कैसे किया जाता है आई कैंसर का टेस्ट ?
अगर आपको आंखों में कुछ अलग किस्म के लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। डॉक्टर कुछ इमेजिंग टेस्ट करके देखेगा।
अल्ट्रासाउंड
हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेव की हेल्प से आंखों के अंदर के स्ट्रक्चर की जांच की जाती है। अल्ट्रासाउंड की हेल्प से आई मेलेनोमा की जांच की जा सकती है। साथ ही अल्ट्रासाउंड स्कैन ट्यूमर की मोटाई निर्धारित करने में भी मदद कर सकता है।
फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी
डॉक्टर यलो कलर की डाई की व्यक्ति की वेंस में इंजेक्ट करता है और फिर कैमरे की हेल्प से आंखों की तस्वीर ली जाती है। ईमेज की हेल्प से डाई के फ्लो को दिखाया जाता है और साथ ही रेटीना की ब्लड वैसेल्स भी दिखने लगती हैं।अगर डॉक्टर को कैंसर का पता चल जाता है तो डॉक्टर पेशेंट को ऑन्कोलॉजिस्ट के पास रिफर कर सकते हैं।
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आई कैंसर का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है ?
आई कैंसर का ट्रीटमेंट बहुत से फैक्टर पर डिपेंड करता है। कुछ फैक्टर जैसे कि आंख में कैंसर ने किस भाग को प्रभावित किया है, ट्यूमर का साइज कितना और किस टाइप का ट्यूमर है। साथ ही व्यक्ति की ओवरऑल हेल्थ का चेकअप भी किया जाता है। अगर आंख में मेलेनोमा का असर दिख रहा है तो डॉक्टर तुरंत ट्रीटमेंट करने के बजाय कुछ समय तक मॉनिटरिंग करता है। ऐसे में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप से आंख की रोशनी भी जा सकती है। कैंसर के इलाज के लिए ऑप्शन भी उपलब्ध होते हैं।

सर्जरी
आंख के कैंसर के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की सर्जरी अपनाई जा सकती है।
इरिडेक्टॉमी (Iridectomy)
सर्जन छोटे मेलेनोमा वाली परत के कुछ हिस्सों को हटा देगा जो आंख के अन्य भागों में नहीं फैलते हैं।
इरिडोट्रेबिकुलेक्टोमी( Iridotrabeculectomy)
इस सर्जरी की हेल्प से उन टिशू को हटा दिया जाता है जिनसे कैंसर होने का खतरा रहता है।
इरिडोसाइक्लिटॉमी (Iridocyclectomy)
इस सर्जरी में डॉक्टर आईरिस और सिलिअरी बॉडी के हिस्से को हटा देता है।सिलिअरी बॉडी में रक्त वाहिकाएं होती हैं। ये आंख के वाइट और रेटीना के बीच की पतली परत होती है।
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कोरॉएडेक्टमी (Choroidectomy)
इस सर्जरी में सर्जन कोरॉइड का हिस्सा निकाल सकता है या फिर आईवॉल सेक्शन को भी हटा सकता है। कोरॉइड आंख का पिंगमेंट पार्ट होता है जिसमे ब्लड वैसल्स होती हैं। रेडिएशन थेरेपी का यूज भी किया जा सकता है।
इन्युक्लिएशन (Enucleation)
इस स्थिति में सर्जन पूरी आंख निकाल सकता है। इस सर्जरी की जरूरत तब पड़ती है जब ट्यूमर बहुत बड़ा हो जाता है। ऐसे में किसी और ट्रीटमेंट को अपनाया नहीं जा सकता है। ट्रीटमेंट के बाद आंख का अधिकतर हिस्से का लॉस हो जाता है। जिन लोगों को ट्यूमर की वजह से आंख में दर्द होता है, उनके लिए भी ये प्रोसीजर अपनाया जा सकता है।
रेडिएशन और अन्य टार्गेट थेरेपी
रेडिएशन थेरेपी की हेल्प से कैंसर सेल्स के जेनेटिक मैटीरियल्स को खत्म किया जा सकता है। ऐसा करने से कैंसर सेल्स रिप्रोड्यूस नहीं हो पाता है। हेल्थ प्रोफेसनल्स रेडिएशन के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं कि केवल कैंसर सेल्स ही टार्गेट हो, हेल्दी सेल्स को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे।
टेलीथेरेपी (Teletherapy)
इस प्रोसीजर में पेशेंट के शरीर के बाहर रेडिएशन उत्पन्न किया जाता है। आंख में घातक कोशिकाओं को इस प्रोसीजर की हेल्प से खत्म किया जाता है।
ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy)
इस थेरेपी में टेम्पररी रूप से ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए आंखों में छोटा रेडियोएक्टिव सीड डाला जाता है। ये आंख में चार से पांच दिन के लिए रहता है और रेडिएशन उत्पन्न करता है। इससे ट्युमर धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। डॉक्टर इस बात की जांच करता रहता है कि ट्यूमर का आकार कितना बचा है।
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आई कैंसर के कॉम्प्लीकेशन क्या हैं ?
आंख में प्रेशर बढ़ जाना (ग्लूकोमा)
आई मेलेनोमा की वजह से आंख में ग्लूकोमा की समस्या भी हो सकती है। ग्लूकोमा के कारण आंखों में दर्द की समस्या, आंख में लालिमा, आंख से साफ न दिखाई देना, आदि लक्षण शामिल होते हैं।
विजन लॉस की समस्या
लार्ज आई मेलेनोमा की वजह से विजन लॉस की समस्या भी हो सकती है।ऐसे में आंखों में कॉम्प्लीकेशन जैसे की रेटीनल डिटेचमेंट और विजन लॉस की समस्या हो सकती है।
पूरी तरह से जा सकती है रोशनी
स्मॉल आई मेलेनोमा के कारण आंख की पूरी रोशनी खोने का खतरा रहता है।आपको सेंटर में देखने में या फिर किसी भी दिशा की तरह देखने में समस्या महसूस हो सकती है। एडवांस आई मेलेनोमा से भी आंख की रोशनी खोने का खतरा रहता है।
शरीर के अन्य अंग होते हैं प्रभावित
आई मेलेनोमा से सिर्फ आंख ही प्रभावित नहीं होती है, बल्कि शरीर के अन्य अंगों में भी कैंसर फैलने का खतरा रहता है। शरीर में लिवर कैंसर , लंग कैंसर और बोंस में समस्या उत्पन्न हो सकती है।
डॉक्टर से कब करें संपर्क ?
आंखें शरीर का बहुत ही नाजुक हिस्सा होती है। आंखों में समस्या किसी भी व्यक्ति को परेशान कर सकती है। अगर आपको उपरोक्त लक्षण नजर आएं तो बिना देरी के तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर को अपनी समस्या बताएं। डॉक्टर आपकी जरूरी जांच करेंगे। अगर आपको आई कैंसर की समस्या है तो डॉक्टर उसका समाधान भी बताएंगे। आंखों में किस ट्रीटमेंट को करना चाहिए, ये बात कैंसर के टाइप पर डिपेंड करती है।
आई कैंसर के आमतौर पर लक्षण नजर नहीं आते हैं। बच्चों में भी कैंसर का खतरा रहता है। बेहतर रहेगा कि आप अपने साथ ही बच्चों की दृष्टि का भी ध्यान रखें। किसी भी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।