शरीर में जब भी कोई बीमारी घर कर जाती है, तो शरीर के अन्य ऑर्गन को भी खतरा बढ़ जाता है। ऐसा नहीं है कि अगर आपको हड्डियों से जुड़ी समस्या है, तो इस कारण से केवल हड्डियां ही प्रभावित होंगी। जी हां! हम बात कर रहे हैं हड्डियों से जुड़ी बीमारी अर्थराइटिस के बारे में। बोंस से संबंधित ये बीमारी हार्ट रिलेटेड रिस्क को भी बढ़ाने का काम कर सकती है। अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease) एक-दूसरे से संबंधित हैं। अब आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको दोनों बीमारियों के संबंध के बारे में जानकारी देंगे और साथ ही बीमारी से बचने के उपाय के बारे में भी बताएंगे। आइये जानते हैं कि कैसे अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease) का खतरा एक साथ होने की संभावना बढ़ जाती है।
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अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease)
बीएमजे जर्नल (BMJ Journals) में प्रकाशित रिपोर्ट की मानें, तो रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या (Problem of arthritis) कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) के खतरे को बढ़ाने का काम करती है। रिसर्च की मानें तो अर्थराइटिस के कारण हार्ट संबंधी समस्याएं जैसे कि हार्ट अटैक, मायोकार्डिअल इन्फ़ार्क्शन, पर्क्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (percutaneous coronary intervention), इस्चेमिक या अनस्पेसिफाइड स्ट्रोक (ischemic or unspecified stroke), कोरोनरी आर्टरी बायपास ग्राफ्टिंग ( Bypass grafting) या अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अर्थराइटिस फाउंडेशन की मानें तो रूमेटाइड अर्थराइड की समस्या का सामना करने वाले करीब 50 से 70 प्रतिशत लोगों को हार्ट डिजीज का सामना करना पड़ता है।
जिन लोगों को गठिया संबंधी समस्या होती है और वो इस बीमारी का ट्रीटमेंट नहीं कराते हैं, उन्हें लंबे समय तक सूजन की समस्या का सामना करना पड़ता है, और उनको ह्रदय संबंधी समस्याओं का सामना करने की भी संभावना बढ़ जाती है। वहीं जो लोग अर्थराइटिस की समस्या (Problem of arthritis) का समय पर ट्रीटमेंट करा लेते हैं और सूजन को भी नियंत्रण में रखते हैं, उनमें हार्ट संबंधी बीमारी का खतरा कम हो जाता है। बीमारी के दौरान ली जाने वाली दवाइयाँ (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) और बीमारी के दौरान होने वाली सूजन हार्ट संबंधी समस्याओं के खतरे को बढ़ाने का काम कर सकती है। अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease) के बारे में आपको क्या संबंध है, इन बारे में पता चल गया होगा।
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कई फैक्टर्स बढ़ाते हैं हार्ट डिजीज के खतरे को
कोलंबिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर, रुमेटोलॉजिस्ट जॉन टी का मानना है कि सूजन का कारण चाहे जो भी हो, ये हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ाने का काम करता है। अगर रूमेटाइड अर्थराइटिस के पेशेंट्स को हार्ट संबंधी समस्याएं होती है, तो इसमें आश्चर्य करने की बात नहीं है। इंफ्लामेटरी सेल्स ब्लड वेसल्स की वॉल्स से मिल जाती हैं, जहां वे साइटोकाईन्स (Cytokines) का निर्माण करती हैं। इम्यून सिस्टम प्रोटीन सूजन को बढ़ाने का काम करती है। सूजन के कारण ब्लड वेसल्स वॉल्स का भी आकार बदल जाता है, जिससे उनके फटने की संभावना बढ़ जाती है। रप्चर के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।
अर्थराइटिस की समस्या हार्ट संबंधी बीमारियों के खतरे को केवल बढ़ाने का काम नहीं करती है बल्कि कुछ अन्य फैक्टर्स जैसे कि हाय ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाय कोलेस्ट्रॉल भी बीमारी के खतरे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। सीडीसी के अनुसार करीब 47 प्रतिशत डायबिटीज से पीड़ित लोगों को अर्थराइटिस का खतरा रहता है। वहीं मोटापे से पीड़ित करीब 31 प्रतिशत लोगों में जोड़ों की बीमारी का खतरा रहता है। यानी एक बीमारी के कारण कई बीमारियों का खतरा बढ़ता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease) के बीच का कनेक्शन समझ आ गया होगा।
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अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease): खानपान पर जरूर दें ध्यान!
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि अगर आपको कोई बीमारी है, तो उसका समय पर ट्रीटमेंट कराने के साथ ही जरूरी सावधानियों को भी अपनाना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो शरीर में दूसरी बीमारियां भी घर कर सकती हैं। अगर आपको अर्थराइटिस की समस्या (Problem of arthritis) है, तो आपको समय पर दवाओं का सेवन करने के साथ ही खानपान पर भी ध्यान देना चाहिए। आपको खाने में प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि ये सूजन और दर्द को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। ट्रांस फैट से दूरी बनाना आपके लिए बेहतर होगा।
हार्ट की समस्या से बचने के लिए खाने में ट्रांस फैट के सेवन को सीमित करने की जरूरत होती है। यानी अगर आपको अर्थराइटिस की समस्या (Problem of arthritis) है, तो आपको हार्ट संबंधी समस्या का भी खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में प्रोसेस्ड फूड्स के साथ ही शुगर और आर्टिफिशियल स्वीटनर भी आपके लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। आपको पेस्ट्री, चॉकलेट, कैंडी, सोडा, बाजार में मिलने वाले पैक्ड जूस आदि से दूरी बनानी चाहिए। आपको खाने में डेयरी प्रोडक्ट की मात्रा को भी सिमित करने की जरूरत है क्योंकि ये अर्थराइटिस के कारण पैदा हुई सूजन को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर आप एल्कोहॉल का सेवन (Alcohol consumption) करते हैं, तो बेहतर होगा कि ये बंद कर दें। सूजन को बढ़ाने और हार्ट से संबंधी रिस्क को इंक्रीज करने में एल्कोहॉल अहम भूमिका निभाता है।
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अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज में एक्सरसाइज होती है बहुत जरूरी!
आप चाहे बीमार हो या फिर पूरी तरह से स्वस्थ, एक्सरसाइज सभी के लिए जरूरी होती है। अगर आप एक्सरसाइज नहीं करते हैं, तो कईो बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको अक्सर जोड़ों में दर्द की समस्या रहती है तो आपको डेली रूटीन में कुछ एक्सरसाइज को जरूर शामिल करना चाहिए। आप ज्वाइंट्स के आसपास की मसल्स को स्ट्रेंथ देने के लिए एक्सरसाइज कर सकते हैं। आप एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic exercise) की हेल्थ से ज्वाइंट्स के दर्द से राहत पाने के साथ ही कार्डियोवस्कुलर हेल्थ को भी बेहतर बना सकते हैं। ये वेट बढ़ने की समस्या को कम करने से लेकर एनर्जी को बनाएं रखने में अहम भूमिका निभाने का काम करता है। आप वॉक के साथ ही सायकलिंग, स्वीमिंग आदि कर सकते हैं। साथ ही आप योग, मेडिटेशन भी कर सकते हैं। ये बॉडी बैलेंस को बेहतर बनाने के साछ ही बॉडी पॉस्चर को भी बेहतर बनाता है। अगर आपको एक्सरसाइज के दौरान दर्द महसूस हो रहा हो, तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर लें।
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हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता है। इस आर्टिकल में हमने आपको अर्थराइटिस और हार्ट डिजीज (Arthritis and Heart Disease) या अर्थराइटिस के कारण हार्ट प्रॉब्लम के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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