लो कार्ब डायट या कीटोजेनिक डायट को लोग अक्सर हेल्दी डायट के रूप में अपनाते हैं। लो कार्ब डायट एक नहीं बल्कि कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करती है। कुछ बीमारियां जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes), मेटाबॉलिक सिंड्रोम, एपिलेप्सी और अन्य बीमारियों में लो कार्ब डायट अहम भूमिका निभाती है। लो कार्ब डायट हार्ट पेशेंट्स के लिए फायदेमंद होती है। आप जो भी डायट लेते हैं, जरूरी नहीं है कि वहीं डायट हर किसी के लिए फायदेमंद हो। हार्ट पेशेंट्स के साथ भी ऐसा ही है। लो कार्ब डायट जहां कुछ हार्ट पेशेंट्स को लाभ पहुंचाती है, वहीं कुछ पेशेंट्स में इस डायट के नुकसान भी देखने को मिलते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol) के संबंध में जानकारी देंगे।
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लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol)
लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol) के बारे में जानकारी इसलिए जरूरी है क्योंकि ये आपके हार्ट से संबंधित हो सकता है। हाय कोलेस्ट्रॉल के कारण हार्ट से संबंधित समस्या होने का अधिक खतरा रहता है। आपने हाय एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल और हाय एलडीएल (बैड कोलेस्ट्रॉल) के बारे में जरूर सुना होगा। हाय एचडीएल ( HDL) हार्ट डिजीज के रिस्क को कम करने का काम करता है, वहीं हाय एलडीएल ( LDL) हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ाने का काम करता है। जिन लोगों में एलडीएल ( LDL) के स्मॉल पार्टिकल्स (Small LDL particles) होते हैं, उनमें हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ जाता है, वहीं जिन लोगों में लार्ज एलडीएल पार्टिकल होते हैं, उनमें हार्ट डिजीज का रिस्क कम हो जाता है। यानी एलडीएल का बुरा प्रभाव ब्लडस्ट्रीम में पाए जाने वाले पार्टिकल के प्रकार पर डिपेंड करता है।
लो कार्ब डायट लेने से गुड कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल ( HDL) बढ़ जाता है और ट्रायग्लिसराइड कम हो जाता है, जबकि कुछ और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) एक जैसा ही रहता है। अगर आप हार्ट डिजीज से जूझ रहे हैं और आप लो कार्ब डायट का सेवन करना चाहते हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें कि क्या लो कार्ब डायट कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकती है। अगर हां, तो ऐसे में क्या सावधानियां रखना उचित होगा। हर किसी के केस में अलग लक्षण देखने को मिल सकते हैं। इसलिए ये कहना कि लो कार्ब डायट कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देती है, ठीक नहीं होगा क्योंकि ये कुछ लोगों के साथ हो सकता है, सब के साथ नहीं। लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol) के संबंध में डॉक्टर से जरूर पूछें।
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सैचुरेटेड फैट्स को मोनोसैचुरेटेड फैट्स से करें रिप्लेस (Replace Saturated Fats With Monounsaturated Fats)
लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol) के संबंध को समझने के साथ ही आपको अपने खानपान में कुछ बदलाव भी करने होंगे। एनसीबीआई में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार सैचुरेटेड फैट हार्ट अटैक के खतरे या हार्ट डिजीज (Heart disease) के कारण हुई मौत को बढ़ावा देने का काम नहीं करता है। आपको शरीर में बढ़ें हुए कोलेस्ट्रॉल से समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको सैचुरेटेड फैट को मोनोसैचुरेटेड फैट से रिप्लेस करना बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है। इस तरह से आप कोलेस्ट्रॉल लेवल को डाउन कर सकते हैं। अगर आप खाने में बटर या फिर कोकोनट ऑयल इस्तेमाल करते हैं, तो आप उसकी जगह ऑलिव ऑयल (Olive oil) का इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ तेल में बदलाव ही काफी नहीं है। आपको फैटी फूड को भी रिप्लेस करने की जरूरत है। आपको खाने में फिश को शामिल करना चाहिए क्योंकि उसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। आप सप्ताह में एक बार इसे खाने में जरूर शामिल कर सकते हैं।मोनोसैचुरेटेड फैट के लिए आप खाने में ऑलिव ऑयल के साथ ही एवोकाडो, नट्स आदि भी शामिल कर सकते हैं।
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क्या आप भी लो कार्ब डायट और कीटोसिस को लेकर हैं कंफ्यूज?
लो कार्ब डायट या लो कार्बेहायड्रेट फूड्स में डायटरी कार्बोहायड्रेट जैसे कि ग्रेंस, शुगर युक्त पेय और ब्रेड आदि को खाने को लेकर प्रतिबंध लगाया जाता है। लो कार्ब डायट में प्रोटीन इनटेक, हेल्दी फैट्स और वेजीटेबल्स का सेवन बढ़ जाता है। खाने में कार्ब कम कर देने से हाय कैलोरीज फूड्स डायट से हट जाते हैं। इस तरह से कैलोरी इनटेक कम होता है और वजन कम हो जाता है। लो कार्ब डायट में डायटरी कार्बोहायड्रेट जैसे कि ग्रेंस, शुगर युक्त पेय और ब्रेड आदि को खाने को लेकर प्रतिबंध लगाया जाता है। लो कार्ब डायट में प्रोटीन इनटेक, हेल्दी फैट्स और वेजीटेबल्स का सेवन बढ़ जाता है। खाने में कार्ब कम कर देने से हाय कैलोरीज फूड्स डायट से हट जाते हैं। इस तरह से कैलोरी इनटेक कम होता है और वजन कम हो जाता है।
कीटोसिस (Ketosis) एक प्रोसेस है,जिसमें शरीर के पास एनर्जी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त मात्रा में कार्बोहायड्रेट नहीं होता है, इस कारण से वो फैट बर्न करता है और कीटोंस बनाता है। डायबिटीज और वेट लॉस के लिए लोग लो कार्ब डायट अपनाते हैं। लो कार्ब डायट कीटोजेनिक हो, ये जरूरी नहीं है। जो लोग कीटोसिस प्रोसेस में होते हैं, उनमें कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की अधिक संभावन होती है। ऐसे में आपको कीटोसिस प्रोसेस से बचना चाहिए। आप दिन में एक से दो फ्रूट्स खा सकते हैं। आप चाहे तो डिनर में स्वीट पटैटो को एड कर सकते हैं। आप चाहे जो स्टार्च युक्त खाना जैसे कि ओट्स और राइस भी एड कर सकते हैं। आप इसके बजाय केवल पैलियो (Paleo) के हाय कार्ब वर्जन (Higher-carb version ) को अपना सकते हैं।
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लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल: कोलेस्ट्रॉल लेव करना है मेंटेन, तो अपनाएं डॉक्टर की सलाह
जब तक हमे किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है, तब तक खानपान पर ध्यान नहीं जाता है। हार्ट संबंधी या हाय कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने पर खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ती है। ये कहना कि सैचुरेटेड फैट या लो कार्ब डायट समस्या का कारण बन सकते हैं, सही नहीं होगा। किसी भी तरह की बीमारी के दौरान अगर आप डायट को लेकर कंफ्यूज हैं, तो बेहतर होगा कि आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। कभी-कभी बीमारी के दौरान गलत डायट लेने से गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। अगर आपके डॉक्टर ने आपको डायट में बदलाव करने को कहें हैं और डायट में बदलाव के बाद आपको किसी प्रकार की परेशानी हो रही है, तो डॉक्टर को इस बारे में जानकारी जरूर दें। हेल्दी हार्ट के लिए आपको खाने में फाइबर युक्त भोजन के साथ ही फ्रेश वेजीटेबल्स और फ्रूट्स का सेवन करना चाहिए। खाने में सैचुरेटेड फैट को किससे रिप्लेस किया जा सकता है, इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। उम्मीद है कि आपको लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol) या लो कार्बेहायड्रेट फूड्स के संबंध में जानकारी मिल गई होगी।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता हैं। इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको लो कार्ब डायट और कोलेस्ट्रॉल (Low carb diet and cholesterol) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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