जब मांसपेशियां सिकुड़ती हैं, तो वे कठोर हो जाती हैं और उनमें ऐंठन आ जाती है। इसे ही मसल स्पास्टिसिटी (Muscle Spasticity) कहा जाता है। स्पास्टिसिटी के कारण चलना, हिलना और यहां तक कि बात करना भी मुश्किल हो सकता है। यह बेहद असहज और दर्दनाक स्थिति है। स्पास्टिसिटी तब होती है जब नर्व इंपल्सेस (Nerve impulses) जो मसल्स मूवमेंट को कंट्रोल करते हैं उनमें बाधा उत्तपन्न होती है या वे डैमेज हो जाते हैं। कई प्रकार की कंडिशन मसल स्पास्टिसिटी का कारण बन सकती हैं। जिसमें स्पाइनल कोर्ड इंजरी (Spinal cord injury), ब्रेन इंजरी (Brain injury) और मल्टिपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis) शामिल हैं। दूसरी कंडिशन जो ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित करती हैं वे भी स्पास्टिसिटी का कारण बन सकती हैं। मसल स्पास्टिसिटी की समस्या ज्यादातर पैरों में होती है, लेकिन इससे हाथ भी प्रभावित हो सकते हैं।
मसल स्पास्टिसिटी के लक्षण क्या हैं? (Muscle Spasticity Symptoms)
स्पास्टिसटी एपिसोड हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं। मसल स्पास्टिसिटी (Muscle spasticity symptoms) के लक्षण निम्न हैं।
- मांसपेशियों की टोन में वृद्धि
- ओवरएक्टिव रिफ्लेक्सिस (Overactive reflexes)
- दर्द
- फंक्शन एबिलिटीज में कमी और मोटर डेवलमेंट (Motor Development) में देरी
- एब्नॉर्मल पॉश्चर (Abnormal posture)
- हड्डियों और जोड़ों में विकृति (Bone and joint deformities)
- मसल्स का टाइट और स्टिफ होना (Tight and stiff muscles)
- उंगलियों, कलाई, बांह और कंधों की आसामान्य स्थिति
- मांसपेशियों का संकुचन जो गति की सीमा को सीमित करता है या जोड़ों को सभी तरह से फैलने से रोकता है
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मसल्स स्पास्टिसिटी के कारण क्या हैं? (Muscle Spasticity Causes)
स्पास्टिसिटी का कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम के इम्बैलेंस सिंग्नल हैं जो मसल्स तक पहुंचते हैं। यह इम्बैलेंस सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy), ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी (traumatic brain injury), स्ट्रोक (Stroke), मल्टिपल स्क्लेरोसिस (multiple sclerosis) और स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (spinal cord injury) के मरीजों में पाए जाते हैं।
मसल स्पास्टिसिटी का पता कैसे लगाया जाता है? (Muscle spasticity diagnosis)
डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर स्पास्टिसिटी (Spasticity) के बारे में पता लगाते हैं। वे इसकी भी जांच करते हैं कि मरीज कौन सा मेडिकेशन ले रहा है और परिवार में किसी को न्यूरोलॉजिकल या मस्क्युलर डिसऑर्डर्स (Neurological or muscular disorders) रहा या नहीं। कई प्रकार के टेस्ट डायग्नोसिस में मदद कर सकते हैं। ये टेस्ट पैरों और हाथों के मूवमेंट्स, मस्क्युलर एक्टिविटी, पैसिव और एक्टिव रेंज मोशन, सेल्फ केयर एक्टिविटीज में मरीज की भूमिका आदि का मूल्यांकन करते हैं और इन टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं। लगातार स्पास्टिसिटी की परेशानी होने पर डॉक्टर कंसल्ट जरूर करना चाहिए।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ट्रीटमेंट स्पास्टिसिटी की फ्रीक्वेंसी और इसके लेवल पर निर्भर करता है। डॉक्टर से संपर्क करें यदि आपके साथ निम्न स्थितियां हैं।
- अगर मसल स्पास्टिसिटी (Muscle spasticity) की परेशानी पहली बार हो रही है और इसके कारण पता नहीं है
- स्पास्टिसिटी गंभीर होती जा रही हे और ऐसा बार-बार हो रहा है
- जॉइंट फ्रोजन हो चुके हैं (Frozen joint)
- दर्द लगातार बढ़ रहा है, जिसके कारण असहजता का एहसास लगातार हो रहा है
- डेली टास्क को कंप्लीट करने में परेशानी का सामाना करना पड़ रहा हो
- स्किन का डैमेज होना और उस पर लालिमा होना
इन लक्षणों के आधार पर डॉक्टर उचित ट्रीटमेंट रिकमंड करेंगे।
मसल स्पास्टिसिटी ट्रीटमेंट (Muscle Spasticity Treatment)
कंफर्ट, मोबेलिटी और मूवमेंट में सुधार के लिए स्पास्टिसिटी का इलाज जरूरी है। थेरिपी के बिना स्पास्टिसिटी पेन, जोड़ों में हमेशा के लिए होने वाली विकृति, यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन (UTI), क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन (Chronic constipation) आदि का कारण बन सकता है। ट्रीटमेंट का लक्ष्य मसल्स को रिलैक्स करना, दर्द मे आराम पहुंचाना, स्टिफनेस को कम करना, बच्चों में मसल्स ग्रोथ को बढ़ाना होता है। मसल स्पास्टिसिटी का ट्रीटमेंट निम्न प्रकार से किया जा सकता है।
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फिजिकल और ऑक्यूपेशनल थेरिपी (Physical and occupational therapy )
यह थेरिपी मसल्स का लचीलापन बढ़ाने में मदद करने के साथ ही, रेंज ऑफ मोशन, कॉर्डिनेशन और स्ट्रेंथ में सुधार करती है। कास्टस और ब्रेसेज, थेराप्यूटिक हीट, कोल्ड, इलेक्ट्रिकल स्टिम्यूलेशन और बायोफीडबैक आदि मसल स्पास्टिसिटी ट्रीटमेंट प्रोग्राम में शामिल होते हैं। थेरिपी रोज के कार्यों को करने की क्षमता को विकसित करने में मदद करती है। ताकि मरीज स्वतंत्र रूप से जी सके। वह किसी पर आश्रित ना रहे।
मेडिकेशन (Medication)
मसल स्पास्टिसिटी का इलाज ओरल मेडिकेशन के साथ ही इंजेक्शन के जरिए किया जाता है। डॉक्टर स्पास्टिसिटी की गंभीरता को देखकर ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं। स्पेस्टिक मसल्स में इंजेक्शन का उपयोग काफी असरकारक साबित होता है। कुछ इंजेक्शन सीधे मसल्स में इंजेक्ट किए जाते हैं जो स्पास्टिक मसल्स को कमजोर कर देते हैं। ये पॉजिशनिंग और फंक्शन को इम्प्रूव करते हैं। इनका असर 3 से 6 महीने तक रहता है। किसी प्रकार के मेडिकेशन का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।
स्पास्टिसिटी के लिए ओरल मेडिकेशन (Oral Medication) के फायदे क्या हैं?
- ओरल मेडिकेशन के फायदे होने के साथ ही कुछ नुकसान भी हैं। पहले जानते हैं फायदों के बारे में जो निम्न हैं।
- ओरल मेडिकेशन कई मांसपेशियों को रिलैक्स कर सकती हैं
- ओरल मेडिसिन्स के डोजेस को आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है
- ओरल मेडिकेशन को कभी भी बंद किया जा सकता है, हालांकि कुछ दवाओं को अचानक बंद नहीं करना चाहिए।
इनके नुकसान निम्न हैं।
- ओरल मेडिकेशन्स का असर मामूली हो सकता है।
- इनके उपयोग से सिर चकराना और कमजोरी का एहसास हो सकता है
- कुछ दवाएं लिवर इंफ्लामेशन का कारण भी बन सकती है। इसलिए किसी भी प्रकार की दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह से ही करें।
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सर्जिकल ट्रीटमेंट (Surgical treatments)
स्पास्टिसिटी के कुछ मरीजों को सर्जिकल ट्रीटमेंट भी रिकमंड किया जाता है। राइजोटॉमी (Rhizotomy) एक सर्जिकल प्रॉसीजर है, जो न्यूरोसर्जन के द्वारा संपन्न किया जाता है। जिसमें सर्जन सावधानी पूर्वक प्रभावित मासंपेशियों तक संकुचन का संदेश पहुंचाने वाली नर्व्स को अलग कर देता है। सर्जन स्पास्टिसिटी से राहत प्रदान करने के लिए अन्य मोटर और सेंसरी फंक्शनस को संरक्षित करते हुए असामान्य फाइबर्स को कट कर देता है।
मसल स्पास्टिसिटी के नॉनमेडिकल ट्रीटमेंट क्या हैं? (Non medical treatment for muscle spasticity)
स्पास्टिसिटी (Spasticity) को निम्न तरीके से कम किया जा सकता है।
- रोज लंबे समय तक स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज (Stretching exercises) करने से मसल स्पास्टिसिटी में राहत मिलती है।
- कास्टिंग, स्पिलिंटिंग और ब्रेसिंग की मदद से रेंज ऑफ मोशन और फ्लैगजिबिलिटी में सुधार किया जा सकता है।
- स्पास्टिसिटी से बचने के लिए एक्सट्रीम हॉट और कोल्ड टेम्प्रेचर को अवॉइड करना जरूरी होता है।
- अच्छी नींद लें और हेल्दी डायट (Healthy Diet) भी इस बीमारी से लड़ने में मददगार है।
- दो घंटे में अपने बैठने की पॉजिशन को चेंज करें। यह प्रेशर सोर्स को बनने से रोकेगा।
इन उपायों को अपनाकर मसल स्पास्टिसिटी में थोड़ी राहत प्राप्त की जा सकती है, लेकिन परेशानी गंभीर होने पर डॉक्टर के बताए गए ट्रीटमेंट को अपनाना ही सही उपाय होगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको मसल स्पास्टिसिटी से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।