माता-पिता बनना किसी भी कपल या सिंगल महिला-पुरुष की जिंदगी का सबसे खुबसूरत एहसास होता है। लेकिन, कई बार बांझपन (Infertility) या अन्य शारीरिक समस्याओं की वजह से लोग यह एहसास नहीं कर पाते हैं। इसी समस्या के समाधान के लिए लोग बच्चे को गोद (चाइल्ड एडॉप्शन) लेते हैं। किसी भी दूसरे देश या भारत में एडॉप्शन से दो फायदे होते हैं, पहला यह कि कपल या महिला-पुरुष को संतान प्राप्ति हो जाती है और दूसरा अनाथ और बेसहारा बच्चों को माता-पिता का साथ मिल जाता है।
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भारत में एडॉप्शन के लिए सरकार ने सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (Central Adoption Resource Authority) का गठन किया है। यह सरकारी संस्था भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत आती है, जो कि नोडल बॉडी की तरह काम करती है। भारत में एडॉप्शन के लिए काम करने वाली इस संस्था को CARA भी कहा जाता है, जो कि मुख्य रूप से अनाथ, छोड़ दिए गए और आत्म समर्पण करने वाले बच्चों के लिए एडॉप्शन का काम करती है।
इसी सरकारी संस्था के मुताबिक, भारत में एडॉप्शन के कुछ जरूरी नियम हैं, जिनका पालन करने के बाद ही कोई कपल या महिला-पुरुष किसी बच्चे को गोद ले सकता है। आइए, इन नियमों को जानते हैं।
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भारत में एडॉप्शन के नियम
पहला नियम- CARA के मुताबिक, भारत में एडॉप्शन करने वाले संभावित माता-पिता को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से स्वस्थ और मजबूत होना चाहिए। इसके साथ, उन्हें किसी भी तरह की कोई जानलेवा मेडिकल कंडीशन नहीं होनी चाहिए।
दूसरा नियम- भारत में एडॉप्शन के लिए कोई भी संभावित माता-पिता अपनी जैविक संतान होने या न होने की स्थिति में बच्चा गोद (Child Adopt) ले सकता है। लेकिन, उसमें भी कुछ शर्तें हैं, जैसे
- भारत में एडॉप्शन के लिए शादीशुदा होने की स्थिति में पति-पत्नी दोनों की मर्जी जरूरी है।
- सिंगल फीमेल किसी भी लिंग का बच्चा गोद ले सकती है।
- सिंगल मेल सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकते हैं।
तीसरा नियम- भारत में एडॉप्शन करने के लिए रजिस्टर करवाते समय संभावित माता-पिता की उम्र के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं, जैसे-
- चार वर्ष तक की उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए संभावित माता-पिता की उम्र मिलाकर कुल 90 वर्ष और अकेले 45 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- चार वर्ष से आठ वर्ष तक की उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए संभावित माता-पिता की उम्र मिलाकर कुल 100 वर्ष और अकेले 50 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
- आठ वर्ष से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए संभावित माता-पिता की उम्र मिलाकर कुल 110 वर्ष और अकेले 55 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
चौथा नियम- शादीशुदा होने की स्थिति में संभावित माता-पिता की कुल उम्र ही देखी जाएगी।
पांचवा नियम- संभावित माता-पिता और एडॉप्ट किए जा रहे बच्चे की उम्र का अंतर 25 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए।
छठा नियम- भारत में एडॉप्शन करने के लिए शादीशुदा कपल्स का कम से कम दो साल का स्थिर वैवाहिक समय होना जरूरी है।
सातवां नियम- भारत में एडॉप्शन करने जा रहे संभावित माता-पिता की उम्र संबंधित शर्ते उस समय लागू नहीं होती हैं, जब संभावित माता-पिता बच्चे के रिश्तेदार या सौतेले हों।
आठवां नियम- भारत में एडॉप्शन करने जा रहे संभावित माता-पिता, जिनके तीन या उससे ज्यादा जैविक बच्चे हैं, केवल जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 के रेगुलेशन 2 के सब-रेगुलेशन 21 में परिभाषित कुछ विशेष स्थितियों में ही बच्चा एडॉप्ट कर सकते हैं, वरना नहीं।
भारत में एडॉप्शन के लिए यह सामान्य नियम हैं। लेकिन, दूसरे राज्य व देश से भी बच्चे एडॉप्ट किए जाते हैं, तो इन स्थितियों में नियमों में बदलाव हो सकता है।
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भारत में एडॉप्शन के लिए जरूरी कागजात
भारत में एडॉप्शन के लिए संभावित माता-पिता या सिंगल फीमेल या मेल को निम्नलिखित कागजात दिखाने व इनकी प्रति देनी होती हैः
- भारत में एडॉप्शन के लिए खुद की या परिवार की फोटो देना जरूरी है।
- पैन कार्ड
- जन्म प्रमाण-पत्र
- निवास प्रमाण-पत्र
- भारत में एडॉप्शन की प्रक्रिया में उस साल की इनकम टैक्स की प्रामाणिक प्रति दिखानी जरूरी है।
- भारत में एडॉप्शन करने से पहले सरकारी मेडिकल ऑफिसर का आधिकारिक मेडिकल कंडीशन का प्रमाण-पत्र, जिससे यह साबित हो कि संभावित माता-पिता को किसी तरह की कोई जानलेवा बीमारी नहीं है और वे शारीरिक, मानसिक और भावनात्क रूप से स्वस्थ हैं।
- शादीशुदा होने की स्थिति में मैरिज सर्टिफिकेट
- भारत में एडॉप्शन करने जा रहे पुरुष या महिला के तलाकशुदा होने की स्थिति में डायवोर्स सर्टिफिकेट देना जरूरी है।
- भारत में एडॉप्शन के लिए संभावित माता-पिता से जुड़े दो लोगों का लिखित बयान देना जरूरी है।
- संभावित माता-पिता का अगर कोई बच्चा पांच वर्ष से बड़ा है, तो उसकी लिखित सहमति जरूरी है।
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भारत में एडॉप्शन के सरकारी आंकड़े
भारत में एडॉप्शन का कार्य देखने वाली सरकारी संस्था CARA के मुताबिक, निम्न वित्त वर्ष में CARA से भारत में एडॉप्ट किए गए बच्चों का आंकड़ा इस प्रकार है-
- 2010 – 6321
- 2011 (जनवरी’11 से मार्च’12) – 6593
- 2012-2013 – 5002
- 2013-2014 – 4354
- 2014-2015 – 4362
- 2015-2016 – 3677
- 2016-2017 – 3788
- 2017-2018 – 3927
- 2018-2019 – 4027
भारत में चाइल्ड एडॉप्ट करने वाले सेलिब्रिटीज
बीते वर्षों में भारत में एडॉप्शन काफी लोगों ने किया है, जिसमें कई सेलिब्रिटीज भी शामिल हैं-
- सुष्मिता सेन
- रवीना टंडन
- मिथुन चक्रवर्ती
- सलीम खान
- सुभाष घई
- दिबाकर बनर्जी
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क्या आप बच्चा गोद लेने के लिए तैयार हैं
भारत या दुनिया के किसी भी कोने में एडॉप्शन से पहले निम्नलिखित बातों पर विचार जरूर करना चाहिए, ताकि पेरेंट्स को पता चल जाए कि क्या वे किसी बच्चे को एडॉप्ट करने के लिए तैयार हैं-
- सबसे पहले यह जान लेना बहुत जरूरी है कि आप बच्चा एडॉप्ट करना क्यों चाहते हैं। बच्चा एडॉप्ट करने की सबसे बड़ी और उचित वजह है कि आप संतान प्राप्ति का अहसास करना चाहते हैं और बच्चे का पालन-पोषण करना चाहते हैं।
- कहीं भी या भारत में एडॉप्शन करने से पहले यह निश्चित कर लेना बहुत जरूरी है कि क्या आप एक बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं। क्योंकि, यह एक ऐसी जिम्मेदारी है, जो कि जिंदगीभर आपके कंधों पर रहने वाली है।
- एडॉप्टेड चाइल्ड के पेरेंट या सिंगल मदर-फादर बनने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि आप इसके लिए आर्थिक रूप से मजबूत हैं या नहीं। क्योंकि, बच्चे की शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवनशैली के लिए एक सामान्य बचत का होना या आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है।
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बच्चा एडॉप्ट करने से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण टिप्स
- सबसे पहले अपना एक सपोर्ट सिस्टम जरूर तैयार करें, जो कि नए या पहली बार माता-पिता बनने जा रहे कपल्स या सिंगल लोगों के लिए बहुत जरूरी है। क्योंकि, आपको बच्चे के स्वास्थ्य, पालन-पोषण या भविष्य के लिए एक अनुभवी राय या किसी के साथ की जरूरत पड़ सकती है।
- कहीं भी या भारत में एडॉप्शन में अगर आपने थोड़ी बड़ी उम्र का बच्चा गोद लिया है, तो सुनिश्चित करें कि उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। क्योंकि, समय बिताने और जरूरी प्यार देने से वह बच्चा भी अपनेपन का अनुभव करेगा और जल्दी ही नए घर और माता-पिता के साथ एडजस्ट कर लेगा।
- याद रखें कि बच्चे का ख्याल रखते हुए आपको अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान देना जरूरी होता है।
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