क्या आपको ऐसा लगता है कि हार्ट डिजीज केवल बुजुर्गों को ही हो सकती हैं? अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप पूरी तरह से गलत हैं। क्योंकि, यह समस्याएं किसी भी उम्र में हो सकती हैं। ऐसा होने का एक कारण यह भी हैं कि जो कंडिशंस हार्ट डिजीज का कारण बनती हैं, वो अब युवाओं में ही देखने को मिल रही हैं। ऐसे ही, हार्ट अटैक भी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। आज हम हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age) के बीच के लिंक के बारे में बात करने वाले हैं। लेकिन, हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age) के बीच के लिंक के बारे में जानने से पहले हार्ट अटैक (Heart attack) के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
हार्ट अटैक (Heart attack): क्या हैं यह बीमारी?
हार्ट अटैक (Heart attack) तब होता है, जब हार्ट तक ब्लड का फ्लो ब्लॉक हो जाता है। यह ब्लॉकेज फैट, कोलेस्ट्रॉल और अन्य सब्सटांसेस के बिल्डअप के कारण होती है, जो आर्टरीज में प्लाक को बनाती हैं। कई बार यह प्लाक फट सकता है और एक क्लॉट बना सकता है, जिससे ब्लड फ्लो ब्लॉक होता है। बाधित ब्लड फ्लो से हार्ट मसल्स का कुछ हिस्सा डैमेज या नष्ट हो सकता है। यह समस्या जानलेवा होती है लेकिन सही समय पर उपचार और कई चीजों का ध्यान रख कर रोगी हार्ट अटैक के बाद भी एक क्वालिटी लाइफ जी सकता है। हार्ट अटैक (Heart attack) की स्थिति में तुरंत इसके लक्षणों को पहचानना और इलाज होना जरूरी है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- छाती या बाजू में प्रेशर, कसाव, दर्द होना, जो आपके गले, जबड़े या पीठ तक फैल सकती है
- जी मिचलाना, अपच, हार्टबर्न या पेट में दर्द
- सांस लेने में समस्या
- ठंडे पसीने आना
- थकावट
- चक्कर आना
हार्ट अटैक (Heart attack) की स्थिति में सभी रोगियों में एक जैसे लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। यही नहीं, हर व्यक्ति में लक्षणों की गंभीरता भी अलग हो सकती है। कुछ लोगों को माइल्ड पेन हो सकता है तो किसी को गंभीर। किसी-किसी को तो इस कंडिशन में हो सकता है कि कोई भी लक्षण नजर न आए। अब जानते हैं हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age) के बारे में।
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हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age): क्या उम्र के साथ हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि हार्ट अटैक किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन, साइंटिफिक एविडेंस यह बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में कम उम्र के लोगों में भी हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम बढ़ा है। हालांकि, उम्र के बढ़ने के साथ ही इसका जोखिम बढ़ जाता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम खासतौर पर हार्ट में बदलाव की वजह से ऐसा होता है। ऐसे कई तरीके हैं, जिनकी वजह से उम्र के बढ़ने पर हार्ट में बदलाव आता है, जैसे:
फैटी डिपॉजिट्स (Fatty deposits)
उम्र के बढ़ने के साथ आर्टरीज की वॉल्स में फैटी डिपॉजिट्स की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे कोरोनरी आर्टरीज नैरो होती हैं और इससे हार्ट मसल्स तक ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होती है।
हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age): आर्टरीज का हार्ड होना (Hard arteries)
जैसे उम्र बढ़ती है, आर्टरीज स्टिफ और हार्ड हो जाती हैं। स्टिफ और कम फ्लेक्सिबल आर्टरीज होने से हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम बढ़ जाता है खासतौर पर अगर आपकी आर्टरीज में फैटी डिपॉजिट्स हो।
हार्ट वॉल्स का थिक होना (Heart walls may thicken)
हार्ट वॉल्स उम्र के बढ़ने के साथ थिक हो सकती है। जिससे हार्ट बड़ा हो सकता है और इससे हार्ट के इंटीरियर चैम्बर्स का वॉल्यूम कम हो सकता है। यानी, इससे हार्ट अधिक ब्लड को होल्ड नहीं कर पाता है या स्टिफ हो जाता है, जिससे रिलैक्सेशन में समस्या आ सकती है।
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वॉल्व कम प्रभावी तरीके से काम करते हैं (Valves work less effectively)
हार्ट के चार वॉल्व होते हैं, जो ब्लड फ्लो को सही डायरेक्शन में रखने के लिए ओपन और क्लोज होते हैं। समय के साथ यह वॉल्व थिक, स्टिफ या लिकी हो सकते हैं। इससे हार्ट के लिए ब्लड फ्लो कंट्रोल करना हार्ड हो सकता है।
हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age): इलेक्ट्रिकल इम्प्लसेस में बदलाव
उम्र के साथ हार्ट की इलेक्ट्रिकल इम्प्लसेस में बदलाव आ सकता है। जिससे ‘एरिथमिया’ के विकास की संभावना भी बढ़ जाती है। एरिथमिया बहुत फास्ट, स्लो या अनियमित हार्टबीट को कहा जाता है।
सोडियम की सेंसिटिविटी बढ़ती है
उम्र के बढ़ने पर कुछ लोग सोडियम या नमक के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इससे उनमें ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम भी बढ़ सकता है। अब जान लेते हैं हार्ट अटैक और एज (Heart attacks and age) के बीच के कनेक्शन के बारे में।
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हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age): इन दोनों के बीच में क्या है कनेक्शन जानिए
ऐसा माना जाता है कि पहले हार्ट अटैक (Heart attack) की एवरेज एज पुरुषों के लिए 65.6 साल और महिलाओं के लिए 72 साल है। हालांकि, यह एवरेज, रिकरंट हार्ट अटैक्स के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। बल्कि, ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों को एक हार्ट अटैक हुआ है, उन्हें अगले पांच सालों में दूसरे हार्ट अटैक की संभावना अधिक होती है। लेकिन, हार्ट अटैक और एज (Heart attacks and age) के बारे में यह तो साफ है कि हार्ट अटैक सभी उम्र के लोगों को हो सकता है।
पहले हार्ट अटैक की एवरेज उम्र अब कम होती जा रही है। कम उम्र के लोगों में इसकी संभावना बढ़ती जा रही है। सोर्स के मुताबिक कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक (Heart attack) का कंट्रोलेबल रिस्क फैक्टर स्मोकिंग है। हालांकि यह यंग लोगों में हार्ट अटैक का केवल एक कारण नहीं है। इसके साथ अन्य कई फैक्टर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जैसे:
- मोटापा (Obesity)
- प्रीडायबिटीज (Prediabetes)
- हायपरलिपिडिमिया (Dyslipidemia)
एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि प्रिवेंटिव मेडिकल केयर और जीवनशैली में बदलाव जल्दी शुरू नहीं किए जा रहे हैं। कुछ लाइफस्टाइल फैक्टर्स, जैसे अनहेल्दी डायट, शारीरिक गतिविधि का लो लेवल और तंबाकू का सेवन, कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि कम उम्र से ही बच्चों में हेल्दी लाइफस्टाइल चॉइसेस अपना कर भविष्य में हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक (Heart attack) के जोखिम को कम किया जा सकता है। कुछ मामलों में फैमिली हिस्ट्री भी हार्ट अटैक का एक मुख्य रिस्क फैक्टर है। यह तो थी हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age) के बारे में जानकारी। अब जानिए हार्ट हेल्थ के लिए क्या किया जा सकता है?
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हार्ट हेल्थ को सुधारने के लिए क्या करें?
हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक (Heart attack) के जोखिम को कम करने के लिए आप कई तरीकों को अपना सकते हैं। शुरुआत में ही अगर हम अपनी की जीवनशैली में यह बदलाव लाएंगे, तो इसका उनकी हार्ट हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह तरीके इस प्रकार हैं:
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो उसे छोड़ दें। सेकेंडहैंड स्मोकिंग से भी बचें। एल्कोहॉल का सेवन सीमित मात्रा में करें।
- कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड प्रेशर को सही बनाए रखें।
- तनाव से बचें। इसके लिए सकारात्मक रहें और योगा व मेडिटेशन का सहारा लें।
- नियमित व्यायाम करें। दिन में कम से कम 30 मिनट इसके लिए निकालें।
- डायबिटीज को मैनेज करें।
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उम्मीद है कि हार्ट अटैक और एज (Heart attack and age) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। यह भी आप समझ गए होंगे कि यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। हालांकि, अधिक उम्र इसके मुख्य रिस्क फैक्टर्स में से एक है। हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री होने से भी इसका जोखिम बढ़ सकता है। लेकिन, इन रिस्क फैक्टर्स को बढ़ला नहीं जा सकता है। ऐसे में, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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