मां के लिए शिशु की सेहत का ध्यान रखना पहली प्राथमिकता होती है। शिशु की मालिश भी इसमें एक है। मालिश उसे अनगिनत फायदे पहुंचाती है। इससे न सिर्फ शिशु के शरीर में ताकत आती है बल्कि, इससे मां और बच्चे के बीच का रिश्ता भी मजबूत होता है। आज हम इस आर्टिकल में शिशु की मालिश के फायदे और उसे करने का सही तरीके के बारे में बताएंगे।
शिशु की मालिश की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए हैलो स्वास्थ्य ने पंजाब के बटाला में स्थित शिव शक्ति आयुकेर क्लीनिक की डॉक्टर सुनीता कुंद्रा से खास बातचीत की। 15 वर्षों से अधिक समय का अनुभव रखने वालीं फैमिली फिजिशियन डॉक्टर सुनीता कुंद्रा बीएएमएस हैं। उन्होंने दिल्ली के सफदरजंग, हिंदु राव और एयूटीसी हॉस्पिटल के साथ काम किया है।
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शिशु की मालिश करने के क्या फायदे हैं?
डॉक्टर: दांत निकलते वक्त शिशु के सिर में दर्द होता है। इसकी वजह से वह चिड़चिड़ा हो सकता है। ऐसी अवधि में मालिश करते वक्त उनके कान के पीछे ऑयल लगाया जाना चाहिए। ऐसा करने से उसे काफी हद तक आराम मिलता है। शिशुओं का ज्यादातर समय एक ही स्थान पर व्यतीत होता है। ऐसे में उनकी बॉडी में शिथिलता के साथ थकावट भी आ जाती है। ग्रोथ के लिए मस्क्युलर एक्टिविटी जरूरी है। इससे बॉडी में ब्लड फ्लो बढ़ता है।
मस्क्युलर एक्टिविटी ना होने की सूरत में शिशु की मसल्स भी कमजोर रहती हैं। इससे शिशु की बॉडी से थकान भी दूर हो जाती है। इससे शिशु के स्केलिटल टिस्सूज भी मजबूत होते हैं। हड्डियों को मजबूत बनाने में भी मालिश मददगार है।
शिशु की मालिश का सही समय क्या है?
डॉक्टर: जन्म के बाद 15 दिन बाद मालिश की जानी चाहिए। इस दौरान यदि बच्चे की अंबलिकल कॉर्ड नहीं गिरती है तो मालिश की शुरुआत ना करें। इसके गिर जाने पर ही मालिश शुरू करें। हालांकि, 15 दिन की अवधि से पहले शिशु की त्वचा बेहद नाजुक होती है इसलिए इस दौरान मालिश की मनाही होती है।
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शिशु की मालिश किस ऑयल से करें?
डॉक्टर: शिशु की मालिश के लिए आयुर्वेदिक ऑयल्स सबसे ज्यादा फायदेमंद रहते हैं। इसमें कोकोनट ऑयल सबसे ज्यादा गुणकारी होता है। कोकोनट एडिबल ऑयल एकदम ऑर्गेनिक होता है। इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती है। महिलाओं को बाजार में मिलने वाले बड़े ब्रांड्स के ऑयल्स का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। पैकेट बंद ज्यादातर ऑयल्स को पैट्रोलियम ऑयल में बनाया जाता है।
महिलाएं ऑलिव ऑयल का चुनाव भी कर सकती हैं लेकिन, शिशु के चार माह पूरा कर लेने के बाद ही इसका इस्तेमाल बेहतर होगा। ऑयल्स का चुनाव करते वक्त महिलाओं को प्रोटीन कंटेंट वाले ऑयल लेने चाहिए। हालांकि, कोकोनट ऑयल सबसे बेहतर विकल्प है, जो शिशु की त्वचा के लिए फायदेमंद होता है।
नारियल तेल:
बच्चे की मालिश के लिए नारियल तेल का चुनाव करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। ये काफी हल्का तेल होता है और त्वचा बहुत आसानी से इसे सोख भी लेती है। साथ ही, यह शरीर को ठंडक देने का काम करता है। यह बच्चे की त्वचा को पोषण देने के साथ-साथ उसे मुलायम भी बनाए रखने में मदद करती है। इसमें एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं।
सरसो का तेल:
सरसो का तेल शरीर को गर्म बनाए रखता है। सर्दियों के मौसम में इससे शिशु की मालिश करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।
जैतून का तेल:
जैतून के तेल का इस्तेमाल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी किया जाता है।
बादाम का तेल:
बादाम के तेल में विटामिन ई की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो बच्चे की त्वचा को पूरी सुरक्षा देना है और त्वाचा का पोषण भी प्रदान करता है। बादाम के तेल से शिशु की मालिश करने पर बच्चे को अच्छी नींद भी आती है।
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किस सीजन में कौन सा ऑयल इस्तेमाल करें?
डॉक्टर: महिलाएं शिशु की मालिश के लिए सर्दियों में बादाम ऑयल और गर्मियों में कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल कर सकती हैं। डाबर तेल भी शिशु के लिए फायदेमंद होता है।
शिशु की मालिश करने का सही तरीका क्या है?
डॉक्टर: शिशु की मालिश की शुरुआत हमेशा सिर से होनी चाहिए लेकिन, यहां मालिश नहीं करनी है। ऑयल को सिर्फ हल्के-हल्के हाथों से लगाना है। शिशु का सिर काफी नाजुक होता है। हल्का सा भी दबाव उसके लिए नुकसानदेह हो सकता है। शिशु के सिर के बीचों बीच एक जगह खाली होती है। कई बार उसमें कुछ तत्व भी जमा रहते हैं। ऐसे में वहां पर हल्के हाथों से तेल लगाने से हड्डियों और नसों को फायदा मिलता है। इस हिस्से में मालिश करने से नर्व रेग्युलेट होती है। इसके साथ ही सिर पर ऑयल लगाते हुए नीचे की तरफ आएं।
रिफ्लेक्सोलॉजी के अनुसार शिशु के पैरों पर अच्छे से मालिश की जानी चाहिए। ऐसा करते वक्त उनके हांथ और पैरों की हल्की एक्सरसाइज भी कराई जानी चाहिए। उनके पैरों को आगे पीछे और दाएं बाएं घुमाया जाना चाहिए। ऐसा करते वक्त आपको बेहद ही सावधानी बरतनी होगी। शिशु के पैरों के तलवों पर अच्छे से ऑयल लगाया जाना चाहिए। यहां पर कुछ ऐसे प्वॉइंट्स होते हैं, जो सीधे ही शिशु को आरामदेह महसूस कराते हैं। शिशु की मालिश करने के बाद उन्हें हल्के गुनगुने पानी से नहलाना चाहिए।
शिशु की मालिश करते वक्त क्या सावधानी रखें?
डॉक्टर: शिशु की मालिश करते वक्त सिर को बिलकुल भी ना रगड़ें। जिन शिशुओं को स्किन से संबंधित समस्या है तो उसी के अनुसार ऑयल का चुनाव करें। शिशु को अपच और लूज मोशन की स्थिति में मालिश ना करें। यदि उसने उल्टी की है तब भी आपको मालिश नहीं करनी है।
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क्या मालिश से माता- पिता और बच्चे के बीच की बॉन्डिंग बढ़ती है?
डॉक्टर: जब महिलाएं शिशु की मालिश करती हैं तो शिशु का सारा ध्यान अपनी मां पर होता है। यह एक ऐसा पल होता है, जो मां और बच्चे के बीच का रिश्ता और मजबूत होता है। मालिश करवाते वक्त कई बार शिशु मुस्कुराते हैं। यह बॉन्डिंग का ही संकेत होता है।
हम उम्मीद करते हैं कि शिशु की मालिश से जुड़े सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे। अब मालिश करते वक्त इन टिप्स को फॉलो करें। किसी भी तरह का कंफ्यूजन होने पर एक बार डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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