दुनियाभर में सफेद कोट और स्टेथोस्कोप डॉक्टर्स की पहचान हैं। सफेद कोट और स्टेथोस्कोप में देख कर किसी भी शख्स की दूर से ही पहचान डॉक्टर के रूप में कर ली जाती है। डिजीटल स्टेथोस्कोप के आने से डॉक्टर्स की पहचान बन चुके इस पुराने स्टेथोस्कोप की पहचान खतरे में है। इसके आविष्कार के दो दशक बाद अब इस पारंपरिक उपकरण का वजूद खतरे में है।
आज स्टेथोस्कोप को डिजीटल डिवाइसेज से खतरा है, इन्हें भी चेस्ट ट्रीटमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनमें लीक(leak), मरमर्स(murmurs), अबनॉर्मल रिदम,(Abnormal rhythm) हार्ट, फेफड़े और शरीर के अन्य भागों और अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए डॉक्टरों के कानों के बजाए अल्ट्रासाउंड तकनीक, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और स्मार्टफोन ऐप पर निर्भर रहते हैं। इनमें से कुछ उपकरण धड़कते हुए दिल की फोटो खींच सकते हैं या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम भी बना सकते हैं।
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क्या है डिजीटल स्टेथेस्कोप
एक विश्व-प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ एरिक टोपोल, स्टेथोस्कोप को गलत मानते हैं, ‘उनके हिसाब से स्टेथोस्कोप रबर ट्यूब की एक जोड़ी से ज्यादा कुछ नही है’। टोपोल ने कहा “यह कुछ सालों पहले तक ठीक था। लेकिन, हमें इससे आगे जाने की जरूरत है। अब हम और बेहतर कर सकते हैं।’
हालांकि, पिछले एक दशक में, टेक इंडस्ट्री ने अल्ट्रासाउंड स्कैनर को टीवी रीमोट से मिलते-जुलते उपकरणों में बदल दिया है। इसने डिजिटल स्टेथोस्कोप भी बनाए हैं, जिन्हें स्मार्टफोन के साथ जोड़ा जा सकता है ताकि चलती-फिरती तस्वीरें और रीड-आउट बनाए जा सकें।
डिजीटल स्टेथोस्कोप के फायदे
कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि ये उपकरण स्टेथोस्कोप से ज्यादा उपयोग करने में आसान हैं और डॉक्टर इससे दिल की धड़कन की गति मांपने के साथ वॉल्व में लीक जैसी चीज भी देख सकते हैं। इसपर टोपोल ने कहा कि जब आप सब कुछ देख सकते हैं, तो कोई कारण नहीं है कि आप आवाज सुनेंगे। कई मेडिकल स्कूलों में यह नए उपकरण छात्रों को दिए गए। डॉक्टर्स की नई पीढ़ी भी इसके समर्थन में दिखी।
अमेरिका में कनेक्टिकट स्थित बटरफ्लाई नेटवर्क इंक द्वारा बनाया गया बटरफ्लाई आईक्यू डिवाइस पिछले साल बाजार में आया था। अब इसके अपडेट में उपयोगकर्ताओं को जांच की स्थिति और इसके द्वारा ली गईं फोटोज को समझने में मदद के लिए एआई को शामिल किया जाएगा।
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अमेरिका के सबसे बड़े इंडियानापोलिस में स्थित मेडिकल स्कूल के छात्र इस नए स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल सीखते हैं। लेकिन, एक कार्यकारी सहयोगी डीन डॉ पॉल वैलाच द्वारा पिछले साल यहां शुरू किए गए एक कार्यक्रम के तहत वे हाथ से इस्तेमाल किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड का भी प्रशिक्षण लेते हैं। पॉल ने पांच साल पहले जॉर्जिया के मेडिकल कॉलेज में भी इसी तरह के प्रोग्राम में भाग लिया था और कहा था कि अगले दशक में हाथ में लेकर इस्तेमाल होने वाले अल्ट्रासाउंड उपकरण नियमित शारीरिक परीक्षा का हिस्सा बन जाएंगे।
उन्होंने कहा, “यह डिवाइस शरीर में त्वचा के अंदर देखने की हमारी क्षमता को और बढ़ाता है।’ अभी भी कुछ लोग स्टेथोस्कोप को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। वे कहते हैं कि अगली पीढ़ी के डॉक्टर गले में स्टेथोस्कोप और जेब में एक अल्ट्रासाउंड मशीन लिए दिखाई देंगे।
स्टेथेस्कोप का अविष्कार
नए डिजीटल स्टेथोस्कोप में कुछ-कुछ पुराने स्टेथोस्कोप की ही तरह दिखते हैं। इस स्टेथेस्कोप को 1800 के दशक की शुरुआत में फ्रेंचमैन रेने लेनेक (Frenchman Rene Laennec) ने आविष्कार किया था। लेकिन, ये दोनों एक ही तरह से काम करते हैं।
लेनेक का स्टेथेस्कोप में लकड़ी की एक खोखली नली थी, जो लगभग एक फुट लंबी थी, जिससे एक ओर से छाती के संपंर्क में लाने और दूसरी ओर से कान में लगाने से दिल और फेफड़े की आवाज सुनना आसान हो जाता था। रबर ट्यूब, इयरपीस और कोल्ड मैटल (जिसे छाती पर रखा जाता है) को बाद में इससे जोड़ा गया, जिससे आवाज साफ सुनी जा सके।
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जब स्टेथोस्कोप को शरीर पर रखकर दबाया जाता है, तो ध्वनि तरंगें डायाफ्राम बनाती हैं। उपकरण का प्लेन मैटल यानि की डिस्क वाला हिस्सा और घंटी के आकार का हिस्सा वाइब्रेट करता है। यह ध्वनि नलियों के माध्यम से कानों तक ध्वनि तरंगों को पहुंचाती है। लेकिन शरीर की आवाजों को सुनना और समझने के लिए एक संवेदनशील कान की जरुरत होती है।
शिकागो के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ डेव ड्रेइलहर्ज पिछले एक दशक से प्रैक्टिस कर रहे हैं और नए उपकरणों के आकर्षण को समझते हैं। वे इस बारे में कहते हैं कि जब तक कीमत कम नहीं हो जाती, तब तक पुराने स्टेथोस्कोप ही डॉक्टर्स के लिए उपयुक्त हैं। डेव ने कहा एक बार जब आप स्टेथोस्कोप का उपयोग करना सीख जाते हैं, तो यह आपके लिए सबसे आसान और सुरक्षित हो जाता है।
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