इम्यून सिस्टम (Immune system) जब एलर्जन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है, तो शरीर में बहुत से बदलाव दिखने लगते है। ऐसा शरीर में हिस्टामाइन (Histamine) रिलीज होने के कारण होता है। हिस्टामाइन एक कैमिकल होता है, जिसके रिलीज होने के कारण स्किन का लाल होना, छींक आना, खांसी आना (Cough) आदि समस्याएं देखने को मिलती है। एलर्जी की समस्या (Allergy problem) किसी भी उम्र में हो सकती है। एलर्जी से छुटकारा पाने के लिए हमेशा उन चीजों से दूरी बनाने की जरूरत होती है, जो एलर्जी पैदा करते है। एलर्जी होने के कुछ कारण जैसे कि खाने से, एनिमल प्रोडक्ट से, इनसेक्ट, मोल्ड, प्लांट, मैटल या फिर किसी मेडिसिन से एलर्जी की समस्या हो सकती है। एलर्जी के कारण आंखें भी लाल हो सकती हैं। कुछ लोगों को इनसेक्ट बाइट के कारण भी एलर्जी की समस्या हो जाती है। जिन लोगों को किसी फूड से एलर्जी होती है, उन्हें पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यानी एलर्जी की समस्या के कारण कई परेशानियां एक साथ आपको परेशान कर सकती हैं। वैसे तो एलर्जी को दूर भगाने के लिए लोग कई तरह के ट्र्रीटमेंट अपनाते हैं लेकिन एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Allergy treatment in ayurveda) कम ही लोगों को पता होता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Allergy treatment in ayurveda) कैसे किया जाता है, इस बारे में जानकारी देंगे। जानिए एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट।
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एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Allergy treatment in ayurveda) क्या है?
एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Allergy treatment in ayurveda) अपानकर बीमारी के लक्षणों को दबाया जा सकता है। आयुर्वेद में एलर्जी का मुख्य कारण पाचन का सही तरह से न हो पाना यानी अपच की समस्या, पॉल्यूशन है। जब शरीर में पाचन क्रिया ठीक प्रकार से नहीं होती है, तो शरीर के टॉक्सिंस (Toxins) बाहर नहीं निकल पाते हैं। इस कारण से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है और शरीर में कुछ विशेष पदार्थों के रिएक्शन को एलर्जी के रूप में दिखाता है। आयुर्वेद में एलर्जी का ट्रीटमेंट करने के लिए पाचन क्रिया को दुरस्त किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार एलर्जी निम्नलिखित का परिणाम हो सकती है।
- कमजोर अग्नि यानी डायजेस्टिव फायर (Digestive fire)
- अमा का अधिक बनना (Toxins)
- शरीर में असंतुलित दोष के कारण (Vata, Pitta or Kapha)
- धातू की अवस्था और अग्नि के कारण
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
दोष के अनुसार एलर्जी तीन प्रकार की हो सकती हैं। जानिए वात संबंधित एलर्जी के बारे में।
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एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट जानने से पहले जानिए वात संबंधित एलर्जी (Vata related allergy)
वात संबंधित दोष में एलर्जी का कारण स्पाइसी, सूखे, तीखे या फिर कच्चे खाद्य पदार्थ से हो सकते हैं। कई बार मौसम में बदलाव भी एलर्जी का कारण हो सकता है। वात संबंधित दोष होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।
- जी मिचलाना
- पेट में दर्द
- अंगों में सनसनी
- नींद में कमी
- मांसपेशियों में मरोड़
- हड्डियों में दर्द
- जोड़ों में दर्द
- आंतों का दर्द
- कान में दर्द
- कब्ज
- बेचैनी
पित्त संबंधित एलर्जी (Pitta related allergy)
पित्त संबंधित एलर्जी सिट्रिक फल के सेवन से, गर्म मौसम में, तेज धूप में, खट्टे या नमकीन पदार्थों के सेवन से, मसालेदार खाने से बढ़ सकती है क्योंकि ये फूड पित्त को बढ़ाने का काम करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की त्वचा बहुत सेंसिटिव होती है और उन्हें कुछ कपड़ों, धातुओं, सेंथेटिक मैटीरियल्स से एलर्जी हो सकती है। पित्त दोष के कारण कुछ ऑर्गन जैसे कि स्किन, आईज, डायजेस्टिव सिस्टम और स्प्लीन आदि प्रभावित होते हैं। पित्त संबंधित एलर्जी के कारण शरीर में लाल रेशेज, सूजन एक्जिमा (Eczema), ईचिंग की समस्या, आंखों की लालिमा, दस्त आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
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कफ संबंधित एलर्जी (Kapha related allergy)
कुछ नमकीन पदार्थ या मीठे पदार्थ, डेयरी खाद्य पदार्थ, पनीर, दही, दूध आदि शरीर में कफ बढ़ाने का काम करते हैं। मौसम बदलने के साथ ही कफ की समस्या (Phlegm problem) बढ़ जाती है। इस कारण से फीवर, कंजेस्टिव डिसऑर्डर, खांसी आदि समस्याएं हो सकती हैं। अन्य कफ रिलेटेड एलर्जी के कारण नींद न आने की बीमारी, पेट में भारीपन आदि लक्षण भी दिख सकते हैं। जानिए कौन-सी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल आयुर्वेद में एलर्जी की समस्या (Allergy treatment in ayurveda) को दूर करने के लिए किया जाता है।
अदरक से पाचन में सुधार
अदरक का इस्तेमाल जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है। अदरक (Ginger) का सेवन डायजेशन को ठीक रखने का काम करता है। अदरक के रस का सेवन शहद के साथ मिलाकर करने से पाचन की समस्या यानी अपच की समस्या में राहत मिलती है। अदरक का इस्तेमाल चाय में भी किया जा सकता है। आप अदरक का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से भी जानकारी ले सकते हैं।
पिप्पली जड़ी बूटी
पिप्पली का सेवन आमतौर पर लोग मसालों के रूप में करते हैं। पिप्पली का सेवन करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। ये डायजेशन को ठीक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अक्सर लोगों को कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण सर्दी-जुकाम की समस्या लगी रहती है, ऐसे में पिप्पली के चूर्ण का सेवन एलर्जी के लक्षणों से राहत दिलाने का काम करता है। एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट अपनाते समय आप पिप्पली का सेवन करना न भूलें।
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एलर्जी से छुटकारे में मुलेठी का सेवन
मुलेठी शरीर के लिए बहुत गुणकारी होती है। ये ब्लड प्यूरीफिकेशन के साथ ही कफ की समस्या में भी राहत दिलाती है। मुलेठी का सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है, जिन्हें मौसम बदलने पर खांसी या कफ की अधिक समस्या रहती है। आप मुलेठी पाउडर को गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से राय भी ले सकते हैं।
एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट : हरिद्रा का सेवन
पीले रंग की हरिद्रा यानी हल्दी में एंटी एलर्जिक गुण होते हैं। आयुर्वेद में हरिद्रा का इस्तेमाल स्किन संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। एलर्जी की समस्या में स्किन में पित्ती की समस्या, सूजन आदि आम होती है। ऐसे में हरिद्रा का सेवन करना लाभकारी साबित होता है। हरिद्रा बैक्टीरियल इंफेक्शन को दूर करने का काम भी करता है और सांस संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है। आप हरिद्रा को घी में भूनकर दूध के साथ मिलाकर पी सकते हैं। हरिद्रा का सेवन खाने के साथ ही किया जा सकता है।
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एंटीहिस्टामिनिक का काम करता है सितोपलादी चूर्ण
जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि एलर्जी की समस्या हिस्टाइन कैमिकल प्रोड्यूज होने के कारण होती है। सितोपलादी चूर्ण एंटीहिस्टामिनिक की तरह कार्य करता है और शरीर में एलर्जी के लक्षणों को कम करने का काम करता है। ये गले में खराश, सर्दी, जुकाम, अस्थमा, सांस नली की सूजन कम करने आदि समस्याओं में राहत दिलाने का काम करता है। एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट करना चाहते हैं, तो इसे एक्सपर्ट से राय लेने के बाद आप अपना सकते हैं।
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एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट करने के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
एलर्जी से बचने के लिए आपको अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट (Allergy treatment in ayurveda) अपनाने के साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखने की भी आवश्यकता है। एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेते समय आपको निम्निलिखत बातों का ख्याल रखने की जरूरत है।
- डायट में मसालेदार भोजन, तीखे भोजन का सेवन न करें। आपको खाने में फल, सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- आप पेट की समस्या से जूझ रहे हैं, तो लिक्विड डायट को कुछ दिनों तक अपना सकते हैं।
- भोजन में उन फूड्स को बिल्कुल न शामिल करें, जिनसे आपको एलर्जी की समस्या होती है।
- अगर आपको मौसम बदलने के दौरान एलर्जी हो जाती है, तो ऐसे में बाहर निकलने से बचें।
- अगर आपको दूध से एलर्जी है, तो दूध से बने प्रोडक्ट बिल्कुल भी न खाएं।
- खाने में अधिक खट्टे, मीठे या फिर नमकीन भोजन को लेने से बचें। सादा भोजन आपकी परेशानी को कम करने का काम करेगा।
- पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन करें। दिन में सात से आठ ग्लास पानी जरूर पिएं।
- एलर्जी की समस्या है, तो सांस संबंधी परेशानियों से निपटने के लिए आप योग भी कर सकते हैं। अनुलोम-विलोम, सर्वांगासन पीठ, चक्रासन आदि सांस की तकलीफ से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
- अधिक ठंडा पानी न पिएं, वरना आपको कफ संबंधी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आयुर्वेद में अधिक ठंडे या फिर अधिक गर्म भोजन का सेवन न करने की सलाह दी गई है।
एलर्जी की समस्या से निपटने के लिए ट्रीमेंट के साथ ही आपको सावधानी रखने की भी जरूरत है। अगर आपको फिर भी समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एलर्जी का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट (Allergy treatment in ayurveda) संबंधी जानकारी या एलर्जी का अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट क्या होता है, इससे जुड़ी जानकारी मिल गई होगी। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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