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क्या कोरोना वायरस को लेकर दुनिया से बार-बार झूठ बोल रहा है चीन? इस टाइमलाइन से समझें पूरी बात

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/06/2020

    क्या कोरोना वायरस को लेकर दुनिया से बार-बार झूठ बोल रहा है चीन? इस टाइमलाइन से समझें पूरी बात

    कोरोना वायरस और चीन का कनेक्शन है, ये तो पूरी दुनिया समझ ही चुकी है। Covid-19 ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है। पूरी दुनिया की करीब ज्यादातर आबादी घरों में बंद है। इस वायरस को तेजी से फैलता देख यातायात साधन रोक दिए गए हैं। दुनिया में अबतक 7 लाख से ज्यदा लोगं संक्रमित पाए गए हैं, जबकि 34 हजार से ज्यादा लोग जान गवां बैठे हैं। 180 से ज्यादा देशों में फैल चुका ये खतरनाक वायरस चीन के वुहान शहर में सबसे पहले पाया गया था। कोरोना वायरस को लेकर चीन का झूठ बोलना आज दुनियाभर के लिए मुसीबत बन गया है। यदि चीन शुरुआत में ही इस वायरस को लेकर सही जानकारी देता तो दुनिया में फैल रहे इस जहर पर कंट्रोल पाया जा सकता था। इस आर्टिकल में देखें कोरोना वायरस और चीन के झूठ की पूरी टाइमलाइन

    कोरोना वायरस और चीन का कनेक्शन (Corona virus & China)

    कोरोना वायरस का पहला मामला बीते साल दिसंबर में चीन के वुहान में सामने आया था। आज यह वायरस धीरे-धीरे दुनिया के 180 से ज्यादा देशों में अपने पैर पसार चुका है। वर्ल्डोमीटर की रिपोर्ट (29 मार्च, 23:03 तक) के मुताबिक दुनियाभर में इसके 7 लाख 7 हजार मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 33,524 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले यूरोप में इस वैश्विक महामारी से 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। चीन के बाद यूरोप कोविड-19 महामारी का केंद्र बना हुआ है।

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    कोरोना वायरस और चीन का झूठ: शुरुआत से ही चीन ने दी गलत जानकारी

    अमेरिकी पत्रिका ‘नेशनल रिव्यू’ के एक लेख के अनुसार, चीन ने उन सभी जानकारियों को वापस ले लिया जो कोरोना की लड़ाई के खिलाफ उनके लिए परेशानी बड़ा सकती थी। कोरोनो वायरस जो एक जानवर की प्रजाति से मनुष्य में पहुंचता है, संभवतः चीनी ‘फिश मार्केट’ से फैलना शुरू हुआ था।

    कोरोना वायरस और चीन से कैसे फैला : पूरी टाइमलाइन

    दिसंबर 1, कोरोना वायरस का पहला मामला चीन के वुहान में सामने आया था। इस शख्स में निमोनिया के लक्षण नजर आए। पांच दिन के बाद उस शख्स की 53 वर्षीय पत्नी, जो बाजार में नहीं गई थी उसे भी निमोनिया के साथ एडमिट किया गया। इन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। तब तक किसी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह कोई वायरस हो सकता है। दिसंबर के दूसरे हफ्ते वुहान के डॉक्टरों को ऐसे मामले मिले जिनका कारण पता नहीं था। इन सभी मरीजों में सूखी खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण नजर आए। ये सभी मामले इस बात का इशारा कर रहे थे कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस फैल रहा है।

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    कोरोना वायरस और चीन : दिसंबर में वायरस फैलना शुरू हुआ

    दिसंबर 25 को वुहान के दो अस्पतालों में चीनी चिकित्सा स्टाफ को वायरल निमोनिया से पीड़ित पाया गया था। इसके बाद उन्हें तुरंत आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया। इसके बाद दिसंबर के अंत तक वुहान के अस्पतालों में इस बीमारी से पीड़ित मामले तेजी से बढ़ते देखे गए। इन सभी मामलो को फिश मार्केट से जोड़कर देखा गया।

    30 दिसंबर को वुहान के एक अस्पताल में डॉक्टर ली वेनलियांग ने एक ऑनलाइल ग्रुप चैट पर इस वायरस और उसके खतरे से जुड़ी जानकारी दी थी। इस ग्रुप में कई डॉक्टर जुड़े हुए थे। उन्होंने ग्रूप में लिखा था कि स्थानीय सी फूड बाजार से आए सात मरीजों का सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) जैसे संक्रमण का इलाज किया जा रहा है और उन्हें अस्पताल के पृथक वार्ड में रखा गया है।

    कोरोना वायरस और चीन का झूठ: डॉक्टर को भी ठहराया गलत

    कोरोना वायरस और चीन का झूठ सबसे पहले तब सामने आया जब चीन ने अपने ही एक डॉक्टर को गलत ठहरा दिया। ली वेनलियांग ने इसकी जानकारी अस्पताल के अधिकारियों को दी थी, जिसे किसी ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। बल्कि उन पर अफवाह फैलाने के आरोप लगा कर अनुशासनात्मक कारवाई करने की बात कही।

    31 दिसंबर को वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग ने घोषणा की कि ली वेनलियां की जांच में मानव से मानव संचरण और कोई मेडिकल स्टाफ संक्रमण नहीं पाया गया है।

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    कोरोना वायरस और चीन का झूठ: परीक्षण को रोकने के दिए आदेश

    3 जनवरी को ली वेनलियांग ने पुलिस स्टेशन में अपनी गलती को स्वीकार किया और एक बयान पर हस्ताक्षर किए जिसमें लिखा था कि वह अब ऐसी गलती आगे नहीं करेंगे। इसके बाद चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने संस्थानों को अज्ञात बीमारी से संबंधित कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं करने का आदेश दिया।

    3 जनवरी को ही हुबेई प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग ने नई बीमारी से संबंधित वुहान से नमूनों के परीक्षण को रोकने का आदेश दिया और सभी मौजूदा नमूनों को नष्ट कर देने के लिए कहा।

    6 जनवरी को द न्यू यॉर्त टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, वुहान में 59 लोग मिनोनिया जैसी बीमारी से ग्रसित हैं। इसी दिन चाइनीज सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन ने पहला कदम उठाया। उन्होंने लोगों को वुहान में ‘जीवित या मृत जानवरों, पशु बाजारों और बीमार लोगों के संपर्क से बचने की सलाह दी।

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    कोरोना वायरस और चीन का झूठ: जनवरी में दोबारा दी गलत जानकारी

    8 जनवरी को, चीनी चिकित्सा अधिकारियों ने वायरस की पहचान करने का दावा किया। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर कहा कि इस वायरस का मानव से मानव में फैलने का कोई सबूत नहीं मिला है।

    11 जनवरी को, वुहान सिटी हेल्थ कमीशन ने एक शीट जारी की जिसमें प्रश्न और उनके उत्तर थे। इसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शहर में अधिकांश निमोनिया के मामले दक्षिण चीन फिश मार्केट के संपर्क का इतिहास है। इसका मानव से मानव संचरण का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है।

    12 जनवरी को डॉ ली वेनलियांग को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरोना वायरस पेशेंट्स के इलाज करते करते उन्हें खांसी शुरू हो गई थी। बाद में उन्हें बुखार हुआ। उनकी इतनी हालत खराब हो गई थी कि उन्हें आईसीयू में एडमिट कराया गया।

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    कोरोना वायरस और चीन का झूठ: डब्ल्यूएचओ को दी गलत जानकारी

    13 जनवरी

    कोरोना वायरस का पहलमा मामला चीन के बाहर थाईलैंड से आया। 61 वर्षीय महिला ने वुहान का दौरा किया था। हालांकि, थाईलैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि महिला ने वुहान सीफूड बाजार का दौरा नहीं किया था। महिला ने वुहान में एक छोटे बाजार का दौरा किया था, जिसमें कई जानवरों का मीट बेचा जाता है।

    14 जनवरी

    डब्ल्यूएचओ ने ट्विटर पर लिखा, ‘चीनी अधिकारियों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में वुहान में पहचाने गए कोरोना वायरस के मानव से मानव संचरण का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है।

    15 जनवरी

    जापान ने कोरोना वायरस के अपने पहले मामले की सूचना दी और उसके स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मरीज ने चीन में किसी भी सी फूड मार्केट का दौरा नहीं किया था। वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग ने एक बयान जारी कर कहा- मानव से मानव संचरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

    वुहान के डॉक्टरों को इस बात की जानकारी थी कि यह वायरस संक्रामक है, बावजूद इसके नेशनल रिव्यू के लेख के अनुसार, शहर के अधिकारियों ने 40,000 परिवारों को लूनर न्यू ईयर के दिन एकत्रित होने की अनुमति दी।

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    19 जनवरी

    चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने वायरस को ‘रोके जाने योग्य और नियंत्रणीय’ घोषित किया। इसके ठीक एक दिन बाद, चाइना हेल्थ नेश्नल कमीशन की टीम के प्रमुख ने इसकी जांच की और इस बात की पुष्टि की कि चीन के गुआंगडोंग प्रांत में संक्रमण के दो मामले मानव से मानव संचरण और चिकित्सा कर्मचारी संक्रमित हुए थे।

    21 जनवरी

    सीडीसी ने अमेरिका में कोरोना वायरस के पहले मामले की घोषणा की। मरीज छह दिन पहले चीन से लौटा था।

    डब्ल्यूएचओ ने किया चीन का दौरा

    22 जनवरी को, डब्ल्यूएचओ के एक प्रतिनिधिमंडल ने वुहान का एक क्षेत्र दौरा किया। इसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि- “नए परीक्षण किट की मदद से राष्ट्रीय स्तर पर पता चलता है कि वुहान में मानव से मानव संचरण हो रहा है।

    वायरस का पहला मामला सामने आने के लगभग दो महीने बाद, चीनी अधिकारियों ने वुहान में बीमार लोगों को संगरोध के लिए अपने पहले कदम की घोषणा की। इस समय तक, चीनी नागरिकों की एक बड़ी संख्या ने विदेश यात्रा की थी।

    एक फरवरी को कोरना वायरस के फैलने की सबसे पहले सूचना देने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग की कोविड-19 को मौत हो गई।

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    वक्त रहते सचेत होता चीन तो न होता ये हाल

    आज दुनिया में ज्यादातर लोग कोरोना वायरस को समुदायों के बीच फैलने से रोकने के लिए घर में कैद है। जहां एक तरफ सभी देश कोविड-19 को फैलने से रोकने की कोशिश कर रहा है वहीं अगर चीन ने सही समय पर लोगों को आगाह किया होता तो शायद इस खतरनाक वायरस को फैलने से रोका जा सकता था। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथैम्पटन (University of Southampton) के एक शोध के अनुसार, अगर चीन समय पर रहते हुए इस गंभीर महामारी को लेकर सचेत होता तो इसके 95 प्रतिशत मामलों को कम किया जा सकता था। शोधकर्ताओं ने ह्यूमन मूवमेंट और बीमारी की शुरुआत के आंकड़ों को संकलित करने के लिए मैपिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाया कि कोविड-19 जब चीन में फैल रहा था तो शुरुआत में इसके फैलने की गति धीमी थी। उस समय इसे कंट्रोल किया जा सकता था।

    पहले लॉकडॉउन किया होता तो…

    इस शोध के अनुसार अगर चीन ने स्थिति बिगड़ने से एक हफ्ते पहले लॉकडाउन किया होता तो कोरोना वायरस के मामले 66 प्रतिशत तक कम होते। यदि लॉकडाउन दो हफ्ते पहले होता तो ये मामले 86 प्रतिशकत कम होते। तीन हफ्ते पहले लॉकडाउन करने पर 95 प्रतिशत केस कम हो सकते थे।

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