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क्या होती हैं पेट की बीमारियां? क्या हैं इनके खतरे?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/05/2021

    क्या होती हैं पेट की बीमारियां? क्या हैं इनके खतरे?

    पेट की समस्या की शुरुआत हमारी दिनचर्या पर काफी हद तक निर्भर करती है। हम ऑफिस, घर और बाहर के कामों में इतना उलझ जाते हैं कि खाना समय पर खाना हमारी प्राथमिकता से हट गया है। जब समय मिलता है  हम जाकर हम खाना खाते हैं। अगर हम हेल्दी खाने की बात करें तो बहुत कम लोग होते हैं, जो इस बारें में सोचते हैं। आज के समय में हमे सिर्फ पेट भरने भर से मतलब है। जब शरीर में हेल्दी खाना नहीं पहुंचता है तो शरीर को ठीक तरह से एनर्जी नहीं मिलती है। साथ ही जरूरत के न्यूट्रिएन्ट्स न मिलने के कारण शरीर सही तरीके से काम नहीं कर पाता है। ऐसे में अपच, गैस की समस्या, पेट फूलने की समस्या, पेट के अल्सर की परेशानी के साथ ही अन्य पेट की बीमारी शुरू हो जाती हैं। पेट की समस्याएं इसी तरह जन्म लेने लगती हैं।

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    क्या है पेट की बीमारी या समस्या ?

    गैस्ट्रोइसोफेगल रीफ्लक्स (GERD Disease)

    गैस्ट्रोइसोफेगल रीफ्लक्स (GERD) पाचन संबंधी सामस्या है। इसमें पेट और गले के बीच मौजूद मसल रिंग प्रभावित होती है। GERD में पेट के अंदर मौजूद अम्ल (Acid) इसोफेगस यानी भोजन नली में वापस चला जाता है। इससे सीने में जलन तो होती है और उल्टी की शिकायत भी होती है। इसके साथ कई परेशानियां जैसे इसोफेगस में छाले और संकुचन जैसी परेशानियां शामिल हैं। अगर लंबे समय तक GERD की समस्या रहती है तो एक नई स्टेज बैरेट्स इसोफेगस शुरू हो जाती है और इसका अगर समय पर इलाज न किया जाए तो इसोफेगस का कैंसर भी हो सकता है।

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    गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग के कारण

    शराब और सिगरेट पीने, फास्ट फूड ज्यादा खाने और काम के वक्त दफ्तर में तनावपूर्ण स्थितियां बनने से होते हैं। साथ ही जेनेटिक रचना में अचानक से आए परिवर्तन के कारण पैंक्रियाटायटिस और पित्ताशय की पथरी जैसे रोग अधिक होते हैं। आसपास का परिवेश और स्वच्छता साफ-सफाई की कमी से हेपेटाइटिस और तपेदिक जैसे संक्रमण होते हैं।

    पाचन नली में सूजन

    क्या आपने कभी सोचा है कि तनाव की वजह से हाजमा खराब हो सकता है? Stress होने पर एड्रिनल ग्रंथियों से एड्रेनैलिन और कॉर्टिसॉल नाम के हार्मोन का स्राव होता है। तनाव की वजह से पूरे पाचन तंत्र में जलन होने लगती है, जिससे पाचन नली में सूजन आ जाती है और इन सबका नतीजा यह होता है कि पोषक तत्व शरीर में कम मात्रा में पहुंचते हैं।

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    पैंक्रियाज और लिवर की समस्या

    हाल के कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि शराब के साथ धूम्रपान का असर लिवर और पैंक्रियाज पर पड़ता है। पैंक्रियाज हर तरह के भोजन को पचाने वाला महत्वपूर्ण ऑर्गेन है जबकि लिवर शरीर में भोजन के पचने के बाद उसके अवशोषण के लिए जरूरी है। लिवर फेल, अपच या कब्ज पेट की बीमारी में सबसे ज्यादा देखने मिलती है।

    आंतों का रोग

    ज्यादा कैलोरी वाले जंक फूड और शराब का अधिक सेवन करने से आंतों पर भी बुरा असर पड़ता है। आज हमारी लिस्ट से रेशेदार भोजन और हरी सब्जियां गायब सी हो गई हैं। इन्हें न खाने से पाचन तंत्र के रोगों का खतरा बढ़ रहा है। इस कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है।  गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, फंक्शनल डिस्पेप्सिया, मोटापा, लिवर में फैट जमना और पेप्टिक अल्सर जैसे रोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

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    एक्सपर्ट की राय

    पेट की समसया होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस बारे में ग्लोब हॉस्पिटल, मुबंई की डॉक्टर दीपक अग्रवाल का कहना है कि आजकल लोगों की लाइफ स्टाइल इतनी ज्यादा बिगड़ चुकी है कि लोगों में पेट की समस्या काफी बढ़ती जा रही है। पेट में गैस बनना आम बात है, लेकिन इसकी वजह से कई बार लोगों के शरीर के और हिस्सों में भी दर्द शुरू हो जाता है। एक आम दिखने वाली गैस की बीमारी कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है। पेट की समस्या पर कई तरह के घरेलू उपायों को भी अपनाया जा सकता है,जैसे कि

    पेट की बीमारियां होने पर करें ये घरेलू उपचार

    1-एसिडिटी के लिए

    एसिडिटी की समस्या भी आजकल लोगों में अधिक देखी जाती है। कई बार पेट लोगों में इसकी समस्या काफी ज्यादा देखी जाती है।  एसिड जरूरत से ज्यादा बनने लगता है। जब पेट में भोजन कम और एसिड ज्यादा होने लगता है, तो  एसिडिटी की समस्या हो जाती है। अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो अपने खानपान में बदलाव लाएं। खाने में मसालेदार और ऑयली भोजन से बचें।  इसके अलावा कई बार लंबे समय तक भूंखे रहने के कारण भी एसिडिटी की समस्या हो जाती है।  इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि एसिडिटी का एक कारण मसालेदार भोजन, तनाव और नींद की कमी है।  एसिडिटी की समस्या से परेशान है तो  केला, तरबूज, पपीता और खीरा खाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। दिन भर में 3 लीटर के लगभग पानी पिएं। सुबह उठकर खाली पर 2 से 3 गिलास, तो जरूर।

    3- उल्टी

    बार-बार उल्टी आना और जी मिचलाना पेट में रोग का कारण हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। उल्टी आने पर आप घरेलू उपचार भी अपना सकते हैं। अदरक का रस इसके लिए काफी प्रभावकारी माना जाता है। आप एक चम्मच शहद में थोड़ा सा अदरक का रस भी मिलाकर के ले सकते हैं।  इसके अलावा पुदीने का तेल भी उल्टी रोकने में मददगार होता है। नींबू का सेवन कर भी उल्टी की समस्या से बचा जा सकता है। पुदीने के पत्ते और शहद की चाय बना कर पीने से भी इस समस्या में फायदा होता है।  उल्टी आने पर लाइट भोजन ही करना चाहिए, जैसे कि दही और चावल या खिचड़ी आदि।

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    4- कब्ज

    कब्ज की समस्या में मरीज का पेट ठीक से साफ नहीं होता और उसे शौच के दौरान काफी दिक्कतें आती हैं । अगर आपको कब्ज की समस्या है, तो सुबह उठने के बाद पानी में नींबू का रस और काला नमक मिलाकर पिएं। इससे आपको काफी आराम होगा और  पेट अच्छी तरह साफ भी होगा। कब्ज की शिकायत दूर करने के लिए आप अपने खानपान में भी बदलाव लाएं। आप अपने भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। हरी सब्जियां, ओट्स,  दलिया, पोहा, केला और दालों का सेवन करें।

    5- लूज मोशन

    लूज मोशन या पेट खराब होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसके लिए जरूरी है कि आप पानी लगातार पीते रहें, इसकी कमी न होने दें। यदि किसी को लूज मोशन की समसया है तो उस मरीज को  दही का सेवन करना चाहिए।  इसमें प्रोबायॉटिक भरपूर मात्रा पायी जाती है। प्रोबायॉटिक बैक्टीरिया से भरपूर दही, शरीर में मौजूद इंफेक्टेड बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है। इसके बाद शारीरिक कमजोरी होने लगती है। लूज मोशन की शिकायत होने पर मूंग दाल की खिचड़ी और दलिया को ही खाना चाहिए।

    डिस्क्लेमर

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