परिचय
ट्राइपोफोबिया (Trypophobia) क्या है?
ट्राइपोफोबिया (Trypophobia) एक तरह का डर होता है। इससे पीड़ित रोगियों को छोटे-छोटे छेदों को देखकर डर लगता है या उन्हें घिन आती है। उदाहरण के लिए, कमल के बीज की फली, स्ट्रॉबेरी का फल या मधुमक्खी का छत्ता। अगर किसी को ट्राइपोफोबिया है तो उन्हें इन तरह की चीजों से परेशानी हो सकती है।
यह भी पढ़ें : क्या आपको भी दाढ़ी बढ़ाने से लगता है डर? जानें क्यों होता है ऐसा
कितना सामान्य है ट्राइपोफोबिया होना?
ट्राइपोफोबिया सामान्य बीमारी नहीं है। इससे जुड़े अन्य अध्ययनों की जांच करने और नए शोध करने की जरूरत है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
यह भी पढ़ेंः कहीं बच्चे को सोशल फोबिया तो नहीं !
लक्षण
ट्राइपोफोबिया होने के लक्षण क्या है?
अगर कोई व्यक्ति छोटे-छोटे और करीब छेदों को देखकर डर जाता है, तो उसमें इस फोबिया के लक्षण हो सकते हैं।
इसके अलावा निम्न लक्षण भी ट्राइपोफोबिया के संकेत हो सकते हैंः
- रोंगटे खड़े होना
- डर की भवाना
- असुविधाजनक एहसास करना
- देखने में परेशानी होना
- परेशान होना
- त्वचा को खरोंचना
- पैनिक अटैक
- पसीना आना
- चक्कर आना
- उल्टी आना
- शरीर कांपना
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
यह भी पढ़ें : जानें क्या है सोशल फोबिया (Social Phobia) के लक्षण और उपचार
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमे में या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
यह भी पढ़ें : जानें क्या है सोशल फोबिया (Social phobia) के लक्षण और उपचार
कारण
ट्राइपोफोबिया के क्या कारण हैं?
ट्राइपोफोबिया के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन निम्न चीजें इसका कारण बन सकती हैं:
- कमल के बीज की फलियां
- मधुमक्खी का छत्ता
- स्ट्रॉबेरीज
- मूंगा
- एल्यूमीनियम मेटल फोम
- अनार
- बुलबुले
- कंडेनसेशन
- खरबूजा
कुछ तरह के जानवर, जिनमें कीड़े, उभयचर, स्तनधारी या अन्य जीव भी इसका कारण बन सकते हैं। इस तरह के जानवर अपनी त्वचा या पंख को फैलाते हैं।
यह भी पढ़ेंः बड़े ही नहीं तीन साल तक के बच्चों में भी हो सकता है डिप्रेशन
जोखिम
कैसी स्थितियां ट्राइपोफोबिया को बढ़ा सकती हैं?
ट्राइपोफोबिया से जुड़े जोखिम कारकों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। साल 2017, के एक अध्ययन के मुताबिक ट्राइपोफोबिया और मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों के बीच और जनरलाइज्ड एंजायटी डिसऑर्डर (जीएडी) के बीच एक संभावित लिंक पाया गया था। शोधकर्ताओं के अनुसार, ट्राइपोफोबिया वाले लोगों में भी मेजर डिप्रेशिव डिसऑर्डर या जीएडी का अनुभव होने की संभावना थी। साल 2016, में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में सामाजिक चिंता और ट्राइपोफोबिया के बीच भी एक लिंक भी देखा गया। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
यह भी पढ़ें : कहीं बच्चे को ‘सोशल फोबिया’ तो नहीं !
निदान और उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
ट्राइपोफोबिया का निदान कैसे किया जाता है?
एक फोबिया के निदान के लिए, आपका डॉक्टर आपसे आपके लक्षणों के बारे में कई सवाल पूछेंगें। वे आपके चिकित्सा, मनोरोग और सामाजिक स्थितियों के बारे में बात करेंगे। वे इसके निदान में मदद करने के लिए DSM-5 का भी उल्लेख कर सकते हैं। हालांकि, ट्राइपोफोबिया का सफल तौर पर निदान करने के लिए अभी उचित जानकारी नहीं है क्योंकि फोबिया को आधिकारिक तौर पर चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य संघों द्वारा मान्यता नहीं दी गई है।
यह भी पढ़ें : Agoraphobia : अगोराफोबिया क्या है?
ट्राइपोफोबिया का इलाज कैसे होता है?
ट्राइपोफोबिया का इलाज करने के विभिन्न तरीके हैं। जिसमें एक्सपोजर थेरेपी सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। एक्सपोजर थेरेपी एक प्रकार की मनोचिकित्सा है जो वस्तु या स्थिति के प्रति आपकी प्रतिक्रिया को बदलने के लिए इस्तेमाल की जाती है जिससे आपका डर दूर हो जाता है।
ट्राइपोफोबिया के लिए एक और आम उपचार कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (सीबीटी) है। सीबीटी एंग्जाइटी को रोकने और मन में होने वाले भारी विचारों को पैदा होने से रोकने में मदद करती है। कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT) में थेरिपिस्ट आपके व्यवहार को मेडिकली बदलने का प्रयास करते हैं। इस थेरिपी में थेरिपिस्ट मरीज के दिमाग में आ रहे अवास्तविक ख्यालों को वास्तविक ख्यालों में बदलते हैं। इसके साथ ही मरीज के व्यवहारों में बदलाव लाया जाता है।
यह भी पढ़ें : बच्चों में फोबिया के क्या हो सकते हैं कारण, डरने लगते हैं पेरेंट्स से भी!
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ट्राइपोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति को लगता है कि वह जिस अवास्तविक चीज को देख रहा है, वह चीज वास्तविक और खतरनाक है। ऐसे में उसे डर लगता है।
डॉक्टर ट्राइपोफोबिया का इलाज दवाओं से भी करते हैं। जिसमें वह मरीज को एंटी-डिप्रेशेंट या एंटी-एंजायटी दवाओं को देते हैं। इसके साथ ही सेलेक्टिव सेरोटोनिन रिअपटेक इंहिबिटर्स (SSRIs), बेंजोडायाजेपिंस या बीटा ब्लाकर्स दी जाती है। यूं तो मरीज को सिर्फ ये दवाएं दी जाती हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी (CBT), एक्सपोजर थेरिपी या अन्य प्रकार की साइकोथेरिपी दी जाती है।
अन्य उपचार विकल्प जो फोबिया को प्रबंधित करने में मददगार हो सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
- काउंसलर या मनोचिकित्सक के साथ सामान्य टॉक थेरेपी
- बीटा-ब्लॉकर्स और सीडेटिव जैसी दवाएं चिंता और घबराहट के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं
- शरीर और मन को शांत करने के लिए गहरी सांस लेना और योग करना
- चिंता को प्रबंधित करने के लिए शारीरिक गतिविधि और व्यायाम करना
- तनाव से निपटने के लिए माइंडफुल ब्रीदिंग, ऑब्जर्वेशन, लिसनिंग और अन्य माइंडफुल स्ट्रेटजी अपनाना
हालांकि इस स्थिति में दवाओं के अन्य प्रकार का क्या प्रभाव होता है, इसके बारे में बहुत कम जानकारी है।
यह भी पढ़ेंः दुनियाभर में लगभग 17 मिलियन लोगों को होने वाली एक विकलांगता है सेरेब्रल पाल्सी
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार क्या हैं, जो मुझे ट्राइपोफोबिया को प्रबंधित रोकने में मदद कर सकते हैं?
लाइफ स्टाइल में बदलाव और घरेलू उपाय निम्न प्रकार से हैं जो आपको ट्राइपोफोबिया को प्रबंधित करने में मददगार हो सकते हैं:
- उचित आराम करें
- स्वस्थ्य भोजन खाएं और अपने डाइट को नियंत्रित रखें
- एंजाइटी को बढ़ाने वाले पदार्थों और कैफीन का सेवन न करें।
- इसके लक्षण दिखाई देने पर अपने करीबी दोस्त परिवार के सदस्यों या डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
- डरावनी स्थितियों का सामना करना सीखें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
और पढ़ें :
अगर बच्चा स्कूल जाने से मना करे, तो अपनाएं ये टिप्स
प्रेग्नेंसी का डर यानी टोकोफोबिया क्या है और कैसे पाएं इससे छुटकारा?
किसी के साथ प्यार में पड़ने से लगता है डर, तो हो सकता है फिलोफोबिया
कीड़े-मकौड़ों का डर कहलाता है ‘एंटोमोफोबिया’, कहीं आपके बच्चे को तो नहीं