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बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय हैं मददगार, आजमाएं इन्हें भी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 19/10/2020

    बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय हैं मददगार, आजमाएं इन्हें भी

    बाइपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। बाइपोलर डिसऑर्डर को मैनिक डिप्रेशन (Manic Depression) भी कहा जाता है, जो अत्यधिक मूड स्विंग का कारण बनता है। इसमें भावोत्तेजना का उच्च स्तर (Mania या Hypomania) तथा निम्न स्तर (Depression) शामिल होता है। अक्सर, डॉक्टर मूड को तुरंत संतुलित करने के लिए दवाएं देते हैं, लेकिन दवाओं के साथ अगर बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय किए जाए तो यह मानसिक बीमारी जल्द ठीक हो सकती है। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानते हैं कारगर बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय, जो हैं बेहद आसान।

    बाइपोलर विकार का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन यह किसी भी कारण से हो सकता है जैसे: –

    • न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन
    • अनुवांशिक कारक
    • मानसिक तनाव जैसे मनोवैज्ञानिक कारक
    • डिप्रेशन की दवाएं
    • तंत्रिका संबंधी विकार, मधुमेह जैसे रोग
    • मादक द्रव्यों का सेवन
    • नींद की कमी
    • ऋतु परिवर्तन

    बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण

    • आपको नींद न आने की समस्‍या हो सकती है डिप्रेशन और थकान होना भी इसमें आम है।
    • इस रोग से पड़ित व्यक्ति का व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है। छोटी-छोटी बातों में चिड़चिड़ा हो जाना भी इसका एक लक्षण है।
    • असामान्य रूप से उत्साहित
    • गतिविधि, उर्जा या व्याकुलता में वृद्धि
    • खुश होने और आत्मविश्वास की भावना का बढ़ना
    • बेवजह ज्यादा बातें करना या बोलना, कुछ ना कुछ सोचते रहना
    • बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त इंसान को सोचने में भी परेशानी होती है, वह किसी चीज के बारे में सोच नहीं पाते जिससे उन्हें भूलने की भी बीमारी हो जाती है
    • अवसादग्रस्त मूड जैसे- उदास, निराशाजनक और शोक महसूस होना
    • वजन बढ़ना या घटना
    • भूख कभी कम लगना तो कभी ज्यादा लगना
    • धीरे-धीरे काम करना
    • आत्महत्या के विचार दिमाग में लाना

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    आयुर्वेद में बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार

    आयुर्वेद में बाइपोलर डिसआर्डर का कोई विशेष उल्लेख नहीं किया गया है। चरक संहिता में उन्माद (mania) यानी पागलपन का वर्णन है, जो मन, बुद्धि, धारणा, ज्ञान, व्यवहार गतिविधियों को प्रभावित करता है। इसमें पांच प्रकार के उन्माद का वर्णन किया गया है। ये विकार लक्षणों और दोष की भागीदारी पर निर्भर करते हैं, जिसे बाइपोलर डिसऑर्डर के साथ जोड़ा जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, वात बढ़ने के कारण अति रक्त दाव होता है और पित्त के कारण अवसाद होता है। वात असंतुलन बाइपोलर विकार का मुख्य कारण है। क्योंकि अत्यधिक वात से भय, अलगाव, चिंता, घबराहट, तंत्रिका टूटने, मूड में बदलाव, अनिद्रा, कंपन और अस्थिरता की स्थिती पैदा होती है।

    आयुर्वेद के अनुसार, इस विकार में व्यक्ति वात असंतुलन और कम ओजस से ग्रस्त होता है। वात, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित करता है, दूसरी तरफ ओजस प्रतिरक्षा, शक्ति और क्षमता को दर्शाता है। यह बाइपोलर डिसआर्डर तीन जैविक गुणों (वात, पित्त और कफ) के साथ-साथ चेतना (सत्व, रजस और तमस) के गुणों के असंतुलन के कारण पैदा होता है।

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    बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय

    बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय के साथ ही मेडिकल ट्रीटमेंट भी हैं। इसमें दवा के साथ-साथ परामर्श भी शामिल हैं जो मैनिक डिप्रेशन का इलाज करने में मदद कर सकता है। उपचार के दौरान दवाओं के साथ-साथ ये बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय ट्रीटमेंट में मददगार साबित हो सकते हैं।

    बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय : जीवन शैली में परिवर्तन

    • काउंसलिंग, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरिपी (सीबीटी) और जीवनशैली में परिवर्तन द्विध्रुवी विकार वाले लोगों को अपने लक्षणों का प्रबंधन करने और उनके जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकती है।
    • मैनिक डिप्रेशन एक व्यक्ति की नींद को बाधित कर सकता है। बाइपोलर डिसऑर्डर के दौरान एक व्यक्ति बहुत कम सोता है। नींद न आने की समस्या मूड स्विंग्स को ट्रिगर हो सकता है। मूड में हो रहे बदलाव को प्रबंधित करने के लिए पर्याप्त नींद प्राप्त करना आवश्यक है।
    • बाइपोलर डिसऑर्डर ग्रस्त व्यक्ति के लिए स्वस्थ आहार जीवन शैली का एक हिस्सा है। 2011 के एक अध्ययन में पाया गया कि द्विध्रुवी विकार के इलाज के लिए 68 प्रतिशत लोगों में अधिक वजन या मोटापा पाया गया। बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों में डायबिटीज, लो बोन डेंसिटी और हृदय रोग सहित कई अन्य स्थितियों का खतरा अधिक था। एक स्वस्थ आहार इन स्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। अधिक वजन होने से रिकवरी जटिल हो सकती है और मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और चिंता का खतरा बढ़ सकता है।
    • डॉक्टरों को यह पता नहीं है कि बाइपोलर विकार क्यों होता है, लेकिन यह मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन के कारण हो सकता है। ये रसायन, जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर भी कहा जाता है, नॉरएड्रेनालाईन, डोपामाइन और सेरोटोनिन हैं। सेरोटोनिन भी भूख को प्रभावित कर सकता है। यह हो सकता है कि जब सेरोटोनिन का स्तर कम होता है, तो लोग कार्बोहाइड्रेट और मीठे खाद्य पदार्थों को खाने के लिए प्रेरित होते हैं। नियमित दिनचर्या रखें, जैसे कि प्रतिदिन एक समय पर ही हेल्दी डायट लें।
    • योग और व्यायाम : प्रतिदिन 30 मिनट तक की जाने वाली मध्यम स्तर की शारीरिक गतिविधि मूड के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में मदद करती है। एरोबिक व्यायाम, जैसे वॉकिंग या जॉगिंग, योगा, मेडिटेशन करना बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय है जो इसके लक्षणों को मैनेज कर सकते हैं।

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    बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए साइकोलाजिकल इलाज

    साइकोलाजिकल इलाज भी बाइपोलव डिसऑर्डर के उपचार में लाभदायक हो सकता है इसकी प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक मरीज को बीमारी के बारे मे जानकारी देकर उनके मन के अन्दर उदासी व अन्य लक्षणों के पहचानने की कोशिश करते हैं। जिसके आधार पर व्यक्ति को किस तरह के बदलाव अपने जीवन में लाना चाहिए उसके बारे में उन्हें जानकारी दी जाती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति को यह जानने में मदद मिल सकती है कि किस तरह की स्थितियां या बातें उसके लक्षणों को ट्रिगर कर सकती हैं।

    क्या गर्भवस्था में बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार की प्रक्रिया सुरक्षित है?

    गर्भवस्था के दौराम कई तरह के हार्मोनल बदलाव होने के कारण महिलाओं के मानसिक स्थितियों में कई तरह के बदलाव आते हैं। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान कई तरह की दवाओं का सेवन भी करना पड़ता है जो मानस्थितियों में बदलाव का भी कारण बन सकती हैं। अगर किसी महिला में बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण हैं, तो गर्भधारण की प्रक्रिया से पहले उसे अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार में डॉक्टर लीथियम जैसी दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, गर्भवस्था के दौरान लीथियम जैसी दवा का पहले तीन महीने में सेवन करना बच्चे को हानिकारक प्रभाव पहुंचा सकती है।

    बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय में इन्हें भी करें शामिल

    मछली के तेल का सेवन करना

    कुछ अध्ययनों के अनुसार मछली के तेल में पाया जाने वाला ओमेगा -3 इसके लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि जिन देशों में लोग मछली का अधिक सेवन करते हैं, उनमें बाइपोलर डिसऑर्डर कम पाया जाता है। अवसाद से पीड़ित लोगों के ब्लड में ओमेगा -3 का स्तर कम हो सकता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, लेकिन उन्हें उनके प्राकृतिक रूप में खाना सबसे अच्छा है। कोल्ड-वॉटर फिश, नट्स और प्लांट ऑयल इसके अच्छे स्रोत हैं।

    मैग्नीशियम सप्लीमेंट

    कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि मैग्नीशियम मनोदशा को नियंत्रित करता है और अवसादग्रस्तता प्रकरणों को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए दवाओं के साथ दिया जाए तो इसके बेहतरीन नतीजे प्राप्त हो सकते हैं। नतीजतन, बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय के रूप में कुछ डॉक्टर मैग्नीशियम सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं।

    विटामिन सी

    कुछ लोगों का सुझाव है कि विटामिन बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं, विशेष रूप से विटामिन सीऔर फोलिक एसिड। हलाकि, इस विषय पर अभी और भी शोध किए जाने की आवश्यकता है। एक डायट जो ताजा खाद्य पदार्थों के माध्यम से कई प्रकार के पोषक तत्व प्रदान करती है। वह व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकती है। हरी पत्तेदार सब्जियां फोलिक एसिड में उच्च होती हैं और खट्टे फल विटामिन सी का एक बड़ा स्रोत हैं।

    इनसे परहेज करें

    कैफीन, शराब, शक्कर, नमक और वसायुक्त आहार।

    आशा है कि आपको हमारे इस लेख से आपको बाइपोलर डिसआर्डर को समझने में मदद मिलेगी। इस विकास से पीड़ित व्यक्ति को कम्प्लीमेंट्री मेडिसिन के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर के घरेलू उपाय को जारी रखना चाहिए। इससे बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है। सप्लीमेंट या वैकल्पिक चिकित्सा का उपयोग करने से पहले उन्हें अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

    डिस्क्लेमर

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