डेंचर खोए हुए दांत के लिए एक योग्य प्रतिस्थापन क्रिया है। दो प्रकार के डेंचर उपलब्ध हैं – पूर्ण और आंशिक डेंचर। सभी दांत गायब होने पर पूर्ण डेंचर का उपयोग किया जाता है, जबकि कुछ प्राकृतिक दांतों के रहने पर आंशिक डेंचर का उपयोग किया जाता है।यदी आप विभिन्न प्रकार के डेंचर के बारे पता कर रहे है तो ये लेख आपके लिए हैं। यह देखने के लिए कि कौन सा डेंचर आपके लिए सही है? हम मदद कर सकते हैं!
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डेंचर के प्रकार
पारंपरिक पूर्ण डेंचर
संपूर्ण डेंचर रोगी के सभी दांतों को बदल देता है। दांतों को निकाले जाने के बाद पूरा डेंचर आमतौर पर 8-12 सप्ताह के भीतर सेट कर दिया जाता है।
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आंशिक डेंचर
आंशिक डेंचर का उपयोग तब किया जाता है जब किसी रोगी के कुछ प्राकृतिक दांत होते हैं, जैसे कि जब एक या अधिक दांत ऊपरी और निचले जबड़े में रहते हैं। डेंचर प्रक्रिया सुविधाजनक और निकालने योग्य हैं, जिसका अर्थ है कि जब भी आपको आवश्यकता हो, आप उन्हें बाहर निकाल सकते हैं। अन्य दांतों को हिलने से रोकने में पार्टिकल्स मदद करते हैं जो ऑल-ऐक्रेलिक या ऐक्रेलिक सामग्री से बने होते हैं।
कस्टम डेंचर
इसमें अधिक महंगे दांतों से बने होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको अधिक प्राकृतिक दिखने वाली मुस्कान मिलती है। डेंचर आपकी मुस्कान के लिए अनुकूलित है। यह प्राकृतिक है और आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप है। इन डेंचर को आपके सारे दांत निकल जाने के पहले के मुस्कान के आधार पर और कुछ मिलता जुलता भी बनाते हैं।
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तत्काल डेंचर
इसको आमतौर पर उसी दिन किया जाता है जिस दिन दांत निकाले जाते हैं।
इम्प्लांट समर्थित डेंचर
इम्प्लांट सपोर्टेड डेंचर के साथ, डेंटल इम्प्लांट का इस्तेमाल डेंचर को सुरक्षित रूप से सपोर्ट करने के लिए किया जाता है। डेंचर एक ठोस नींव में सहायता प्रदान करता है। इम्प्लांट समर्थित डेंचर भी प्राकृतिक दिखता है और लंबे समय तक चलेगा।
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स्नैप-इन डेंचर
स्थिरता की बात करें तो स्नैप-इन डेंचर सबसे प्रभावी विकल्प है। उन्हें मौजूदा दांतों पर दंत प्रत्यारोपण की मदद से सुरक्षित स्थान पर सेट किया जाता है।
ओवर डेंचर
एक ओवर डेंचर मसूड़ों के ऊपर बैठता है और दंत प्रत्यारोपण के साथ जगह पे सेट किया जाता है। इसे मरीज की जरूरतों के आधार पर ऊपरी और / या निचले जबड़े पर रखा जा सकता है। ओवरडेंचर भी निकाल कर पहनने योग्य है।
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ऊपरी डेंचर
ऊपरी डेंचर ऊपरी दांतों के लिए है। यदि आपके ऊपरी जबड़े में दांत गायब हैं, तो ऊपरी डेंचर आपके लिए सबसे अच्छा समाधान हो सकता है।
एकोनॉमिकल डेंचर
एकोनॉमिकल डेंचर अक्सर दंत चिकित्सा के सबसे प्रभावी प्रकार होते हैं। ये एक सामान्य डेंचर हैं, जिसका अर्थ है कि वे मुंह में सुरक्षित रूप से या आराम से फिट होते हैं, लेकिन वे नकली दिखते हैं।
अब आप उपलब्ध डेंचर के कई प्रकार जानते हैं। किस प्रकार का डेंचर आपको सबसे अधिक लाभ पहुँचा सकता है इसके लिए अपने डेंटिस्ट से बात करे। दंत चिकित्सक आपको सबसे बेहतर तरीके से बता सकते हैं कि आपके लिए किस प्रकार का डेंचर सबसे अच्छा है।
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दांत ठीक करने के तरीके
दांतों की फिलिंग्स (Fillings)
दांत ठीक करने के तरीके की बात की जाए तो फिलिंग का नाम हर कोई जानता है। फिलिंग में दांतों को कम्पोजिट और सोने व चांदी आदि से भरा जा सकता है। दांतों की सतह तक दांतों को अच्छे से भरा जाता है ताकि खाना चबाने में आसानी हो सके। जिन लोगों के दांतों की उपरी सतह यानी इनेमल खराब हो जाती है या सेंसिटिविटी बढ़ जाती है उन्हें फिलिंग के बाद बेहतर महसूस होता है। बता दें कि सस्ती फिलिंग आपको बाद में जाकर महंगी पड़ सकती है। मर्क्यूरी और सीसा आदि एक खतरनाक पदार्थ हैं, यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं।
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खराब आकार वाले दांतों के लिए क्या किया जाता है?
दांतों में गैप या दांत एक आकार में ना हो या एक पंक्ति में ना हो तो ऐसे दांत ठीक करने के तरीके हैं बॉन्डिंग, क्राउन, कैप या ब्रेसेस का इस्तेमाल किया जाता है।
बॉन्डिंग (Bonding)
आजकल सभी डेंटल प्रोसिजर में बॉन्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक आसान तरीका होता है। बॉन्डिंग से दांतों में गैप, स्टेनिंग (staining), स्पलोचेस (splotches), चिप्स (chips), क्रूकडनेस (crookedness) आदि की समस्या को दूर किया जा सकता है। बॉन्डिंग में कंपोजिट फिलिंग को सीधे दांत के ऊपर लगाया जाता है। यह पॉलिश और फिनिशिंग के बाद दांत का हिस्सा लगने लगता है।
क्राउन या कैप
दांत यदि टूट जाए या खराब हो जाए उसे रिस्टोर करने के लिए क्राउन का उपयोग किया जाता है। रूट कैनाल वाले दांतों के साथ ही टेढ़े-मेढ़े दांतों पर क्राउन या कैप लगाया जाता है। मेटल के अलावा क्राउन पोर्सलिन, सिरेमिक, अक्रेलिक या कंपोजिट मटीरियल से बनाया जा सकता है। अच्छी देखभाल की जाने पर क्राउन पांच-छह साल चल जाता है। बता दें कि उम्र के बढ़ने या अन्य वजहों से जब दांत खराब हो जाते हैं तो क्राउन का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उद्देश्य दांतों को रिपेयर करना और सुरक्षित रखना होता है।
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ब्रेसेस
दांत ठीक करने के तरीके में यह तरीका ज्यादातर लोगों की मुस्कुराहट में देखा जा सकता है। ब्रेसेस में नेचुरल दांतों को नुकसान नहीं पहुंचता है। ब्रेसेस की मदद से टेढ़े-मेढ़े दांतों को आकार दिया जाता है या यूं कहें इन्हें एक ही पंक्ति में लाया जाता है। ब्रेसेस मैटलिक, सिरेमिक, कलर्ड और लिंगुअल किसी भी प्रकार के आप चूज कर सकते हैं। वहीं यदि लिंगुअल ब्रेसेस की बात की जाए तो यह बाहर की तरफ से दिखाई नहीं देते क्योंकि यह अंदर की तरफ लगाए जाते हैं। ब्रेसेस के हटने के बाद रिटेनर्स लगाए जाते हैं। ब्रेसेस लगने और दांतों के एकरूप होने की इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता है। जानकारी के लिए बता दें कि यदि आपको मेटल ब्रेसेस से शर्म आती है या आपको लगता है कि यह आपकी पर्सनैलिटी को खराब कर रहा है तो आप अलाइनर्स का उपयोग कर सकते हैं। अलाइनर्स को इनविजिबल ब्रेसेस भी कहते हैं यह दांतों के रंग के ही होते हैं। इसलिए यह अलग से नजर नहीं आते हैं। यदि लगात की बात की जाए तो लगात हजारों से लाखों में आ सकती है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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