कोरोना का कहर किसी से छुपा नहीं है। इस संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन ही सबसे अच्छा उपाय है। लेकिन वैक्सीनेशन को लेकर के भी लोगों के मन में कई प्रकार के डर देखने को मिल रहे हैं, खासतौर पर हार्ट पेशेंट या डायबिटीज के मरीजों में। लेकिन हार्ट के मरीजों के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। हार्ट के मरीजों में वैक्सीन के कई फायदे हैं। कोरोना वैक्सीन के अलावा उन्हें फ्लू से बचाव के लिए फ्लू वैक्सीनेशन भी लगवाना चाहिए।
हार्ट के मरीजों को यदि फ्लू वैक्सीन भी लगी होगी, तो उनमें कोरोना का रिस्क, सामान्य के मुकाबले कम होगा। लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता होता है कि फ्लू हार्ट फेल्योर का कारण भी बन सकता है। इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि दिल की बीमारी वाले मरीजों में (Heart diseases), जिन्हें स्ट्रोक (Stroke) हो चुका हो, उनमें फ्लू से गंभीर जटिलताएं विकसित होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए, इन संभावित जोखिमों से बचाव के लिए हर फ्लू के मौसम में फ्लू का वैक्सीनेशन (Flu vaccine) करवाना महत्वपूर्ण है। जिससे हार्ट के मरीजों में वैक्सीन (Vaccine in heart patients) से दिल के दौरे के खतरे को कम किया जा सकता है। जानें हार्ट के मरीजों में वैक्सीन (Vaccine in heart patients) कब और कैसे लेनी चाहिए, साथ ही किन बातों का रखें ध्यान।
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क्या हार्ट के मरीज वैक्सीन ले सकते हैं (Vaccination for Heart Patient)?
क्या हार्ट के मरीज कोरोना वैक्सीन ले सकते हैं? यह एक बड़ा सवाल है। लेकिन हार्ट के मरीजों में वैक्सीन को लेकर जागरूकता होना बहुत जरूरी है, क्योंकि क्रॉनिक डिजीज के शिकार लोगों के शरीर में किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। जिस कारण उनमें छोटी सी बीमारी भी भारी पड़ सकती है। इस वजह से कोई भी बीमारी इन पर जल्दी अटैक कर सकती है। ऐसे में सबसे ज्यादा वैक्सीन की जरूरत इन लोगों को है, क्योंकि हार्ट पेशेंट में कोरोन से संक्रमित होने पर जान जाने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसलिए हार्ट पेशेंट के लिए वैक्सीन बहुत जरूरी है।लेकिन, हार्ट पेशेंट को वैक्सीन कब लेना है, यह डाॅक्टर तय करेंगे। क्योंंकि वैक्सीन लेते समय फिट होना बहुत जरूरी है, यानि की कोलेस्ट्राॅल से लेकर सभी जरूरी लेवल नॉमर्ल होना चाहिए। यदि कुछ बढ़ होगा, तो पहले उसे कंट्रोल करने की जरूरी होती है। इसलिए पहले मेडिकेशन बहुत जरूरी है। जब हार्ट नॉर्मल होता है, तब इसकी सलाह दी जाती है। इसके अलावा वैक्सीन लेने के दो से तीन पहले मेडिकशेन को रोकना होता है। इसलिए इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए हार्ट पेशेंट को वैक्सीनेशन की सलाह दी जाती है। ताकिन मेडिकेशन रोकने के दौरान रिस्क न बढ़ें।
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हार्ट के मरीजों में वैक्सीन : संक्रमण दिल को कैसे प्रभावित करता है (Flu Impact Heart)
रोग नियंत्रण केंद्र ( Center of Disease Control) द्वारा किए गए अध्ययनों और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harward Medical School), के अनुसार फ्लू (Flu) दिल के दौरे और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। साल 2018 में हुए एक अध्ययन में पाया गया था फ्लू के इंफेक्शन वाले मरीजों में एक सप्ताह के भीतर दिल का दौरा पड़ने का जोखिम 6 गुना अधिक देखा गया था। जिन लोगों को दिल का दौरा या कोरोनरी रोग अंतर्निहित है, उनके लिए एक फ्लू संक्रमण इन अंतर्निहित स्थितियों को बढ़ा सकता है – जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा और हार्ट फेल के कारण (Causes of heart failure) हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है।
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फ्लू के प्रभावित ( Flu infection) होने पर हृदय पर बदाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हृदय गति, रक्तचाप में वृद्धि और कैटेकोलामाइंस नामक तनाव को बढाने वाला हॉर्मोन और कई दूसरे हाॅर्मोनों में भी वृद्धि होने लगती है। यह हृदय पर अत्यधिक तनाव पैदा करता है, और कमजोर हृदय वाले इससे खुद को जल्दी संभाल नहीं पाते हैं। फ्लू के लक्षण (Flu symptoms), अपर एयरवेज और लोअर एयरवेज (Upper airways or Lower airways) में इंफेक्शन के साथ शुरू होते हैं। इससे रोगी का एयरवेज कंजस्टेड हो जाता है और खांसी व बुखार जैसे लक्षण दिखने लगते हैं, जिससे हार्ट पर भी दबाव पड़ने लगता है। ज्यादातर मामलों में, शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और लोगों में हार्ट प्रॉब्लम का रिस्क और बढ़ जाता है। कई स्थितियों में हृदय की गति भी रुक (Heart failure) जाती है। भारत में, लोगों फ्लू संक्रमण के अधिक शिकार होते हैं। जिससे उनके हृदय स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हार्ट के मरीजों में वैक्सीन बहुत जरूरी है, लेकिन डॉक्टर द्वारा तय समय पर।
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हार्ट के मरीजों में फ्लू के खतरों को कम करने के लिए वैक्सीनेशन (How Does Vaccination help)
हार्ट के मरीजों में वैक्सीन, जान को जोखिम के रिस्क को कम करता है। कोरोना संक्रमण के अलावा फ्लू के खतरों को कम करने के लिए समय पर वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। टीकाकरण (vaccination) हृदय रोग वाले मरीजों में कुछ हृदय संबंधी घटनाओं की दरों को कम करनें में मददगार है। विशेष रूप से उन लोगों के लिए, जिन्हें पहले से हृदय संबंधी समस्याएं हैं, पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो चुका हो। इसके अलावा फ्लू के टीके अपडेट भी किए जाते हैं, क्योंकि मौसम के साथ बदलते वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए वार्षिक वैक्सीनेशन की आवश्यकता होती है। वार्षिक टीकाकरण फ्लू के खिलाफ सर्वोत्तम संभव सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, इसलिए दिल के मरीज वाले लोगों में जब भी हम दिल की विफलता वाले लोगों से मिलते हैं, तो हम रोगी को इन्फ्लुएंजा (Influenza) और न्यूमोकोकल टीकाकरण (Pneumococcal vaccination) लेने की सलाह देते हैं।
हार्ट के मरीजों में वैक्सीन : एक्सपर्ट राय
हार्ट के मरीजों में वैक्सीन की बात करें तो यह लेना बहुत जरूरी है। दिल के दौरे का उपचार, फ्लू को ट्रिगर और देखभाल के लिए सही समय पर वैक्सीनेशन होना चाहिए। देखभाल के लिए चेकलिस्ट में टीकाकरण, रोगी की आयरन की कमी में सुधार, साथ ही दिल के दौरे को राेकने के लिए डाॅक्टर द्वारा दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हार्ट प्रॉब्लम के नियंत्रण के लिए सबसे प्रभावी उपचार है। टीकाकरण इसका सबसे प्रभावी तरीका है। हमने हृदय रोगियों के ऐसे कई मामले देखे हैं जो हर साल फ्लू के लिए टीकाकरण का लाभ उठाते हैं, और कम अस्पताल में भर्ती होने के साथ बेहतर जीवन जीने में सक्षम हैं। याद रखें, बार-बार अस्पताल में भर्ती होने से दिल की विफलता और जीवन के नुकसान का जोखिम दोगुना और तिगुना हो जाता है। हर साल वैक्सीनेशन हर साल बहुत जरूरी है।
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