टीबी एक तेजी से फैलने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन है और इसके कई प्रकार और लक्षण हैं। जिसमें आंत की टीबी यानी इंटेस्टाइनल टीबी (Intestinal TB) भी शामिल है। माइकोबैक्टीरियल ट्यूबरक्यूलॉसिस (Mycobacterium Tuberculosis) नामक बैक्टीरिया से फैलने वाली ये बीमारी वैसे तो फेफड़े को सबसे पहले प्रभावित करती है। हालांकि, कई बार इसका इंफेक्शन शरीर के कई और अंग जैसे आंतों तक भी पहुंच जाता है। कई बार दवाई के माध्यम से इसका इलाज कई महीनों तक चलता है।
कितनी सामान्य है आंत की टीबी?
विकासशील देशों में आंत की टीबी यानी इंटेस्टाइनल टीबी (Intestinal TB) बेहद सामान्य है। यह बीमारी हर उम्रवर्ग के व्यक्ति को हो सकती है। इसे रोकने के लिए संभावित खतरों को लेकर सचेत रहना जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या हैं आंत की टीबी के लक्षण?
आंत की टीबी के विभिन्न लक्षण हैं जैसेः
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- वजन कम होना
- रात को खूब पसीना बहना
- बुखार
- उल्टी
- कमजोरी
- दस्त
- कब्ज की समस्या
- मल द्वार से खून बहना
इन सबके अलावा भी कई लक्षण इस बीमारी में दिखाई दे सकते हैं। हमेशा अपने डॉक्टर की सला जरूर लें।
और पढ़ेंः ऐसे पहचाने छोटे बच्चों में खांसी के प्रकार और करें देखभाल
कब दिखाएं डॉक्टर को आंत की टीबी?
अगर आपको ऊपर दिए गए लक्षण दिखाई दें या मन में कोई सवाल हों, तो सबसे बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि हर बीमारी में हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग प्रतिक्रिया देता है, लेकिन घबराएं नहीं। ये लक्षण किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर ही इसका सही निदान कर पाएंगे।
कैसे बढ़ जाता है आंत की टीबी का खतरा?
निम्न कारणों से आंत की टीबी का खतरा बढ़ जाता हैः
- रोग प्रतिरोधक क्षमता खराब करने वाली बीमारी एचआईवी आदि होना
- डायबिटीज
- कम वजन होना
- सिर या गर्दन का कैंसर होना
कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित करें
और पढ़ेंः ब्रेन स्ट्रोक आने पर क्या करें और क्या न करें?
ट्यूबरकुलोसिस के बारे में जानने के लिए देखें ये 3डी मॉडल:
उपचार
नोट : यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं है। हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
कैसे होते हैं आंत की टीबी के टेस्ट?
आंत की टीबी के निम्न टेस्ट किए जा सकते हैंः
- लैब टेस्ट: लैब टेस्ट में खून की कमी और इरेथ्रोसाइट के जमाव को ब्लड टेस्ट के जरिए देखा जाता है।
- रेडियोलॉजी: इसके अलावा सीने की रेडियोग्राफी कर टीबी की पुष्टि की जाती है।
- इसके अलावा Barium enema and barium meal नामक टेस्ट किया जाता है।
- Lymphangiography : इस टेस्ट में एक खास तरह का इंजेक्शन देकर एक्स-रे किया जाता है।
- मेडिकल अल्ट्रासाउंड
- सीटी स्कैन
- गैलियम साइट्रेट स्कैन (Gallium citrate scans)
- कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) टेस्ट
- लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy) टेस्ट
- सीरम एंटीबॉडीज Serum antibodies टेस्ट
और पढ़ेंः जानिए , टीबी को दोबारा होने से कैसे रोका जा सकता है ?
इलाज
किस तरह होता है आंत की टीबी का इलाज?
आंत की टीबी का इलाज दवाईयों से पहले किया जाता है। परेशानी बढ़ने पर ही सर्जरी की जाती है।
दवाइयों की जरिए : 18 महीने से लेकर दो साल तक मरीज को रोज Isoniazid (300 mg) और Rifampin (600 mg) नाम दवाई लेनी होती हैं। अगर रोगी के कफ के जरिए कुछ और संभावित खतरे नजर आएं को एक ग्राम Streptomycin प्रतिदिन दो से 3 महीने तक दी जाती है। इसके अलावा टीबी के अन्य लक्षणों को देखते हुए और दवाईयां भी दी जाती हैं।
सर्जरी : जब आंत की टीबी गंभीर रूप ले ले और आंत में अवरोध पैदा करने लगे तो सर्जरी की मदद ली जाती है। लेकिन इस स्थिति में सर्जरी बेहद खतरनाक होती । ऐसी सर्जरी में जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में सर्जरी के 4 से 8 हफ्ते पहले तक कीमोथेरेपी भी दी जाती है। वहीं ऑपरेशन होने के बाद करीब 18 महीने तक कीमोथेरेपी चलती है।
[mc4wp_form id=’183492″]
आंत की टीबी के इलाज से होने वाले साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
आंत की टीबी का उपचार करने के लिए दवाओं के साथ-साथ सर्जरी और थेरेपी की भी मदद ली जा सकती है। हालांकि, इसके कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स होने का खतरा भी बना रहता है, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- तीन या उससे अधिक दिनों के लिए बुखार होना
- पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द होना
- शरीर में खुजली या दाने होने
- जी मिचलाना
- बार-बार उल्टी होना
- त्वचा या आंखो का रंग पीला होना
- पेशाब का रंग गहरा होना
- हाथों-पैरों में झुनझुनी महसूस करना या इनका शुन्न होना
- हमेशा थका हुआ महसूस करना
- चक्कर आना
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आप महसूस करते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
साथ ही, ध्यान रखें कि आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किए गए दवाओं का सेवन तब तक करें, जब तक आपका डॉक्टर इसके सेवन से मना नहीं करते हैं। आंत की टीबी या टीबी के अन्य प्रकारों के इलाज में लंबा समय लगता है। अगर उपचार के दौरान आपको अपनी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार दिखाई दे, तो तब भी अपने उपचार की प्रक्रिया जारी रखें।
और पढ़ें : पेट दर्द (Stomach Pain) से निपटने के लिए 5 आसान घरेलू उपाय
आंत की टीबी के उपचार के दौरान इन जरूरी बातों का भी ध्यान रखेंः
- आंत की टीबी होने या अन्य प्रकार की टीबी होने पर घर से बाहर कम से कम जाएं।
- टीबी के उपचार के दौरान के भी घर में ही ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं।
- हवादार और रोशनी युक्त कमरे में रहें।
- भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न घूमें।
- सुबह की हल्की धूप में भी थोड़ा समय बिता सकते हैं।
टिप्स
आंत की टीबी से बचने और उससे निपटने के लिए जीवन में लाएं ये बदलावः
जिन लोगों को आंत की टीबी है उन्हें घर पर ही आराम करना चाहिए। जब तक डॉक्टर न कहे उन्हें बाहर जाने से बचना चाहिए। इसका ट्रीटमेंट हफ्ते से लेकर कई महीनों तक चल सकता हे। अगर डॉक्टर पुष्टि करता है कि आपकी टीबी अब किसी और को नहीं फैल सकती तब आप अपने दैनिक जीवन के कार्य दोबारा शुरू कर सकते हैं।
अगर आपका इलाज घर पर ही चल रहा हो तो आपको इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि आपकी टीबी आपके परिवार के लोगों को न हो। इसे बैक्टीरिया हवा से फैलते हैं इसलिए हमेशा मुंह पर मास्क पहनकर रखें। खांसते या छींकते वक्त मुंह को टिशू पेपर से ढकें और उसे सुरक्षित तरीके से फेंक दें। ध्यान रखें कि जिस रूम में रोगी हो वहां पर्याप्त वायु संचार ventilation हो। आप चाहें तो एक फैन खिड़की की दिशा में रख सकते हैं, जिससे संक्रमित हवा बाहर निकलती रहे।
सबसे जरूरी बात यह है कि रोगी बिना भूल किए अपनी हर दवाई समय पर ले। क्योंकि दवाइयां बीच में रोकने टीबी का इलाज मुश्किल हो जाता है। अब टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है। टीबी का मरीज आसानी से ठीक हो जाता है। बस डॉक्टर के निर्देशों का पालन करते रहें।
उम्मीद हैं कि आपको इस आर्टिकल के माध्यम से आंत की टीबी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।