कुछ दिनों पहले मैं अपने कजिन के साथ बच्चों की फिल्म देखने थियेटर गई। वहां कुछ स्कूल के बच्चे भी फिल्म देखने आए थे। मैंने देखा कि वे एक-एक सीन को ऐसे एंजॉय कर रहे थे, मानो सब उनके सामने ही चल रहा हो। वे इतने खुश थे कि उनको देखकर ही कोई भी खुश हो सकता था। इसके बाद मेरी नजर कुछ बड़े लोगों के ग्रुप गई, तो देखा वे सिर्फ थिएटर में बैठे थे। यहां तक कि फनी सीन्स पर भी वे सिर्फ मुस्कुराकर काम चला रहे थे। बच्चे जानते हैं कि खुश कैसे रहा जाता है, लेकिन बड़े किसी तरह खुश रहने की केपेसिटी को खो देते हैं। कुछ स्टडीज में ये बात सामने आई है कि बच्चे दिन में 400 बार हंसते हैं वहीं व्यस्क सिर्फ 15 बार। घर आकर मैंने कई बार ये सोचा बड़े होते-होते हम क्यों खुश रहना भूल जाते हैं। तब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि ऐसे कई हैप्पीनेस बैरियर हैं, जो हमारी खुशी हमसे छीन लेते हैं। खुशी पानी की तरह है जिसे सदा बहते रहना चाहिए, लेकिन जैसे ही हम बड़े होते हैं इस पानी के पाइप में ब्लॉकेज आने लगते हैं। अगर आप भी बच्चों की तरह हमेशा खुश रहना चाहते हैं तो आपके लिए हैप्पीनेस बैरियर (happiness barrier) के बारे में जान लेना बेहद जरूरी है।