फिमोसिस क्या है?
फिमोसिस (Phimosis) एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिंग की ऊपरी त्वचा टाइट हो जाती है और लिंग को खड़ा करने या लिंग को बाहर निकालने के लिए नीचे नहीं जा पाती। इससे यूरिनेशन और सेक्शुअल एक्टिविटी में दिक्कत होती है साथ ही यूरिन ट्रैक में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसे लिंग संबंधी समस्या के नाम से भी जाना जाता है।
फिमोसिस (Phimosis) कितना सामान्य है?
लिंग संबंधी समस्या यानी फिमोसिस (Phimosis) की स्थिति अधिक तौर पर उन लोगों में होती है जो खतना नहीं करवाते। इसके रिस्क फैक्टर्स को कम करके इस खतरे को रोका जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चे में फाइमोसिस होना सामान्य बात है। इसके लिए किसी उपाय की जरूरत नहीं होती। समय के साथ यह स्वयं समाप्त हो जाती है। किन्तु युवाओं में फाइमोसिस असामान्य होती है जो किसी संक्रमण या उत्तेजना अथवा सामने की चमड़ी के इंफेक्शन से हो सकती है। इससे यह चमड़ी पीछे नहीं जाती।
पैराफामोसिस जब शिश्न के शीर्ष से त्वचा सदा ही पीछे हटी रहती है तो उसे पैराफाइमोसिस कहते हैं। यह अपने स्थान पर नहीं आ पाती और शिश्न मुण्ड को नहीं ढक पाती। ऐसी स्थिति में शिश्न का शीर्ष फंस सकता है और रक्त संचार कम होने के कारण गंभीर समस्या हो सकती है।
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कारण
फिमोसिस (Phimosis) किन कारणों से होता है?
- घाव का निशान – संक्रमण से चमड़ी पर निशान पड़ सकते हैं, जिससे त्वचा खिंच सकती है। टाइट टिश्यू इसे वापस खींचते समय और टाइट बना सकते हैं। इस वजह से भी फिमोसिस हो सकता है।
- एजिंग – कभी कभी एजिंग के कारण भी ये समस्या होने लगती है।
- डायबिटीज – अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो भी पेनिस की टिप पर इंफेक्शन हो सकता है। अगर ऐसा हो तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- सेक्स के दौरान – सेक्स के दौरान फोरस्किन ज्यादा देर तक पीछे रहने की वजह से भी ये समस्या हो सकती है।
- पीयरसिंग के कारण – कुछ लोगों को प्राइवेट पार्ट की पियरसिंग कराने का शौक होता है। ऐसे में भी फिमोसिस की समस्या हो सकती है।
आइए अब जानते हैं कि इस बीमारी के लक्षण क्या होते हैं।
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फिमोसिस (Phimosis) के लक्षण क्या हैं?
फिमोसिस में आमतौर पर दर्द नहीं होता है लेकिन, ये यूरिनेशन और सेक्स के दौरान बाधा बन सकती है। इसके अलावा फिमोसिस का कारण स्किन की सफाई करना मुश्किल होता है इसलिए इंफेक्शन भी आसानी से हो जाता है।
ऊपर बताए गए लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं यदि आपको इनमें से कोई लक्षण नजर आता है तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
जब आपको यूरिन पास करने और सेक्स करने में दिक्कत हो तो जांच और सलाह के लिए डॉक्टर को जरूर दिखाएं। इसके अलावा यदि आपको (प्रोस्टेट ग्रंथि) में सूजन, दर्द या रेडनेस दिखे तो भी डॉक्टर से संपर्क जरूरी है।
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आइए अब जानते हैं कि किस वजह से इस बीमारी के जोखिम बढ़ सकते हैं।
इन चीजों से बढ़ सकता है फिमोसिस (Phimosis) का खतरा
हमारी जीवनशैली में कई ऐसे जोखिम कारक मौजूद होते हैं जिनकी वजह से फिमोसिस का खतरा बढ़ सकता है। यदि आपको इस स्थिति के कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- खतना नहीं करना – इस वजह से भी फिमोसिस का जोखिम बढ़ सकता है।
- डायबिटीज – डायबिटीज के कारण फिमोसिस होने का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसके लिए ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है।
- शिशुओं में अक्सर डायपर की वजह से फिमोसिस होने का खतरा बना रहता है। इसलिए बच्चे की साफ सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
- पुअर हाइजीन – साफ सफाई और हाइजीन ठीक से न होने की वजह से भी फिमोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
आंकड़ों की माने तो फिमोसिस का मुख्य कारण अस्वछता होता है। लिंग और उसके आसपास की चमड़ी को सही तरह से साफ करने से फिमोसिस और पैराफिमोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
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जानिए रिस्क फैक्टर
कोई रिस्क फैक्टर मैच न करने का मतलब यह नहीं है की आप बीमार नहीं हो सकते। यह केवल रेफरेन्स के लिए है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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कैसे करें फिमोसिस (Phimosis) का उपचार ?
यदि फिमोसिस के लक्षण नहीं नजर आते हैं तो ट्रीटमेंट की कोई जरूरत नहीं है खासकर बच्चों के लिए। अगर बच्चे को यूरिनेशन और टॉयलेट में दिक्क्त हो रही है तो उसके लिए आप हाइड्रोकार्टिसोन क्रीम का उपयोग कर सकते हैं।
बड़े बच्चों या वयस्कों को हाइजीन का खास ख्याल रखना चाहिए। साथ ही इंफेक्शन होने पर इसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए। फिमोसिस में सूजन, यूरिन पास करने में दिक्कत और सेक्स में कठिनाई होती है जो अगर बढ़ जाए तो डॉक्टर खतना सर्जरी कर सकते हैं।
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आइए अब जानते हैं कि इस बीमारी के घरेलू इलाज क्या हैं।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
आपको एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने की कोशिश करनी चाहिए। जिसके लिए नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें। रिश्तों में तनाव न आने दें।
अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करेंगे और जीवनशैली को ठीक रखेंगे तो काफी हद तक इस बीमारी के होने का जोखिम कम हो सकता है। और अगर ये समस्या होने लगी है, तो डॉक्टर से राय लेने में बिल्कुल भी देरी न करें। इसके अलावा अपने खानपान का भी पूरा ख्याल रखें।
इस आर्टिकल में हमने आपको फिमोसिस डिजीज से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। इसमें हमने आपको इस बीमारी के कारण से लेकर उपचार और जोखिम तक बताने की कोशिश की है। साथ ही मरीज का ख्याल रखने तक के बारे में बताया है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी।
ध्यान रहे की घरेलू उपचार केवल कम गंभीर या हल्के रोग पर ही आजमाने चाहिए। गंभीर स्थिति पर घरेलू उपाय का असर दिखने में समय लग सकता है। जिसके कारण स्थिति खराब भी हो सकती है। इसलिए फिमोसिस के गंभीर व स्पष्ट लक्षण दिखाई देने पर केवल डॉक्टरी सलाह ही लें।
अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए। और अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया है तो इसे ज्याा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें, ताकि उनके पास भी इसकी सही जानकारी हो और वो इसके प्रति जगरूक रह सकें।
यदि आपके कोई प्रश्न है, तो बेहतर समाधान के लिए कृपया चिकित्सक से परामर्श करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।