एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) एक इरेगुलर रेपिड हार्ट रिदम को कहा जाता है, जो हार्ट में ब्लड क्लॉट्स का कारण बन सकती है। इस समस्या से स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और अन्य हार्ट से संबंधी कॉम्प्लिकेशन्स का जोखिम बढ़ सकता है। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसके लक्षणों को समय पर पहचानना जरूरी है, ताकि उपचार हो सके। आज हम एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) क्या हैं, इसके बारे में बात करने वाले हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) के बारे में जानने से पहले इस बीमारी के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
क्या है एट्रियल फिब्रिलेशन?(Atrial fibrillation)
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) अनियमित हार्टबीट को कहा जाता है, जिससे स्ट्रोक और हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ सकता है। इसके उपचार में दवाईयों और लाइफस्टाइल के साथ ही कुछ प्रोसीजर शामिल हैं जैसे सर्जरी, कार्डियोवर्जन, पेसमेकर आदि। एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के दौरान हार्ट का अपर चैम्बर अनियमित तरीके से बीट करता है और हार्ट के लोअर चैम्बर के साथ आउट ऑफ सिंक हो जाता है।
कुछ लोगों को अक्सर इसका कोई भी लक्षण नजर नहीं आता है। इस समस्या के एपिसोड्स आते-जाते हैं या यह लगातार हो सकते हैं। हालांकि, यह रोग आमतौर पर जानलेवा नहीं होती है। किंतु यह एक गंभीर मेडिकल कंडिशन है और इससे पीड़ित लोगों को स्ट्रोक से बचने के लिए सही ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। अब जानते हैं कि क्या हैं एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation)?
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एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation): पाएं पूरी जानकारी
एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के सामान्य लक्षणों में हार्ट रेट का तेज होना या फ्लटरिंग शामिल है। ऐसा अनियमित एट्रिया क्वाइवरिंग (Atria quivering) के परिणामस्वरूप हो सकता है। इस दौरान आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आपका हार्ट बीट स्किप कर रहा है या बहुत तेज या हार्ड धड़क रहा है। आप अपनी छाती में अचानक पाउंडिंग सेंसेशन (Pounding sensation) भी महसूस कर सकते हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- छाती में दर्द (Chest pain)
- थकावट (Fatigue)
- सांस लेने में परेशानी (Shortness of breath)
- कमजोरी (Weakness)
- जी मिचलाना (Dizziness)
- चक्कर आना (Fainting)
- कन्फ्यूजन (Confusion)
इस बात के बारे में भी आपको पता होना चाहिए कि यह रोग एक ऑनगोइंग कंडिशन नहीं है। कुछ लोग इस समस्या को कभी-कभी महसूस कर सकते हैं, क्योंकि उनके लक्षण केवल कुछ मिनटों या घंटों तक रहते हैं। इसे पैरॉक्सिस्मल एट्रियल फिब्रिलेशन (Paroxysmal atrial fibrillation) कहा जाता है। हालांकि इसके लक्षणों को कुछ ही समय तक महसूस किया जाता है और इनका उपचार कराना जरूरी है। एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के प्रायमरी लक्षण में अब जानते हैं, उन हेल्थ कंडिशंस के बारे में, जिनके लक्षण इस समस्या के समान हो सकते हैं।
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एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) और अन्य हेल्थ कंडिशंस
अगर आपको एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) का कोई भी लक्षण नजर आता है तो डॉक्टर की अपॉइंटमेंट लेना जरूरी है। अगर आपको छाती में दर्द है, तो भी तुरंत मेडिकल हेल्प लें। चेस्ट पेन का अर्थ है आपको हार्ट अटैक हो रहा है। इसके कुछ लक्षण ऐसे हैं जो अन्य हार्ट कंडिशंस के समान हो सकते हैं। जानिए इनके बारे में:
हार्ट अटैक (Heart attack)
हार्ट अटैक की समस्या तब होती है, जब टिश्यू डैमेज के कारण हार्ट मसल्स तक ब्लड फ्लो में समस्या होती है। ऐसा एक या अधिक कोरोनरी आर्टरीज के ब्लॉक या डैमेज होने के कारण हो सकता है। इस ब्लॉकेज का कारण होता है, प्लाक जो आर्टरीज में बनता है। एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) की तरह हार्ट अटैक के सबसे सामान्य लक्षणों में थकावट, सांस लेने में समस्या और छाती में दर्द शामिल है। यह दर्द शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है जैसे बाजू,, गर्दन और जबड़े। इसके साथ ही आप छाती में प्रेशर का अनुभव भी कर सकते हैं। लक्षण जो एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) एपिसोड्स के बजाय दिल के दौरे का संकेत हो सकते हैं, वो इस प्रकार हैं:
- जी मिचलाना (Nausea)
- उल्टी आना (Vomiting)
- पसीना आना (Sweating)
- खांसी (Coughing)
इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।
स्ट्रोक (Stroke)
स्ट्रोक की समस्या तब होती है जब दिमाग तक ब्लड फ्लो में बाधा आती है, जिससे ब्रेन टिश्यूज तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं हैमरेजिक (Hemorrhagic) और इस्केमिक (Ischemic)। हैमरेजिक (Hemorrhagic) स्ट्रोक तब होता है जब ब्रेन में ब्लड वेसल्स फट जाते हैं, जिससे ब्लड ब्रेन के आसपास के टिश्यूज में जमा हो जाता है। इस्केमिक (Ischemic) स्ट्रोक तब होता है जब ब्लड क्लॉट ब्रेन में रक्त के प्रवाह को ब्लॉक कर देता है।
इन दोनों तरह के स्ट्रोक्स के सिम्पटम्स, एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) के समान हो सकते हैं। जैसे कमजोरी, थकावट और चक्कर आना आदि। हालांकि, एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) में कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं जैसे बोलने में समस्या, विजिन में समस्या, गंभीर सिरदर्द, सीजर्स, फेशियल ड्रूपिंग आदि। यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें तुरंत उपचार की जरूरत होती है।
सिक साइनस सिंड्रोम (Sick sinus syndrome)
सिक साइनस सिंड्रोम उस डिसऑर्डर को कहा जाता है, जो तब होता है जब हार्ट में साइनस नोड ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। साइनस नोड हार्ट का वह भाग है, जो हार्ट रिदम को नियंत्रित करता है। जब साइनस नोड ठीक से काम नहीं कर रहा होता है, तो हार्ट सही से नहीं धड़क पाता है। इसके लक्षण भी एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के जैसे होते हैं जो इस प्रकार हैं चक्कर आना, बेहोशी आदि। हालांकि, इस रोग में रोगी मेमोरी लॉस और नींद में समस्या को भी महसूस कर सकते हैं।
यह तो थी जानकारी एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) क्या हैं, इसके बारे में। इन लक्षणों को पहचानने के बाद तुरंत इसका उपचार जरूरी है। लेकिन, इस बात का भी ध्यान रखें कि इस समस्या के हर मामले में जरूरी नहीं है कि रोगी हमेशा लक्षणों का अनुभव करे। बहुत से लोग इस स्थिति में किसी भी तरह के लक्षणों का अनुभव नहीं करते हैं। कई बार किसी अन्य समस्या के लिए स्क्रीनिंग के दौरान इस रोग का निदान हो सकता है। इस रोग के निदान के लिए डॉक्टर कई टेस्ट्स की सलाह देते हैं जैसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) ,ब्लड टेस्ट्स (Blood tests), हॉल्टेर मॉनिटर (Holter monitor), इवेंट रिकॉर्डर (Event recorder), स्ट्रेस टेस्ट (Stress test) आदि। निदान के बाद दवाइयों, थेरेपीज, सर्जरी या कैथिटर प्रोसीजर (Surgery or catheter procedures) से इस समस्या का उपचार किया जा सकता है।
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उम्मीद है कि एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) क्या है, यह इंफॉर्मेशन आपको पसंद आई होगी। हेल्दी लाइफस्टाइल से भी हार्ट डिजीज का जोखिम कम हो सकता है और एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) से राहत मिल सकती है। इसके लिए हेल्दी आहार का सेवन करें, नियमित व्यायाम करें, अपने वजन को सही बनाए रखें, स्मोकिंग करने से बचें, एल्कोहॉल और कैफीन को सीमित मात्रा में लें और स्ट्रेस को मैनेज करें। अगर इस समस्या को लेकर आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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