हाइजिया क्रोनोथेरिपी ट्रायल में किया गया यह रिसर्च यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में 19,084 मरीजों को (10614 पुरुष और 8470 महिलाएं) को अलग-अलग समय से अपनी दवाईयां लेने के लिए कहा गया। इसके अलावा उनके सोने के पैटर्न पर भी नजर रखी गई। इसके तहत देखा गया कि वे कब उठते हैं और कब सोने के लिए बिस्तर पर जाते हैं। लगभग 6 साल से अधिक समय तक उन पर नजर रखी गई। इस दौरान उन्हें दिन के समय एक्टिव रहने और रात के समय सोने के लिए कहा गया।
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ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) की दवा के उपयोग के बारे में क्या कहती है स्टडी?
डॉक्टरों ने रोगियों के ब्लडप्रेशर का जब वे अध्ययन में शामिल हुए और हर बार जब क्लिनिक गए विश्लेषण किया। उन्होंने साल में कम से कम एक बार क्लिनिक के दौरे पर आने वाले मरीजों के एक एंब्यूलेटरी ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) की निगरानी की। इसने डॉक्टरों को 48 घंटे के अंदर एवरेज ब्लड प्रेशर का एक ठोस डाटा दिया, जबकि उसमें यह भी दिखाया गया कि क्या सोते समय ब्लड प्रेशर का दबाव काफी कम हो जाता है।
साढ़े छह साल में औसतन, 1752 रोगियों की हार्ट या ब्लड वैसेल की समस्याओं या म्योकॉर्डिअल इन्फेक्शन (Myocardial infarction), स्ट्रोक (Stroke), हार्ट फेल होने या कोरोनरी रिवास्कुलराइजेशन से मौत हो गई। एंबुलेटरी ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग से जुटाए गए आंकड़ों से पता चला है कि जो मरीज रात को सोने से पहले ब्लडप्रेशर की दवा लेते है उनका ब्लड प्रेशर रात के साथ-साथ दिन में कम रहता है।
इसके अलावा, जब उन रोगियों के साथ तुलना की जाती है, जो जागते समय अपनी दवा का सेवन करते हैं। उनका ब्लड प्रेशर रात में अधिक हो जाता है। रिसर्च के फॉलोअप के दौरान रात के समय सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में इतनी कमी से हृदय रोग के जोखिम (Risk factor of Heart)को कम करता है,जो इस रिसर्च का एक महत्वपूर्ण पहलू था।