आपने अक्सर सुना होगा कि कैल्शियम हड्डियों के लिए बहुत अच्छा होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैल्शियम हार्ट के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। दरअसल ये कैल्शियम कोरोनरी आर्टीज (coronary arteries) में जम जाता है। जिससे वे संकरी और बंद हो जाती है। इसे प्लाक (Plaque) कहते हैं। प्लाक फैट, कैल्शियम और दूसरे तत्वों से मिलकर बनता है। ये लगातार अधिक मात्रा में जमा होने पर कोरोनरी आर्टरीज डिजीज (coronary artery disease) (CAD) का कारण बन सकता है। जिसकी वजह से हार्ट अटैक आ सकता है। इस बिल्ड अप को डिटेक्ट करने के लिए डॉक्टर कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट (Calcium scoring test) का सहारा लेते हैं। इसे कोरोनरी आर्टरी कैल्शियम (CAC) स्कोरिंग, कोरोनरी कैल्शियम स्कैन, कैल्शियम स्कैन टेस्ट, कार्डिएक सीटी फॉर कैल्शियम स्कोरिंग जैसे नामों से जाना जाता है।
कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट (Calcium scoring test) क्या है?
कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट के जरिए प्लाक के जमने का पता लगाया जाता है। इसे आप दांतों पर जमने वाले प्लाक की तरह ना समझें। यह आर्टरीज में अलग तरीके से पाया जाता है। शुरुआत में यह कोमल होता है और धीरे-धीरे इकठ्ठा होता है, लेकिन समय के साथ यह सख्त होता जाता है। डॉक्टर इसे कैल्सीफाइड प्लाक (calcified plaque) भी कहते हैं। यह निम्न दो कारणों के चलते परेशानी का कारण बन जाता है।
- सख्त प्लाक आर्टरीज में पाइप में कुछ अटक जाने जैसा होता है। यह ब्लड के फ्लो को कम कर देता है। इसका मतलब यह हुआ कि शरीर के कुछ हिस्सों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। अगर प्लाक हार्ट आर्टरीज में इक्ठ्ठा हो जाता है तो मरीज को चेस्ट पेन (chest pain) और डिसकंफर्ट हो सकता है। जिसे एंजिना (angina) कहा जाता है।
- प्लाक ब्लड क्लॉट बनने का कारण भी बन सकता है। जो हार्ट अटैक (Heart Attack) का कारण बनता है।
- कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट के जरिए ये पता लगाया जाता है कि कितना प्लाक हार्ट आर्टरीज में जमा हो गया है। डॉक्टर रिजल्ट देखने के बाद ट्रीटमेंट के बारे में निर्णय लेते हैं।
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कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट की जरूरत किसे होती है? (Who needs a calcium scoring test?)
कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट कराने की जरूरत सबको नहीं होती। इस टेस्ट में बॉडी रेडिएशन से गुजरती है, जो बॉडी के लिए हानिकारक है। इसलिए भी कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट जब डॉक्टर कहे तभी कराना चाहिए। डॉक्टर निम्न फैक्टर्स के आधार पर यह तय करते हैं कि टेस्ट कराना चाहिए या नहीं।
- उम्र
- ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)
- कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level)
- आप कितना स्मोक करते हैं
- जेंडर
इस टेस्ट का ज्यादा सेंस तब बनता है जब ऊपर दिए गए फैक्टर्स के अनुसार मरीज को हार्ट डिजीज होने की संभावना होती है।
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कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट की प्रक्रिया कैसी होती है? (Calcium Scoring Test Process)
जब मरीज हॉस्पिटल या क्लिनिक में टेस्ट कराने के लिए जाता है तो डॉक्टर आपसे टेस्ट के 4 घंटे पहले कैफीन के सेवन को मना कर देते हैं। इसके बाद निम्न प्रक्रिया को फॉलो किया जाता है।
- मरीज को हॉस्पिटल का गाउन पहनने के लिए कहा जाता है। इसके लिए कपड़े और किसी भी प्रकार की ज्वैलरी को निकालना होगा।
- जो व्यक्ति स्कैनर को हैंडल करता है वो मरीज के सीने पर स्टिकी पैचेस (Patches) लगा देता है। ये पैचेस ईकेजी मशीन (EKG Machine) से कनेक्ट होते हैं। इससे लैब टेक्नीशियन को पता चलता है कि कब हार्ट की पिक्चर लेनी है।
- अगर मरीज इस दौरान नर्वस होता है तो दवा का उपयोग कर उसे शांत किया जा सकता है।
- टेस्ट के दौरान मरीज टेबल पर लेटा होता है जो धीरे-धीरे सीटी स्कैनर में जाती है। स्कैनर एक होलो ट्यूब (Hollow tube) की तरह होता है। जो एक टनल में जाना का एहसास करवाता है। सिर इस टनल से बाहर होता है।
- जब आप सीटी स्कैनर के अंदर जाते हैं तो कुछ स्पेशल लाइट लाइंस बॉडी पर नजर आती है। इनका उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि यह पता लग सके कि मरीज की पॉजिशन सही है या नहीं।
- मॉर्डन सीटी स्कैनर्स में मरीज को बजिंग (Buzzing) और क्लिकिंग (clicking) साउंड भी सुनाई दे सकता है। यह स्कैनर के इंटरनल पार्ट्स से आता है। इमेजिंग प्रक्रिया (imagining process) होने के बाद यह आवाज आना बंद हो जाती है।
- 10-15 मिनट में यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद मरीज घर जा सकता है।
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कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट (calcium scoring test) की प्रक्रिया के बाद क्या होता है?
यह सीटी एग्जाम पेनलेस, जल्दी और आसानी से होता है। आईवी (IV) के निकाले या लगाए जाने पर थोड़ा डिसकंफर्ट का एहसास हो सकता है। प्रॉसेस के पूरा होने के बाद रेडियोलॉजिस्ट जो रेडियोलॉजी एग्जाम लेने के लिए प्रशिक्षित होते हैं इमेजेस को एनालाइज कर ऑफिशियल रिपोर्ट तैयार कर डॉक्टर के पास भेजता है।
कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट रिजल्ट (calcium scoring test result)
कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट का रिजल्ट आप डॉक्टर की मदद से समझ सकते हैं।
जीरो (0) का मतलब होता है कि प्लाक नहीं है।
1-10 कम मात्रा में प्लाक- इसका मतलब है कि हार्ट डिजीज डेवलप होने की सिर्फ 10 प्रतिशत ही संभावना है।
11-100 – इसका मलतब है कि मरीज को माइल्ड हार्ट डिजीज है और हार्ट अटैक आने की भी आशंका है। डॉक्टर ट्रीटमेंट के साथ ही लाइफस्टाइल चेंजेस रिकमंड कर सकते हैं।
101-400- इस स्कोर का मतलब है कि आपको हृदय से जुड़ी बीमारी है और प्लाक आर्टरीज को ब्लॉक कर रहा है। मरीज को हार्ट अटैक आने की संभावना मध्यम से उच्च है।
400 से ज्यादा- इसका मतलब है कि 90 प्रतिशत से ज्यादा संभावना है कि प्लाक आर्टरीज को ब्लॉक कर रहा है। हार्ट अटैक आने की संभावना अधिक है। डॉक्टर कुछ और टेस्ट करवाकर ट्रीटमेंट शुरू करेगा।
अब तक तो आप समझ ही गए हैं कि कोरोनी आर्टरीज डिजीज का पता लगाने के लिए कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट किया जाता है। कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं जो CAD का खतरा बढ़ा देते हैं।
कोरोनरी आर्टरीज डिजीज (Coronary Arteries Disease) के रिस्क फैक्टर्स
कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट या कार्डिएक सीटी स्कैन (Cardiac CT Scan) कोरोनरी आर्टरीज डिजीज का पता लगाने के लिए किया जाता है। कई बार इन बीमारियों के लक्षण दिखाई नहीं देते। कोरोनरी आर्टरीज डिजीज के रिस्क फैक्टर्स निम्न हैं।
- हाय ब्लड कोलेस्ट्रॉल लेवल (High cholesterol level)
- हार्ट अटैक की फैमिली हिस्ट्री
- डायबिटीज (Diabetes)
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
- सिगरेट पीना (smoking)
- अधिक वजन या मोटापा
- शारीरिक रूप से असक्रिय होना
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अगर आप हार्ट से संबंधित बीमारियों से बचना चाहते हैं तो आपको ऊपर बताए फैक्टर्स को नियंत्रित करना होगा और एक हेल्दी लाइफ स्टाइल को अपनाना होगा। जिसमें हेल्दी फूड, एक्सरसाइज और बुरी आदतों को छोड़ना शामिल है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और कैल्शियम स्कोरिंग टेस्ट और कोरोनरी आर्टरीज डिजीज से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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