एक्टिव ट्यूबरक्यूलॉसिस का अगर अच्छे से उपचार न कराया जाए, तो यह जान के लिए जोखिम हो सकता है।
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लेटेंट ट्यूबरक्यूलॉसिस (Latent Tuberculosis)
इस ट्यूबरक्यूलॉसिस के प्रकार (Types of Tuberculosis) को लेटेंट टीबी कहा जाता है। अगर आपको लेटेंट टीबी इंफेक्शन है, इसका अर्थ है कि आपके शरीर में टीबी बैक्टीरिया तो हो सकता है, लेकिन यह इनएक्टिव होता है। यानी, आपको इसके कोई लक्षण महसूस नहीं होते। लेटेंट ट्यूबरक्यूलॉसिस एक्टिव ट्यूबरक्यूलॉसिस में बदल सकता है। यह जोखिम उन लोगों में अधिक होता है, जिन लोगों में किसी बीमारी या अंडरलाइंग कंडीशन के कारण इम्युनिटी कमजोर होती है। अब जानते हैं एक्टिव ट्यूबरक्यूलॉसिस के प्रकारों के बारे में:
पल्मोनरी ट्यूबरक्यूलॉसिस (Pulmonary Tuberculosis)
पल्मोनरी ट्यूबरक्यूलॉसिस एक एक्टिव टीबी है, जो लंग से संबंधित है। किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर हवा के माध्यम से आप इस टीबी का शिकार हो सकते हैं। क्योंकि इसके रोगाणु हवा में कई घंटों तक रहते हैं।
जानिए क्या हैं ट्यूबरक्युलॉसिस (symptoms of Tuberculosis) के लक्षण?
ट्यूबरक्युलॉसिस के संक्रमण के बाद शुरुआती दिनों में कोई लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन जब यह संक्रमण बीमारी का रूप लेने लगता है, तब इसके लक्षण सामने आना शुरू हो जाते हैं। ये लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि टीबी ने किस अंग को प्रभावित किया है। जैसे- तीन हफ्तों तक खांसी होना, खून में कफ आना, सीने में दर्द होना, बुखार आना, रात को बहुत ज्यादा पसीना आना, वजन कम होना, भूख न लगना, कमजोरी आना, चक्कर आना आदि। इसके अलावा, टीबी के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। अगर आपको किसी भी प्रकार की समस्या है, तो एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
इस बारे में फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड के डॉ अंशु पंजाबी, सलाहकार.पल्मोनोलॉजिस्ट और स्लीप मेडिसिन विशेषज्ञ का कहना है कि ट्यूबरक्युलॉसिस के बैक्टीरिया उन पर तेजी से हमला करते हैं, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इसका खतरा एचआईवी या कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित रह चुके लोगों में होने की संभावना ज्यादा हो सकती है। टीबी की बीमारी ज्यादातर फेफड़ों में होती हैं। हालांकि यह हड्डियों, लिम्फ ग्रंथियों, आंतों, दिल, दिमाग के साथ-साथ अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ट्यूबरक्युलॉसिस से बचाव संभव है सिर्फ कुछ बातों को ध्यान में रखा जाये तो। आज जानेंगे क्या है ट्यूबरक्युलॉसिस से बचाव के क्या हैं तरीके?
ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis) के लिए कब दिखाएं डॉक्टर को?
अगर आपका वजन अचानक बिना किसी कारण घटने लगे, रात को खूब पसीना आने लगे, तीन हफ्तों तक खांसी न रुके तो ये लक्षण ट्यूबरक्युलॉसिस के हो सकते हैं। ऐसे में आप अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं, क्योंकि कई बार ऐसे लक्षण अन्य बीमारियों के भी हो सकते हैं।
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जानिए ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis) के कारण
किस वजह से होता है ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis)?
ट्यूबरक्युलॉसिस (टीबी) का बैक्टीरिया सबसे ज्यादा हवा के जरिए व्यक्ति के शरीर में आता है। संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक के संपर्क में आने से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। शरीर में जाने के बाद यह वायरस यूं तो लंबे समय तक सोता रहता है और कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। लेकिन जब शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने में नाकाम हो जाता है, तो यह हमला शुरू कर देता है। सबसे पहले यह फेफड़े पर हमला कर रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यहीं से टीबी के लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
ऐसे बढ़ जाता है ट्यूबरक्युलॉसिस (Risk factor of Tuberculosis) का खतरा अगरः
- आपको एचआईवी या एड्स होना
- आपको डायबिटीज की बीमारी होना
- किसी प्रकार का कैंसर होना
- आप कुपोषण का शिकार हैं
- आप कीमोथेरिपी या अन्य कैंसरी ट्रीटमेंट ले रहे हैं
- बॉडी वेट कम होना
- अंग प्रत्यारोपण के लिए दवाओं का सेवन करना
- स्मोकिंग करना
- रेग्यूलर एल्कोहॉल का सेवन करना