वहीं गर्भपात के बाद इस हार्मोन का स्तर कम होने लगता है। इस हार्मोन का स्तर 9 से लेकर 35 दिनों की अवधि के बीच कभी भी कम होने लगता है। इसकी औसत समय अवधि 19 दिन है। इस दौरान यदि आप प्रेग्नेंसी टेस्ट करती हैं तो आपको नतीजा तो पॉजिटिव मिलेगा लेकिन, आप प्रेग्नेंट नहीं होंगी।
डॉ. अनीता का कहना है कि, ‘ ब्लड टेस्ट से प्रेग्नेंसी की पुष्टि की जानी चाहिए। जिससे महिलाओं की भावनाओं को आहत होने से बचाया जा सकता है। कई मामलों में बॉडी में ट्यूमर्स होते हैं, जिसके चलते हकीकत में महिला प्रेग्नेंट तो नहीं होती लेकिन नतीजे पॉजिटिव आते हैं। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या बीटा एचसीजी टेस्ट जरूर किया जाना चाहिए। ऐसे में फॉल्स प्रेग्नेंसी से बचा जा सकता है’
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घर पर यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट करते समय जरूरी है कि टेस्ट के लिए दिए जाने वाले इंस्ट्रक्शन को पूरी तरह फॉलो किया जाए। अलग-अगल ब्रांड की किट पर अलग- अलग इंस्ट्रक्शन होते हैं। उन्हें ध्यान से पढ़ना जरूरी है। इसमें यूजर से टेस्ट लेने के 4-5 मिनिट के बाद रिजल्ट देखने के लिए कहा जाता है। 10 या 20 मिनिट के बाद रिजल्ट देखने से परिणाम गलत मिल सकता है। नॉन डिजिटल यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट महिला के प्रेग्नेंट होने पर दो लाइन दिखती हैं वहीं प्रेग्नेंट न होने पर एक। इसके अलावा प्लस और माइनस साइन भी आता है।
अब तो आप फॉल्स प्रेग्नेंसी को समझ गईं होगी। इसमें हमने फॉल्स प्रेग्नेंसी और फॉल्स प्रेग्नेंसी टेस्ट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने की कोशिश है। हमें उम्मीद है ये आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें।