परिचय
बार बार पेशाब आना (Frequent Urination) क्या है?
यदि आपको दिन रात यूरिन के लिए बाथरूम के चक्कर काटने पड़ते हैं तो हो सकता है आपको पेशाब ज्यादा आना या बार बार पेशाब आना (फ्रीक्वेंट यूरिनेशन) की समस्या हो। बार बार पेशाब (फ्रीक्वेंट यूरिनेशन) को ओवरएक्टिव ब्लैडर भी कहते हैं। आमतौर पर एक इंसान को दिन में चार से आठ बार टॉयलेट जाने की जरूरत होती है। इससे ज्यादा बार यूरिन के लिए जाना फ्रीक्वेंट यूरिनेशन कहलाता है। लेकिन सभी में इसके कारण अलग हो सकते हैं। वैसे तो यह नॉर्मल है, लेकिन अगर इसके चलते किसी की जिंदगी प्रभावित होती है तो यह परेशानी वाली बात हो सकती है। इस परेशानी का ट्रीटमेंट एक्सरसाइज करके भी किया जा सकता है। डायबिटीज से ग्रसित लोगों को अगर यह परेशानी है तो इस पर उन्हें खास ध्यान देने की जरूरत होती है।
दिन में आठ बार से अधिक या रात में जागकर यूरिन के लिए जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि आप बहुत ज्यादा पानी पीते हैं या सोने से पहले पानी पीने के कारण भी यह समस्या हो सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि यह पेशाब ज्यादा आना (फ्रीक्वेंट यूरिनेशन) का लक्षण हो।
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बहुत सारे लोगों को पेशाब बार बार आने की परेशानी होती है और कम लोग ही जानते हैं कि यह एक हेल्थ संबंधित परेशानी है। जब एक इंसान दिन में तीन लीटर से ज्यादा यूरिन पास करता है तो इसे पॉल्यूरिया (polyuria) कहते हैं। अक्सर यह परेशानी होने का साधारण कारण होता है, जिसे इलाज करके ठीक किया जा सकता है। कई बार पेशाब ज्यादा आना अधिक गंभीर स्थिति जैसे डायबिटीज की समस्या, ओवरएक्टिव ब्लैडर सिंड्रोम, यूटीआई की समस्या और प्रोस्टेट प्रॉब्लम्स का संकेत दे सकता है। समस्या की समय पर पहचान और प्रभावी उपचार से इसकी जटिलताओं को रोका जा सकता है।
यूरिन के जरिए शरीर बेकार तरल पदार्थ से छुटकारा पाता है। इसमें पानी, यूरिक एसिड, यूरिया, विषाक्त पदार्थों और शरीर से फिल्टर किया गया वेस्ट (waste) होता है। इस प्रक्रिया में गुर्दों की अहम भूमिका होती है। यूरिन ब्लैडर में यूरिन तब तक रूका रहता है जब तक वह पूरी तरह से भर नहीं जाता व आपको यूरिन करने की इच्छा होती है। ऐसा होने पर शरीर से यूरिन को बाहर निकाल दिया जाता है।
फ्रीक्वेंट यूरिनेशन और यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (urinary incontinence) दोनों अलग अलग हैं। यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस में ब्लैडर पर कम कंट्रोल होता है। वहीं फ्रीक्वेंट यूरिनेशन में बार बार पेशाब आने की समस्या होती है।
किन लोगों को बार बार पेशाब आने की समस्या होती है?
यूरिन करने की जरूरत सभी को होती है। अत्यधिक यूरिन आने की समस्या पुरुष, महिला, बच्चे किसी को भी हो सकती है। हालांकि ज्यादातर यह परेशानी किसी न किसी बीमारी के चलते होती है। निम्नलिखित लोगों को बार बार पेशाब आने की संभावना अधिक होती है:
- प्रेग्नेंट महिलाओं (Pregnant women)
- जिन लोगों का प्रोस्टेट बढ़ा होता है (People with Enlarged Prostate)
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लक्षण
बार बार पेशाब आने (Frequent Urination) के लक्षण क्या हैं?
बार बार पेशाब (फ्रीक्वेंट यूरिनेशन) के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- यूरिन करते समय दर्द या तकलीफ महसूस होना मूत्राशय पर
- नियंत्रण खोना या यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस
- यूरिन पास करते समय दिक्कत होना
- खून या आसामान्य रंग का यूरीन होना
- वजायना या पेनिस से डिस्चार्ज होना
- भूख या प्यास में वृद्धि
- बुखार या ठंड लगना
- उल्टी या जी मिचलाना
- पीठ या साइड में दर्द
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कब दिखाएं डॉक्टर को?
यदि उपरोक्त बताए कोई लक्षण आपको नजर आए या फिर बार बार पेशाब आने के कारण आपकी जिंदगी प्रभावित हो रही है तो बेहतर होगा आप समय पर डॉक्टर को दिखाएं। पेशाब ज्यादा आना किडनी इंफेक्शन का लक्षण भी हो सकता है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो किडनी खराब हो सकती हैं। इसके साथ ही जिस बैक्टीरिया के कारण किडनी इंफेक्शन होता है यदि वह ब्लडस्ट्रीम में मिल जाए तो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी इंफेक्शन फैल सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
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कारण
बार बार पेशाब आने (Frequent Urination) के क्या कारण हैं?
ज्यादा पेशाब आना किडनी से लेकर ज्यादा पानी पीने आदि कई परेशानियों का संकेत हो सकता है। यदि पेशाब बार बार आने के साथ फीवर की शिकायत भी हो या फिर पेट में दर्द या बेचैनी हो तो यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। अधिक पेशाब आने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
डायबिटीज (Diabetes): पेशाब ज्यादा आना या बार बार पेशाब आना डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 का शुरुआती लक्षण हो सकता है। डायबिटीज में आपका शरीर ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित नहीं करता है। इस स्थिति में शरीर यूरिन के माध्यम से ग्लूकोज से छुटकारा पाने की कोशिश करता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection): ज्यादा पेशाब आने का यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बेहद आम कारण है। ऐसा तब होता है जब बैक्टीरिया यूरेथ्रा (Urethra) यानी मूत्रमार्ग के माध्यम से ब्लैडर में प्रवेश करता है। बहुत कम मामलों में बार बार पेशाब आना ब्लैडर कैंसर का लक्षण भी हो सकता है।
अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेना : यदि आपको बार बार पेशाब आ रहा है तो इसका कारण आपके द्वारा अधिक तरल पदार्थ लेना भी हो सकता है।
प्रेग्नेंसी (Pregnancy): प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चा जब शरीर के अंदर ज्यादा से ज्यादा जगह ले लेता है तो ब्लेडर खिसक जाता है। इस कारण गर्भावस्था में पेशाब ज्यादा आने की समस्या होना आम है। प्रेग्नेंसी की पहले और तीसरे तिमाही के दौरान यह परेशानी ज्यादा होती है। ये लक्षण बच्चे को जन्म देने के कुछ समय बाद दूर हो जाती है।
प्रोस्टेट संबंधित परेशानियां (Prostate problems): पुरुषों में गोल्फ बॉल के साइज की प्रोस्टेट ग्रंथि होती है, जो कुछ तरल बनाता है जो स्खलन के दौरान बाहर निकलता है। जैसे जैसे आप बड़े होते है आपका प्रोस्टेट भी बढ़ता है, लेकिन यदि यह अधिक बढ़ जाता है तो परेशानी पैदा करता है। बड़ा हुआ प्रोस्टेट यूरिनरी सिस्टम पर दबाव पैदा कर सकता है जिससे बार बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है।
इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस (Interstitial Cystitis): इस स्थिति में मूत्राशय और श्रोणि क्षेत्र में दर्द होता है। इसमें तुरंत और बार-बार पेशाब करने की परेशानी होती है।
स्ट्रोक और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Stroke or Neurological Diseases): जो नर्व्स ब्लेडर को सप्लाई करती हैं उनके ब्लॉक होने पर ब्लेडर का कार्य प्रभावित होता है। इसमें बार-बार और अचानक पेशाब आने की समस्या होती है।
ड्युरेटिक का इस्तेमाल : उच्च रक्तचाप या गुर्दे में तरल पदार्थ के निर्माण का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर करती है। यही कारण है कि इसमें बार बार पेशाब जाने की आवश्यकता होती है।
बार बार पेशाब आने के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं:
- ब्लैडर में इंफेक्शन, डिजीज, इंजरी और इरिटेशन
- कैंसर के कई इलाज
- बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लसिया (Benign prostatic hyperplasia, BPH)
- एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety disorders)
- ब्लैडर स्टोन (Bladder stones)
- किडनी के फंक्शन में बदलाव
- किडनी इंफेक्शन (Kidney infection)
- ब्लेडर कैंसर (Bladder Cancer)
- क्लेमेडिया (Chlamydia)
- पेल्विक ट्यूमर का विकास
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रोकथाम और नियंत्रण
बार बार पेशाब आने (Frequent Urination) की परेशानी को होने से कैसे रोका जा सकता है?
- बार बार पेशाब आने की समस्या के रोकथाम के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपनी डायट का खास ख्याल रखें। संतुलित आहार का सेवन करने के साथ एक्टिव लाइफस्टाइल बनाए रखने से यूरिन के उत्पादन में मदद मिल सकती है।
- एक्टिव लाइफस्टाइल के लिए आपको एल्कोहॉल और कैफीन के सेवन को सीमित करना होगा। इसके अलावा ऐसे खाद्य पदार्थ जैसे चॉकलेट, स्पाइसी फू़ड और आर्टीफिशियल स्वीटनर आदि को डायट से बाहर करना होगा। खाने पीने की ये चीजें ब्लेडर को प्रभावित करती हैं।
- डायट में जितना हो सके हाई फाइबर खाद्य पदार्थ को शामिल करें जिससे कब्ज की समस्या न हो। ये परोक्ष रूप से यरेथ्रा के माध्यम से यूरिन के फ्लो में सुधार कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कब्ज वाले रेक्टम यूरिनरी ब्लेडर और युरेथ्रा दोनों पर दबाव डाल सकते हैं।
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निदान
बार बार पेशाब आने (Frequent Urination) के बारे में पता कैसे लगाएं?
बार बार पेशाब आने की समस्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन के साथ नीचे बताए सवाल पूछ सकते हैं:
- बार बार पेशाब आने का पैटर्न जैसे दिन में किस समय आपको ज्यादा पेशाब आता
- आप कोई दवा का सेवन कर रहे हैं
- यूरिन के रंग, गंध, या स्थिरता में कोई परिवर्तन
- आप दिनभर में एल्कोहॉल और कैफीन लेते हैं
बार बार पेशाब (फ्रीक्वेंट यूरिनेशन) की परेशानी का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट कराने के लिए कह सकता है:
- यूरिन एनालिसिस (Urine analysis): यूरिन में किसी असामान्यता की पहचान करना
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): किडनी को देखने के लिए
- एक्सरे या सी-टी स्कैन (X-ray or CT scan): एब्डोमेन और पेल्विस की स्थिति देखने के लिए
- न्युरोलॉजिकल टेस्ट (Neurological tests): नर्व डिसऑर्डर को पता लगाने के लिए
- एसटीआई के लिए परीक्षण (Testing for STIs)
- सिस्टोमेटरी (Cystometry): इस परीक्षण में ब्लैडर के अंदर दबाव को मापा जाता है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि ब्लैडर कितने सही तरीके से काम कर रहा है।
- सिस्टोस्कॉपी (Cystoscopy): इस परीक्षण में चिकित्सक एक पतली रोशनी वाले उपकरण का इस्तेमाल कर ब्लैडर और युरेथ्रा के अंदर देखता है।
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कई मामलों में डॉक्टर यूरोडायनामिक टेस्ट (Urodynamic tests) रिकमेंड कर सकता है। इस परीक्षण में यूरिनरी ब्लैडर के यूरिन को स्टोर और रिलीज करने की प्रभावशीलता का आंकलन किया जाता है। इसके साथ ही इसमें यूरेथ्रा के कार्य की जांच की जाती है। इस परीक्षण में निम्न बातों का पता लगाया जाता है:
- यूरिनरी स्ट्रीम का उत्पादन करने वाले समय को रिकॉर्ड करना
- उत्पादित यूरिन की मात्रा को नोट करना
- मिड-स्ट्रीम यूरिन को रोकने की क्षमता का अनुमान लगाना
उपरोक्त बताए गए बिंदुओं का सटीक माप करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवर निम्न उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं:
- ब्लैडर को भरने और खाली करने का निरीक्षण करने के लिए इमेजिंग इक्विपमेंट
- ब्लैडर के अंदर दबाव को मापने के लिए मॉनिटर
- मांसपेशियों और तंत्रिका गतिविधि को रिकॉर्ड करने के लिए सेंसर
टेस्ट से पहले डॉक्टर आपको बता देंगे कि आपको कितना पानी पीकर आना है और टेस्ट से पहले किन दवाओं को लेना बंद करना है।
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उपचार
बार बार पेशाब आने (Frequent Urination) का उपचार कैसे किया जाता है?
बार बार पेशाब आने की परेशानी का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। यदि इसका कारण डायबिटीज है तो आपको शुगर लेवल कंट्रोल में रखने की दवाएं रिकमेंड की जाएंगी। यदि बार बार पेशाब आने के पीछे का कारण बैक्टीरियल किडनी इंफेक्शन है तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक और पेनकिलर थेरेपी देंगे। यदि आपको ओवरएक्टिव ब्लैडर की परेशानी है तो आपको इसकी दवा दी जाएगी। इसके अलावा डॉक्टर आपको ब्लैडर ट्रेनिंग एक्सरसाइज की सलाह भी दे सकते हैं।
कीगल एक्सरसाइज (Kegel exercises): इस एक्सरसाइज को प्रेग्नेंसी के दौरान रोजाना करने की सलाह दी जाती है। इससे पेल्विस और युरेथ्रा की मसल्स मजबूत होती है साथ ही ब्लैडर को स्पोर्ट मिलता है। इस एक्सरसाइज के अच्छे परिणामों के लिए 4 से 8 हफ्ते तक रोजाना दिन में तीन बार इसके 10 से 20 सैट करने की सलाह दी जाती है।
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बायोफीडबैक (Biofeedback): कीगल एक्सरसाइज के साथ बायोफीडबैक थेरेपी पेशेंट को उनके शरीर के कार्यों के बारे में अधिक जागरूक बनने में सक्षम बनाती है। यह पेल्विक मसल्स के नियंत्रण में सुधार करने में मदद कर सकती है।
ब्लैडर ट्रेनिंग (Bladder training): इसमें ब्लैडर को लंबे समय तक यूरिन रखने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इसके लिए ट्रेनिंग 2 से 3 महीने तक चलती है।
हमें उम्मीद है कि इस लेख में दी गई जानकारी से आप बार बार पेशाब आने की परेशानी के बारे में समझ गए होंगे। इससे बचने के लिए आपको यहां बताई गई बातों को फॉलो करना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।