrophy rules)
हायपरट्रॉफी के साथ जरूरी है अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना, जिसके लिए कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना भी जरूरी है:
- प्रति सप्ताह 3-6 दिन लिफ्ट करें।
- वाॅर्मअप करने के बाद आप 5-12 सेट्स करने की कोशिश करें।
- वर्कआउट में कम रेप्स के साथ हैवी लिफ्ट करें।
- एकदम से हैवी वर्कआउट न करे।
यदि आपको किसी प्रकार की फिजिकल प्रॉब्लम पहले से है, तो आप कोई भी एक्सरसाइजन अपने मन से न करें। नहीं तो आपके लिए इसके उल्टे परिणाम भी हो सकते हैं। अगर आपको कोई डिजीज है, तो आप पहले डॉक्टर की सलाह लें। फिर किसी भी प्रकार की फिटनेस ट्रेनिंग शुरू करें।
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