के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
अब आपका शिशु 17 सप्ताह का हो गया है और इस उम्र में शिशु भाषा और शब्दों को समझने लगता है। लगभग 6 महीने की उम्र तक वह कुछ शब्दों का उच्चारण करना भी शुरू कर देता है, जैसे कि “मम्मी” और “पापा” आदि। कुछ बाल विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु अपनी उम्र के हिसाब से कुछ शब्दों का उच्चारण करना तो सीख जाते हैं लेकिन, इन शब्दों का मतलब समझने में उन्हें थोड़ा समय लगता है। इसके अलावा, जब भी आपका शिशु कुछ कहता है, तो उस पर हंसकर अपनी प्रतिक्रिया दें। आप इस सप्ताह में अपने शिशु में कुछ अन्य बदलाव भी देख सकती हैं, जैसे कि;
आप शिशु को कुछ सरल शब्दों का उच्चारण करना सिखाएं और उसे बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। जो शब्द आप उन्हें सिखाना चाहते हैं, उस शब्द को बार-बार उनके सामने बोलें। इससे आपका शिशु भी आपके साथ उसे दोहराएगा। जब शिशु उन शब्दों को दोहराए, तो हसंकर उस पर अपनी प्रतिक्रिया दें। इससे आपके शिशु को भाषा और उन शब्दों के महत्त्व को समझने में मदद मिलती है।
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हर डॉक्टर का शिशु के इलाज करने का अपना एक तरीका होता है। शिशु के टेस्ट और उसका इलाज यह शिशु की जरूरत के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। आप आपके डॉक्टर से कुछ जानकारियां साझा कर सकती हैं जैसे कि;
यहां कुछ चीजें हैं, जिनकी जानकारी आपको होनी चाहिए, जैसे कि-
कानों के संक्रमण को एक्यूट ओटिटिस मीडिया भी कहा जाता है। यह तब होता है, जब वायरस या बैक्टीरिया और तरल पदार्थ ईयर ड्रम के पीछे फंस जाते हैं। इस संक्रमण के कारण कान में सूजन, दर्द और कई बार बुखार की शिकायत भी हो सकती है। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं, जैसें कि
कानों का संक्रमण समय के साथ ठीक भी हो जाता है। लेकिन, आपका डॉक्टर संक्रमण को फैलने से बचाने के लिए या शिशु को तकलीफ से बचाने के लिए कुछ दवाएं लिख सकता है। दवाइयां लेने के बाद दो दिन के अंदर यह संक्रमण गायब हो जाता है। इस संक्रमण से बचने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। अपने शिशु को किसी भी प्रकार के धुएं से दूर रखें। साथ ही अपने शिशु को स्तनपान कराती रहें। शोध बताते हैं कि स्तनपान करने वाले शिशुओं में संक्रमण की संभावना काफी कम होती है।
इसके साथ इस बात का भी ख्याल रखें कि पेसिफायर का इस्तेमाल कम करें।
अगर शिशु उठकर न बैठ पाता हो, तो आप बैठने में उसकी मदद करें। नवजात शिशु को जबरदस्ती पकड़कर बैठाने की कोशिश न करें, क्योंकि उनकी मांसपेशियां बेहद नाजुक होती हैं। तीन से चार महीने के शिशु को आप उठाकर बैठाने में मदद कर सकती हैं।
शिशु का गोल मटोल होना मतलब मोटा होना नहीं होता। जब शिशु खेल-कूद करता है, तो उसकी लंबाई बढ़ती है और वजन अपने आप घटने लगता है। नीचे लिखे कुछ उपाय शिशु के बढ़ते वजन को रोकने में आपके काम आ सकते हैं;
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कई बार आपका शिशु स्तनपान करने से मना कर देता है। ऐसा यूं ही नहीं होता है, इसके कुछ कारण होते हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं, जैसे कि—
अगर इसके बाद भी वह स्तनपान न करें तो अपने डॉक्टर से परामर्श ले।
चार से सात महीने के बीच बच्चों के व्यवहार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। इस समय बच्चे अपने लिए खाने, नींद और दूसरों का ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए रोना या आवाजे निकालना शुरू कर देते हैं। साथ ही वे अपने हाथों को भी हिलाना शुरू कर देते हैं। अचानक से आप इस समय यह भी महसूस कर सकते हैं कि बच्चे इस समय तक अपने आस-पास हो रही गतिविधियों की ओर आकर्षित होने लगते हैं। इसके अलावा वे हर चीजें को छूकर महसूस करने की भी कोशिश करने लगते हैं और वे खुद से ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो वे चिल्ला कर आपको यह बताने की कोशिश करने लगते है कि उन्हें वह चीज चाहिए। साथ ही कई बार देखने को मिलता है कि जब बच्चों को कोई चीज चाहिए होती है, तो वे पहले से अपने पास मौजूद चीज को फेंक देते हैं।
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