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शिशु के लिए सप्लिमेंट्स का उपयोग कब हो जाता है जरूरी?

शिशु के लिए सप्लिमेंट्स का उपयोग कब हो जाता है जरूरी?

शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) का उपयोग तब किया जाता है जब उसे निश्चित विटामिन्स (Vitamins) के लिए एडिशनल डोज की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए प्रीमैच्योर बेबीज (Premature babies) के लिए एक्सट्रा विटामिन्स और मिनरल्स आवश्यक होते हैं। ये डायरेक्टली ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) के जरिए उन्हें दिए जाते हैं या फॉर्मूला मिल्क (Formula milk) के द्वारा। वहीं बच्चे जो कम मात्रा में ब्रेस्टफीड करते हैं उन्हें विटामिन डी (Vitamin D) दिया जाता है। 4-6 महीने का होने के बाद उन्हें आयरन सप्लिमेंट्स भी दिए जा सकते हैं। शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।

शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn)

वैसे तो शिशु के लिए मां का दूध आदर्श भोजन है। यह उन्हें बढ़ने और बीमारियों से लड़ने में मदद करने के लिए पोषण से भरपूर है। कई बार कुछ विटामिन और खनिज होते हैं जो ब्रेस्टफीड (Breastfeed) करने वाले नवजात शिशुओं को सिर्फ स्तनपान के माध्यम से पर्याप्त नहीं मिल पाते। कई बार कुछ विशेष कंडिशन जैसे कि मां का वीगन (Vegan) होना या किसी सर्जरी से गुजरने के बाद ब्रेस्टफीड करना जैसी सिचुएशन में भी शिशु को ब्रेस्ट मिल्क (Breast milk) से पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता। ऐसे में निम्न सप्लिमेंट्स रिकमंड किए जा सकते हैं।

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विटामिन के (Vitamin K)

ब्रेस्ट मिल्क में विटामिन के बहुत कम मात्रा में होता है और अब जब बच्चे का जम्न होता है तो उनमें विटामिन के की मात्रा काफी कम होती है। शिशुओं को विटामिन के की जरूरत ब्लड क्लॉट बनने और ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए होती है। हर बच्चा जो ब्रेस्टफीड करता है या नहीं उसे विटामिन के का शॉट जन्म के तुरंत बाद दिया जाता है। यह इंजेक्शन ब्लड क्लॉट बनने में मदद करने के साथ ही नवजात शिशु को ब्लीडिंग डिसऑर्डर (Bleeding disorder) से बचाने में मदद करता है।

विटामिन डी (Vitamin D)

शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) में विटामिन डी भी बहुत जरूरी है। कैल्शियम को एब्जॉर्ब करने और हड्डियों, दांतों को मजबूत बनाने का काम करता है। यह इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने मे मदद करता है और इंफेक्शन से बचाता है। अगर बच्चे को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी नहीं मिलता तो उन्हें रिकेट्स नाम की बीमारी हो सकती है। जिसमें हड्डियां नरम हो जाती हैं और बच्चे के डेवलपमेंट में परेशानी होती है। इसके साथ ही उनमें विटामिन डी की डेफिसिएंशी भी हो सकती है। ब्रेस्ट मिल्क में विटामिन डी होता है, लेकिन यह हर व्यक्ति के लिए अलग होता है।

हमारी बॉडी के लिए विटामिन डी का मुख्य सोर्स सूर्य है। जब बॉडी सूरज की रोशनी के संपर्क में आती है तो विटामिन डी का निमार्ण होता है। विटामिन डी की डेफिसिएंशी और हड्डि्यों की परेशानी से बचाने के लिए अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (American Academy of Pediatrics) शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) को रिकमंड करते हैं। सभी स्तनपान करने वाले शिशुओ को विटामिन डी को लिक्विड ड्रॉप्स के रूप में दिया जाता है। फॉर्मूला मिल्क पीने वाले बच्चों को इसकी जरूरत नहीं होती क्योंकि इसमें पहले से ही विटामिन डी एडेड होता है।

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शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn)

आयरन (Iron)

शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) में आयरन भी उतना ही आवश्यक है। आयरन बॉडी का एक एसेंशियल मिनरल है जो बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए जरूरी है। यह लाल रक्त कोशिकाओं को शरीर में ऑक्सीजन को ले जाने में मदद करता है। अगर शिशु को पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं मिलता है तो यह एनीमिया का कारण बन सकता है।

आयरन डेफिसिएंशी के कारण होने वाले एनीमिया के लक्षण हमेशा दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन इसके कारण स्किन का पीला पड़ना, हार्ट बीट का बढ़ना, फीडिंग में परेशानी, कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। लंबे समय तक होने वाली आयरन की डेफिसिएंशी के चलते शिशु की बॉडी और ब्रेन के डेवलपमेंट में परेशानी आती है। ब्रेस्ट मिल्क में आयरन कम मात्रा में होता है, लेकिन सभी शिशुओं पर्याप्त मात्रा में आयरन के साथ पैदा होते हैं। जो उन्हें कम से कम 6 महीने तक एनीमिया से प्रोटेक्ट करता है।

अगर मां को जेस्टेशनल डायबिटीज थी और वह उसे ठीक से कंट्रोल नहीं कर सकी या बेबी प्री मैच्योर या उसका वजन कम है तो उसे गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त आयरन नहीं मिल पाया होगा। ऐसे में शिशु को 4-6 महीने की उम्र तक आयरन सप्लिमेंट्स दिए जाते हैं जब तक कि वे आयरन युक्त फूड्स को खाना शुरू नहीं कर देते। 6 महीने के बाद जब बच्चे सॉलिड फूड खाना शुरू कर देते हैं तो उन्हें ऐसे फूड्स खिलाने चाहिए जिनमें आयरन की मात्रा हो। जिसमें फोर्टिफाइड सीरियल्स शामिल हैं।

जिन शिशुओं को आयरन फोर्टिफाइड इंफेंट फॉर्मूला दिया जाता है उन्हें अतरिक्त सप्लिमेंटेशन की जरूरत नहीं होती है।

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विटामिन बी12 (Vitamin B12)

विटामिन बी12 बॉडी की नर्व और बॉडी सेल्स को हेल्दी रखने के साथ ही डीएनए बनाने में मदद करते हैं। विटामिन बी 12 की डेफिसिएंशी से होने वाले एनीमिया को मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic anemia) कहते हैं। जिससे व्यक्ति कमजोर और थका हुआ लगता है। विटामिन बी12 प्लांट फूड्स में नहीं होता है। इसलिए ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाएं जो वीगन डायट फॉलो करती हैं उन्हें अपनी डायट में सप्लिमेंट्स को शामिल करना पड़ता है। ताकि उन्हें और शिशु दोनों को विटामिन बी12 का पर्याप्त मात्रा में मिल सके।

शिशुओं में विटामिन बी12 की कमी होने के लक्षणों में उल्टी आना, आलस, एनीमिया, हायपोटोनिया (Hypotonia) और डेवलपमेंटल डिले (Developmental delay) शामिल है। ब्रेस्टफीड करने वाले शिशुओं में विटामिन बी12 की डेफिसिएंशी 2-6 महीने में डेवलप हो जाती हैं वहीं इसके लक्षण 6-12 महीने में दिखाई देने लगते हैं।

फ्लूराइड (Fluoride)

6 महीने के तक के शिशु के लिए फ्लूराइड (Fluoride) सप्लिमेंट्स की जरूरत नहीं होती है। फ्लूराइड सप्लिमेंट्स तब आवश्यक हो सकते हैं जब पानी में इसकी मात्रा कम हो। अगर बच्चे के लिए बॉटल पैक्ड पानी के उपयोग करते हैं तो उसे फ्लूराइड सप्लिमेंट्स की जरूरत हो सकती हैं। क्योंकि उस पानी में इस मिनरल की मात्रा कम हो सकती है। फ्लूराइड आवश्यक मिनरल है जो बच्चों के दांतों के एनामेल (Enamel) को मजबूत बनाने के साथ ही उन्हें कैविटीज (Cavities) से बचाता है। ब्रेस्ट मिल्क में भी यह कम मात्रा में पाया जाता है।

नोट: शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। हर बच्चे को सप्लिमेंट की जरूरत नहीं होती और हर बच्चे के लिए सप्लिमेंट्स का उपयोग अलग तरीके से किया जाता है। साथ ही परिवार में मौजूद दो शिशुओं के लिए भी एक ही सप्लिमेंट का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। अगर डॉक्टर ने आपके शिशु के लिए सप्लिमेंट्स को प्रिस्क्राइब किया है तो उन्हें डॉक्टर के द्वारा बताए गए तरीके से, उतनी ही डोज में दें।

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उम्मीद करते हैं कि आपको शिशु के लिए सप्लिमेंट्स (Supplements for newborn) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

03/12/2021

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/12/2021

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