हमारे पाचन तंत्र के आखिरी सिरे पर कोलन होता है, जिसके आखिरी सिरे पर रेक्टम होता है। रेक्टम हमारे शरीर द्वारा निष्कासन के लिए तैयार किए गए मल को बाहर निकालने से पहले स्टोर करके रखता है। इसमें होने वाले कैंसर को रेक्टल कैंसर कहा जाता है। हालांकि, कोलन का हिस्सा होने की वजह से इसे कोलन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और बोवेल कैंसर भी कहा जाता है। रेक्टल कैंसर का इलाज भी कोलन कैंसर के इलाज की तरह ही होता है, लेकिन चूंकि यह उसके भी अंतिम सिरे पर है तो रेक्टल कैंसर के ट्रीटमेंट में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। रेक्टल कैंसर का इलाज उसकी स्टेज पर निर्भर करता है, इस आर्टिकल में आप जानेंगे स्टेज के मुताबिक रेक्टल कैंसर का ट्रीटमेंट कैसे होता है।
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रेक्टल कैंसर का इलाज : पहले जानते हैं कि यह होता कैसे है?
रेक्टल कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, हालांकि ज्यादातर यह बुजुर्गों को प्रभावित करता है। इस गंभीर समस्या में आमतौर पर सबसे पहले छोटे, गैर कैंसरकृत (बिनाइन) ट्यूमर कोलन या रेक्टम के अंदर होने लगते हैं। समय के साथ यह गैरकैंसरकृत ट्यूमर कैंसरकृत ट्यूमर में बदल जाते हैं और रेक्टल कैंसर की समस्या हो जाती है। धीरे-धीरे यह ट्यूमर आपके कोलन या रेक्टम में फैलने लगते हैं, जिससे आपके कैंसर की स्टेज निर्धारित होती है।
ट्यूमर क्यों बनते हैं?
रेक्टल कैंसर की समस्या के साथ यह भी समझ लेते हैं कि ट्यूमर क्यों बनता है? दरअसल, हमारे शरीर के प्रत्येक अंग में नई कोशिकाओं यानी सेल्स का निर्माण और पुरानी कोशिकाओं के नष्ट होने की प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से चलती रहती है। लेकिन, जब इस प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार डीएनए में किन्हीं कारणों से समस्या आ जाती है, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है और नई कोशिकाएं बहुत तेज गति से विकसित होने लगती हैं व पुरानी सेल्स नष्ट नहीं होती हैं, जिससे उस जगह पर पहले सूजन और फिर बाद में ट्यूमर का विकास होता है।
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रेक्टल कैंसर का इलाज : इसकी वजह से होने वाली समस्याएं या लक्षण क्या हैं?
रेक्टल कैंसर होने की वजह से आपके शरीर में कई शारीरिक समस्याएं इसके लक्षणों के रूप में दिख सकती हैं। जैसे-
- मल त्यागने की प्रक्रिया में बदलाव
- मल के साथ खून आना
- रेक्टल ब्लीडिंग होना
- बोवेल मूवमेंट बाधित होना
- मल त्यागने में बाधा आना
- कब्ज या पेट में दर्द
- वजन घटना
- थकान या कमजोरी
- पेट में गैस की समस्या, आदि
रेक्टल कैंसर का इलाज : डॉक्टर इसका पता कैसे लगाते हैं?
रेक्टल कैंसर का इलाज करने के लिए डॉक्टर पहले उसकी स्टेज या गंभीरता का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट्स करवाते हैं।
- फिजीकल एग्जाम और हिस्ट्री
- कोलोनस्कोपी
- डिजीटल रेक्टल एग्जाम (डीआरई)
- बायोस्पी
- एंडोरेक्टल अल्ट्रासाउंड
- पीईटी स्कैन
- एमआरआई
- सीटी स्कैन
- एक्सरे
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रेक्टल कैंसर का इलाज : रेक्टल कैंसर की स्टेज क्या है?
हमारे शरीर में कोलन या रेक्टम के तीन हिस्से होते हैं। पहला म्यूकोसा (Mucosa), दूसरा और मध्य हिस्सा मस्क्युलरिस प्रोप्रिया (Muscularis propria) और आखिरी व बाहरी हिस्सा मेसोरेक्टम (Mesorectum) होता है। म्यूकोसा रेक्टल वॉल का आंतरिक हिस्सा होता है, जिसमें मौजूद ग्लैंड्स म्यूकस का निर्माण करती हैं, जो मल के आराम से निकलने में मदद करती हैं। इसके बाद मस्क्युलरिस प्रोप्रिया रेक्टल वॉल का मध्य हिस्सा होता है, जिसमें रेक्टम के आकार और संकुचन आदि प्रक्रिया के लिए जरूरी मसल्स होती हैं। इसके बाद मेसोरेक्टम रेक्टल वॉल का बाहरी हिस्सा होता है, जो उसे सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक फैटी लेयर होती है। इन तीन लेयर के साथ रेक्टम के आसपास मौजूद लिंफ नोड्स होते हैं, जो कि वैसे तो इम्यून सिस्टम का हिस्सा होता है, लेकिन रेक्टम या शरीर के किसी भी ऑर्गन को वायरस या बैक्टीरिया जैसे खतरनाक तत्व से सुरक्षा प्रदान करता है।
स्टेज 0 – रेक्टल कैंसर का इलाज उसकी स्टेज पर निर्भर करता है। इस गंभीर बीमारी की स्टेज 0 में रेक्टम वॉल के अंदरुनी हिस्से म्यूकोसा में कुछ असामान्य कोशिकाएं दिखना शुरू हो जाती हैं।
स्टेज 1 – स्टेज 1 में कैंसरकृत कोशिकाएं रेक्टम वॉल के अंदरुनी और मध्य हिस्से तक फैलने लगती हैं। लेकिन, अभी इससे रेक्टम का बाहरी हिस्सा और लिम्फ नोड्स अप्रभावित रहते हैं।
स्टेज 2 – रेक्टल कैंसर की स्टेज 2 में ट्यूमर या कैंसर सेल्स रेक्टम की दीवार यानी मेसोरेक्टम के बाहर आ जाता है, लेकिन अभी भी लिम्फ नोड अप्रभावित रहते हैं। इस स्टेज को 2ए और 2बी दो हिस्से में बांटा गया है।
स्टेज 3 – इस हिस्से के कैंसर की स्टेज में कैंसरकृत ट्यूमर रेक्टम के साथ-साथ लिम्फ नोड्स में भी फैल जाता है और उससे प्रभावित क्षेत्र के आधार पर इस स्टेज को 3ए, 3बी और 3सी में बांटा गया है।
स्टेज 4 – रेक्टल कैंसर की स्टेज 4 में कैंसर ट्यूमर रेक्टल या कोलन एरिया से बाहर फैलकर शरीर के दूसरे अंगों तक फैलने लगता है। यह स्टेज कैंसर की सबसे गंभीर और खतरनाक चरण होता है।
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स्टेज के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज कैसे होता है?
रेक्टल कैंसर का इलाज उसकी स्टेज के मुताबिक होता है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
स्टेज 0 के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज
इस स्टेज के इलाज में डॉक्टर रेक्टम के अंदरुनी हिस्से में विकसित होनी शुरू हुई कैंसरकृत सेल्स को या फिर इस अंग के छोटे से हिस्से को ही हटा देते हैं। जिसके लिए वह एक्सटर्नल रेडिएशन थेरेपी या इंटरनल रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल करते हैं।
स्टेज 1 के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज
इस स्टेज में कैंसर रेक्टम के अंदरुनी हिस्से में फैल चुका होता है और मध्य हिस्से में प्रवेश करने लगता है। अगर आपकी उम्र ज्यादा है या ट्यूमर का आकार छोटा है, तो इसके इलाज के लिए सिर्फ रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन, इस स्टेज के लिए सबसे ज्यादा सर्जरी प्रभावित होती है। स्टेज 1 के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज में सर्जरी के साथ कीमोथेरिपी की भी मदद ली जा सकती है।
स्टेज 2 के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज
इस स्टेज में कैंसर रेक्टम के सभी हिस्सों में फैल जाता है और ब्लैडर, यूट्रस और प्रोस्टेट ग्लैंड जैसे आसपास के अंगों को भी प्रभावित करना शुरू कर देता है। इस स्टेज में कैंसर से प्रभावित सभी अंगों की सर्जरी और सर्जरी से पहले या बाद में कीमोथेरिपी के साथ रेडिएशन थेरिपी की जाती है।
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स्टेज 3 के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज
चूंकि इस स्टेज में ट्यूमर लिम्फ नोड्स में भी फैल जाता है और इसके इलाज में ट्यूमर को हटाने की सर्जरी, सर्जरी के बाद या पहले कीमोथेरिपी के साथ रेडिएशन थेरिपी की जाती है।
स्टेज 4 के मुताबिक रेक्टल कैंसर का इलाज
रेक्टल कैंसर के इलाज में स्टेज 4 काफी खतरनाक और मुश्किल होती है। क्योंकि, इस चरण में कैंसर रेक्टम के साथ लिवर या लंग जैसे दूसरे अंगों को भी प्रभावित कर चुका होता है। इस स्टेज का मुख्य इलाज कीमोथेरिपी होती है। हालांकि, डॉक्टर इसके साथ ट्यूमर की सर्जरी भी कर सकता है। इस चरण में रेक्टल ब्लीडिंग को रोकने या कम करने के लिए सर्जरी की जाती है, जो कि किसी और विकल्प की मदद से नहीं की जा सकती है। हालांकि, सर्जरी से इसके इलाज का दावा नहीं किया जा सकता है, लेकिन संभावना बढ़ जाती हैं। किसी प्रकार की अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान और उपचार प्रदान नहीं करता।
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