31 दिसंबर को वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग ने घोषणा की कि ली वेनलियां की जांच में मानव से मानव संचरण और कोई मेडिकल स्टाफ संक्रमण नहीं पाया गया है।
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कोरोना वायरस और चीन का झूठ: परीक्षण को रोकने के दिए आदेश
3 जनवरी को ली वेनलियांग ने पुलिस स्टेशन में अपनी गलती को स्वीकार किया और एक बयान पर हस्ताक्षर किए जिसमें लिखा था कि वह अब ऐसी गलती आगे नहीं करेंगे। इसके बाद चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने संस्थानों को अज्ञात बीमारी से संबंधित कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं करने का आदेश दिया।
3 जनवरी को ही हुबेई प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग ने नई बीमारी से संबंधित वुहान से नमूनों के परीक्षण को रोकने का आदेश दिया और सभी मौजूदा नमूनों को नष्ट कर देने के लिए कहा।
6 जनवरी को द न्यू यॉर्त टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वुहान में 59 लोग मिनोनिया जैसी बीमारी से ग्रसित हैं। इसी दिन चाइनीज सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन ने पहला कदम उठाया। उन्होंने लोगों को वुहान में ‘जीवित या मृत जानवरों, पशु बाजारों और बीमार लोगों के संपर्क से बचने की सलाह दी।
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कोरोना वायरस और चीन का झूठ: जनवरी में दोबारा दी गलत जानकारी
8 जनवरी को, चीनी चिकित्सा अधिकारियों ने वायरस की पहचान करने का दावा किया। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर कहा कि इस वायरस का मानव से मानव में फैलने का कोई सबूत नहीं मिला है।
11 जनवरी को, वुहान सिटी हेल्थ कमीशन ने एक शीट जारी की जिसमें प्रश्न और उनके उत्तर थे। इसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहर में अधिकांश निमोनिया के मामले दक्षिण चीन फिश मार्केट के संपर्क का इतिहास है। इसका मानव से मानव संचरण का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है।
12 जनवरी को डॉ ली वेनलियांग को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरोना वायरस पेशेंट्स के इलाज करते करते उन्हें खांसी शुरू हो गई थी। बाद में उन्हें बुखार हुआ। उनकी इतनी हालत खराब हो गई थी कि उन्हें आईसीयू में एडमिट कराया गया।
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कोरोना वायरस और चीन का झूठ: डब्ल्यूएचओ को दी गलत जानकारी
13 जनवरी