हालांकि, पिछले एक दशक में, टेक इंडस्ट्री ने अल्ट्रासाउंड स्कैनर को टीवी रीमोट से मिलते-जुलते उपकरणों में बदल दिया है। इसने डिजिटल स्टेथोस्कोप भी बनाए हैं, जिन्हें स्मार्टफोन के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि चलती-फिरती तस्वीरें और रीड-आउट बनाए जा सकें।
डिजीटल स्टेथोस्कोप के फायदे
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि ये उपकरण स्टेथोस्कोप से ज्यादा उपयोग करने में आसान हैं और डॉक्टर इससे दिल की धड़कन की गति मांपने के साथ वॉल्व में लीक जैसी चीज भी देख सकते हैं। इसपर टोपोल ने कहा कि जब आप सब कुछ देख सकते हैं, तो कोई कारण नहीं है कि आप आवाज सुनेंगे। कई मेडिकल स्कूलों में यह नए उपकरण छात्रों को दिए गए। डॉक्टर्स की नई पीढ़ी भी इसके समर्थन में दिखी।
अमेरिका में कनेक्टिकट स्थित बटरफ्लाई नेटवर्क इंक द्वारा बनाया गया बटरफ्लाई आईक्यू डिवाइस पिछले साल बाजार में आया था। अब इसके अपडेट में उपयोगकर्ताओं को जांच की स्थिति और इसके द्वारा ली गईं फोटोज को समझने में मदद के लिए एआई को शामिल किया जाएगा।
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अमेरिका के सबसे बड़े इंडियानापोलिस में स्थित मेडिकल स्कूल के छात्र इस नए स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल सीखते हैं। लेकिन, एक कार्यकारी सहयोगी डीन डॉ पॉल वैलाच द्वारा पिछले साल यहां शुरू किए गए एक कार्यक्रम के तहत वे हाथ से इस्तेमाल किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड का भी प्रशिक्षण लेते हैं। पॉल ने पांच साल पहले जॉर्जिया के मेडिकल कॉलेज में भी इसी तरह के प्रोग्राम में भाग लिया था और कहा था कि अगले दशक में हाथ में लेकर इस्तेमाल होने वाले अल्ट्रासाउंड उपकरण नियमित शारीरिक परीक्षा का हिस्सा बन जाएंगे।
उन्होंने कहा, “यह डिवाइस शरीर में त्वचा के अंदर देखने की हमारी क्षमता को और बढ़ाता है।’ अभी भी कुछ लोग स्टेथोस्कोप को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं कि अगली पीढ़ी के डॉक्टर गले में स्टेथोस्कोप और जेब में एक अल्ट्रासाउंड मशीन लिए दिखाई देंगे।
स्टेथेस्कोप का अविष्कार