क्या आपने कभी सोचा है कि योग या प्राणायाम से दांतों की भी सेहत सुधर सकती है? शायद, आपको मजाक लग रहा होगा? सब यही सोचते हैं कि योग सिर्फ लचीलेपन और संतुलन को सुधारने और बेहतर जीवन के लिए किया जाता है। लेकिन, दांतों की समस्या से बचने के लिए भी योग कारगर साबित होता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
द आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री स्कूल ऑफ योगा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रोहित सभरवाल, पेरियोडोंटिस्ट (गम्स स्पेशलिस्ट) का कहना है, ‘रिसर्च से पता चला है कि “अक्सर ऐसे लोगों में जो मानसिक रोगों का इलाज करा रहे हैं उनमें दांत पीसने की प्रवृत्ति देखी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप दांतों में सेंसिटिविटी हो जाती है। दांत भी कमजोर होने लगते हैं। साथ ही जबड़े की मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव के कारण जबड़े में दर्द भी हो सकता है। ऐसे में कुछ अभ्यास जैसे कि ‘सूक्ष्म योग’ और ‘शीतकारी प्राणायाम’ रोज किए जाएं तो डेंटल प्रॉब्लम्स से बचा जा सकता है।”
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स्ट्रेस से ऐसे पहुंचता है दांतों को नुकसान
डॉक्टर्स बताते हैं कि स्ट्रेस कई मामलों में हमारे दांतों और मसूड़ों को प्रभावित करता है। यह बेहद आम प्रवत्ति है कि जब भी कोई बेहद चिंता या दबाव में होता है तो वह अपने सामने के दांतों को पीसने लगता है। लगातार इस प्रवत्ति की वजह से दांतों में माइक्रो क्रैक आने लगते हैं और मसूड़ों को भी नुकसान पहुंचने लगता है। नतीजन आप दांतों की सेंसिटिविटी, दांतों की परेशानी, जबड़े में दर्द जैसे समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में योग स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है, जिससे आप दांतों की समस्याओं से बचते हैं।
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योग से दूर होती हैं दांतों की ये समस्याएं
दांत में दर्द होना, पायरिया, मसूड़ों से खून आना, कैविटी जैसी दांतों में होने वाली आम समस्याएं योगासन या प्राणायाम से दूर की जा सकती हैं। योग से टेम्परोमैंडिबुलर जॉइंट डिसऑर्डर (Temporomandibular Joint Disorder) के लक्षणों को भी कम किया जा सकता है। दरअसल, टीएमजे एक ऐसा विकार है, जिसमें मुंह का निचला जबड़ा ऊपरी जबड़े के साथ सही स्थिति में नहीं होता है। इस विकार की वजह से दांत पीसने की संभावना बढ़ जाती है। दांतों के लिए किए जाने वाले योग से टीएमजे डिसऑर्डर में सुधार आ सकता है। जानें, ऐसे ही कुछ दांतों के लिए योग-
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दांतों के लिए योग: शीतकारी प्राणायाम (Sheetkari Pranayama)
दांतों के लिए योग में शीतकारी प्राणायाम उन लोगों के लिए विशेष रूप से अच्छा होता है जिनके मुंह में एसिड की वजह से ज्यादा बैक्टीरिया पनपते हैं। जिसके कारण दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है और दांतों में सड़न होने की संभावना होती है। यह मसूड़ों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है और दांतों के रोग जैसे कि पायरिया के लिए प्रभावी है।
शीतकारी प्राणायाम कैसे करें?
- सबसे पहले किसी भी आरामदायक आसन में बैठें।
- आंखों को बंद करें।
- अब अपने होठों को खोलें और सी-सी की आवाज करते हुए सांस अंदर भरने के बाद नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
- इसे कम से कम 8 से 10 बार दोहराएं।
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दांतों के लिए योग: शीतली प्राणायाम (Sheetali Pranayama)
यह आसन शीतकारी योग की ही तरह है। इस प्राणायाम करने के लिए, अपनी जीभ को बाहर निकालें और जीभ के दोनों किनारों को ऊपर उठाते हुए रोल करें। अब मुंह से सांस ले हुए धीरे-धीरे नाक से बाहर छोड़े। अच्छी ओरल हेल्थ के लिए इस क्रिया को रोज पांच से 10 बार दोहराएं।
दांतों के लिए योग: अपान मुद्रा (Apan Mudra)
दांतों के दोष को दूर करने के लिए आप अपान मुद्रा का सहारा ले सकते हैं। इसका अभ्यास करने के लिए आप किसी भी जगह का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे करने के लिए सबसे पहले ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपनी कमर और रीढ़ को सीधा रखें। इसके बाद अपनी मध्यम अंगुली को अंगूठे के अग्रभाग पर मिलाएं और दबाएं। ध्यान रखें इस दौरान आपकी तर्जनी और कनिष्ठा अंगुली सीधी रहेगी। इस मुद्रा में 48 मिनट के लिए रहें। आप चाहे तो इसे दिन में तीन बार 16-16 मिनट के लिए कर सकते हैं। यह मुद्रा हृदय को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही कब्ज की समस्या को भी दूर करता है।
दांतों के लिए योग: सर्वांगासन (Sarvangasana)
इस मुद्रा को दांतों की कई समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। सर्वांगासन, दांतों के लिए ऐसा योग है, जिससे पायरिया (मसूड़ों की बीमारी), दांतों की सड़न और मुंह की कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा यह थायरॉइड, मुहांसे, पिगमेंटेशन में भी प्रभावी होता है।
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दांतों के लिए योग: वात नाशक मुद्रा (Vata naashak mudra)
वात नाशक मुद्रा को करने के लिए तर्जनी और मध्यम अंगुली को मोड़कर हथेली से मिलाएं और इसके ऊपर अंगूठा रखें। बाकी की दोनों अंगुलियों को बिल्कुल सीधा रखें। इस मुद्रा को दिन में प5 मिनट के लिए करें। आप चाहे तो दिन में 4 से 5 बार 10-10 मिनट के लिए इसे कर सकते हैं। यह मुद्रा दांतों संबंधित परेशानियों को दूर करती है। इसके अलावा यह थकान को दूर करने के साथ स्टेमिना भी बढ़ाती है।
सर्वांगासन की विधि-
- कमर के बल सीधे लेट जाएं।
- एक साथ पैरों, कूल्हे और फिर कमर को उठाएं। सारा भार कंधों पर दें। अपनी पीठ को अपने हाथों से सहारा दें।
- इस मुद्रा में एक-दो सांस अंदर और बाहर लें। शरीर का संतुलन बनाए रखें। अब धड़ और टांगों को उठाकर बिल्कुल एक सीध में कर लें। कोशिश करें कि आपकी नजर नाक पर रहे। लेकिन, अगर आपको यह करने से दिक्कत होती है तो दृष्टि को नाभी पर भी रख सकते हैं।
- अपनी क्षमता के मुताबिक 60 से 300 सेकेंड तक इस मुद्रा में रहें और फिर धीरे-धीरे नीचे आ जाएं।
- शुरुआत में इस योगासान को 30 सेकेंड के लिए ही करें फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
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दांतों के लिए योग करते समय अपान मुद्रा या वात नाशक मुद्रा का भी अभ्यास कर सकते हैं। इन प्राणायामों को करने से दांतों की समस्या दूर होने के साथ ही ओरल हाइजीन भी बना रहता है। बस ध्यान रखें कि योगासन या प्राणायाम किसी एक्सपर्ट की ही देखरेख में करें अन्यथा योग के फायदे की जगह नुकसान भी हो सकते हैं। हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में दांतों के लिए योग बताए गए हैं। यदि आप इससे जुड़ी अन्य कोई जानकारी पाना चाहते हैं तो आप अपना सवाल कमेंट सेक्शन में कर सकते हैं।
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