टेक्नोलॉजी बदलने या फिर नई टेक्नोलॉजी आने के साथ ही लोगों का उसके प्रति क्रेज देखने को मिलता है। इन्हीं में से एक है इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड। साल 2019 में मेडिकल के क्षेत्र में नई तरक्की के साथ ही डिजिटल रूप से डाटा को सेव रखने का तरीका खूब पसंद किया गया। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को 2019 में पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री डाटा सेव रखने के लिहाज से यूज किया गया। पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री को मेंटेन करने का ये एक इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है। प्रोवाइडर टाइम टू टाइम इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को मेंटेन करने का काम करता है। इसमे मुख्य क्लिनिकल डाटा सुरक्षित रहता है। जैसे कि पेशेंट की एज, जेंडर डैमोग्राफिक्स (Demographics), प्रोग्रेस नोट्स (Progress Notes), प्रॉब्ल्मस, मेडिकेशन, वाइटल साइन (Vital Signs). पास्ट मेडिकल हिस्ट्री, इम्युनाइजेशन, लैबोरेट्री डाटा (Laboratory data) और रेडियोलॉजी रिपोर्ट्स (Rradiology reports) आदि।
इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड किसी भी पेशेंट की सूचनाओं का भंडार होता है जिसे समय पड़ने पर यूज किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड का यूज केयर रिलेटेड एक्टिविटी में भी किया जाता है। साथ ही एविडेंस बेस्ड डिसीजन सपोर्ट के लिए, क्वालिटी मैनेजमेंट और आउटकम रिपोर्टिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड का यूज किया जाता है। ये कहना गलत नहीं होगा कि इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड पेशेंट और क्लिनिशियन के बीच रिलेशनशिप को मजबूत करने का काम करता है।
यह भी पढ़ें : नवजात की कार्डिएक सर्जरी कर बचाई गई जान, जन्म के 24 घंटे के अंदर करनी पड़ी सर्जरी
तो इसलिए 2019 में पसंद किया गया इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड
इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को 2019 में इसलिए ज्यादा पसंद किया गया, क्योंकि ये हेल्थ रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के साथ ही पेशेंट की हेल्थ में सुधार के लिए मदद भी करता है।
- मेडिकल रिकॉर्ड की सटीकता और स्पष्टता में सुधार करके मेडिकल एरर की घटना को कम करना। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड में जब भी पेशेंट के पहले के टेस्ट को देखने की जरूरत पड़ती है, डॉक्टर तुरंत उसे खोज लेता है।
- स्वास्थ्य संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना। परीक्षणों के दोबारा होने की संभावना कम करना। जब में पेशेंट का हाल ही में हुआ कोई टेस्ट आसानी से सर्च हो जाता है तो उसी टेस्ट को जरूरत पड़ने पर दोबारा करवाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
- अचानक से किसी भी पेशेंट को अगर हॉस्पिटल जाना पड़ जाता है और उसका क्लीनिक या हॉस्पिटल में इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड है तो डॉक्टर के लिए ये सुविधाजनक होता है। डॉक्टर को पेशेंट का इलाज करने में देरी नहीं होती है। डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री जानकार तुरंत ट्रीटमेंट शुरू कर सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड की हेल्प से मेडिकल रिकॉर्ड की सटीकता और स्पष्टता में सुधार करके चिकित्सा त्रुटि को कम किया जा सकता है। इसे इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड के मुख्य लाभ के रूप में देखा जाता है।
यह भी पढ़ें : डिटॉक्स टी आज ट्रेंड में है, इंटरनेशनल टी डे पर जानें इसके फायदे और साइड इफेक्ट्स
इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड के लाभ क्या हैं?
अगर आपको इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड के बारे में जानकारी नहीं है तो आप इसे कुछ पॉइंट्स के माध्यम से समझ सकते हैं।
- किसी पेशेंट को अगर अस्थमा की समस्या है तो डॉक्टर से चेकअप कराएगा। कुछ टेस्ट भी डॉक्टर सजेस्ट करेंगे। टेस्ट की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर ट्रीटमेंट भी शुरू कर देंगे। जब उसी पेशेंट को दो साल बाद फिर से कोई समस्या होगी तो डॉक्टर के पास जाएगा। लेकिन हो सकता है कि तब उसके पास पहले किए गए टेस्ट की रिपोर्ट न हो।
- अगर डॉक्टर के पास पेशेंट का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड होगा तो डॉक्टर 2 साल पहले हुई समस्या के बारे में इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड से जानकारी लेंगे। साथ ही पहले की समस्या का वर्तमान की समस्या से अगर कोई संबंध होगा तो उसके अकॉर्डिंग ही डॉक्टर इलाज करेंगे।
यह भी पढ़ें : फेसबुक और इंस्टाग्राम पर HIV दवाइयों को लेकर फैले फर्जी विज्ञापन, जानिए पूरा मामला
इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड से डॉक्टर से साथ ही पेशेंट को भी लाभ होता है।
कम गलतियों की संभावना
नर्स और डॉक्टर जब पेशेंट का रिकॉर्ड कलेक्ट करते हैं, उसी समय डेट और टाइम भी चेक कर लिया जाता है। ऐसा करने से भविष्य में किसी तरह की गलती की संभावना में कमी आती है। अगर यही सब किसी रजिस्टर में नोट करके रखा जाए तो उसे संभालने की समस्या सामने आ सकती है।
जानकारी
इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड भले ही डॉक्टर को तुरंत पेशेंट की जानकारी देती हो, लेकिन पेशेंट के लिए भी ये जानकारी उतनी ही अहम होती है। पेशेंट कुछ समय बाद अक्सर ये भूल जाता है कि उसका ग्लूकोज लेवल क्या था या फिर बीपी कितना था। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड में पेशेंट की सभी जानकारी इकट्ठा रहने से पेशेंट अपनी हेल्थ के बारे में कभी भी जानकारी ले सकता है। इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड में मेडिकल टर्म इंस्ट्रक्शन भी दिए रहते हैं।
यह भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय विकलांगता दिवसः स्कूल जाने से कतराते है दिव्यांग बच्चे, जानें कुछ चौकाने वाले आंकड़े
सुरक्षा का भाव
पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री अगर पेपर रिकॉर्ड में है तो उसके खोने या फिर नष्ट हो जाने की संभावना अधिक रहती है। जबकि इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड में सुरक्षा की गारंटी रहती है। पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री को जब तक चाहो तब तक सुरक्षित रखा जा सकता है। ऐसा पासवर्ड प्रोटक्शन के कारण होता है। पासवर्ड प्रोटेक्ट रहता है। अगर पासवर्ड मिस हो गया या कोई अन्य समस्या हो गई, फिर भी कोई दूसरा व्यक्ति पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री या अन्य कोई जानकारी नहीं जान सकता है।
इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड कौन देख सकता है?
स्वास्थ्य बीमा पोर्टेबिलिटी और अकाउंटबिलिटी एक्ट Accountability Act (HIPAA) के अनुसार, हर कोई इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड नहीं देख सकता है। कुछ ही लोग होते हैं जो पेशेंट का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड देख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर समझें कि अगर आप किसी ऐसे हॉस्पिटल में अपना इलाज करा रहे हैं जहां आपका पड़ोसी भी काम कर रहा हों। अपके मन में अगर ये शंका है कि कहीं वो व्यक्ति आपका इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड न देख लें। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा। अगर कोई अन्य अनचाहा व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड देखने की कोशिश करेगा तो कम्प्यूटर सिस्टम में अलार्म बजने लगेगा। कम्प्यूटर ऐसे व्यक्ति को ट्रेस कर लेगा, जो जानबूझ कर आपकी जानकारी लेने की कोशिश कर रहा है।
यह भी पढ़ें : धारा 377 हटने के बाद भी LGBTQ के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बड़ी चुनौती
सेफगार्ड का यूज
अकाउंटबिलिटी एक्ट Accountability Act (HIPAA) के अनुसार, अगर कोई भी हॉस्पिटल या डॉक्टर आपको हेल्थ इंफॉर्मेशन भेज रहा है तो उसे सेफगार्ड का यूज करना जरूरी है। सेफगार्ड का यूज करने से जानकारी जिसे भेजी जाती है, केवल वो ही व्यक्ति उसे देख सकता है। ऐसा करने से तीसरे व्यक्ति के पास जानकारी नहीं पहुंच पाती है। इस तरह से इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है।
कुछ सिस्टम की हेल्प से ऑनलाइन हेल्थ केयर प्रोवाइडर या फिर नर्स से इंटरेक्ट किया जा सकता है। आप ऑनलाइन अपॉइंटमेंट भी मैनेज कर सकते हैं। अगर आपने अभी तक इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड डाटा सुरक्षित नहीं कराया है तो इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड सुरक्षित कराया जा सकता है।इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड बड़ों के साथ ही बच्चों के लिए भी उपयोगी रहता है। ऐसा करने के लिए एक बार हॉस्पिटल या फिर डॉक्टर से संपर्क करना पड़ेगा।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
और पढ़ें :-
Sakshi Dhoni Birthday: अपनी फिटनेस की वजह जीवा को मानती हैं साक्षी धौनी
Sushmita Sen Birthday: बेटियों और खुद को इन एक्सरसाइज से फिट रखती हैं सुष्मिता
आईबॉल में कराया टैटू, चली गई ‘ड्रैगन वुमेन’ की आंखों की रोशनी
डिजायनर सब्यसाची ने की थी सुसाइड की कोशिश, दीपिका-अनुष्का के वेडिंग लहंगों के हैं डिजायनर
[embed-health-tool-bmi]