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ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज : किस तरह से फायदेमंद हैं बच्चों के लिए ?

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


डॉ. हेमाक्षी जत्तानी द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज : किस तरह से फायदेमंद हैं बच्चों के लिए ?

    मां बनने के बाद जिम्मेदारियां कई गुना बढ़ जाती हैं। मां को बच्चे से संबंधित कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है जैसे शिशु का आहार, उसे नहलाना, सुलाना, वैक्सीन आदि। अन्य चीजों की तरह ब्रेस्टफीडिग में भी मां को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ब्रेस्टफीडिंग कराना मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी है। इससे बच्चे को सभी आवश्यक न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। आपने यह भी सुना ही होगा कि ब्रेस्टमिल्क बच्चे को स्वस्थ रखने में मददगार होता है। क्योंकि, इसमें मौजूद एंटीबॉडीज बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करती हैं। आज हम आपको ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies) के बारे में बताने वाले हैं। जानिए इनके बारे में विस्तार से।

     ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज क्या है? (Breast Milk Antibodies)

    कोलोस्ट्रम (Colostrum) या  ब्रेस्ट मिल्क इन दोनों में एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। सबसे पहल बनने वाले ब्रेस्ट मिल्क को कोलोस्ट्रम (Colostrum) कहा जाता है। ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज को इम्युनोग्लोबुलिन्स (Immunoglobulins) भी कहा जाता है। यह एक तरह की प्रोटीन होती है, जो मां को बच्चे तक इम्युनिटी पास करने में मदद करती है। ब्रेस्ट मिल्क में खासतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन्स IgA, IgM, IgG और IgM के सेक्रेटेरी वर्जन(Secretory Versions) पाए जाते हैं। कोलोस्ट्रम में SIgA यानी सेक्रेटेरी इम्मुनोग्लोबुलीन ए (Secretory Immunoglobulin A) की अधिक मात्रा पाई जाती है। जो शिशु के नाक, गले और डायजेस्टिव सिस्टम में प्रोटेक्टिव लेयर बनाने में मदद करती है। ताकि, बच्चे की सुरक्षा हो सके।

    जब मां वायरस और बैक्टीरिया के संपर्क में आती है। तो उसका शरीर अतिरिक्त एंटीबॉडीज बनाता है, जो वो ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से अपने बच्चे तक ट्रांसफर करती है। फार्मूला मिल्क में वो खास एंटीबॉडीज नहीं होते, जो ब्रेस्ट मिल्क में होते हैं और न ही यह शिशु की सुरक्षा के लिए परत का निर्माण कर सकते हैं। जो बच्चे अपनी मां का दूध पीते हैं उनमें बीमारियों और इंफेक्शन से लड़ने की संभावना अधिक होती है। यह एंटीबॉडीज खून, पसीने और स्लायवा में भी पाए जाते हैं। यह तो थी ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) क्या होती हैं इसके बारे में जानकारी। अब जानिए इसके फायदों के बारे में।

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    ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज के लाभ (Benefits of Breast milk antibodies)

    ब्रेस्ट मिल्क को बच्चे के लिए अमृत के समान माना जाता है। ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज से (Breast Milk Antibodies ) बच्चों को कई लाभ हो सकते हैं। इनके कारण बच्चों में कई हेल्दी कंडीशंस का जोखिम कम हो सकता है, जैसे:

    मिडिल इअर इंफेक्शंस (Middle ear infections)

    ऐसा माना जाता है कि ब्रेस्टफीड कराने से बच्चों में मिडिल इअर इंफेक्शंस की संभावना को कम किया जा सकता है। स्तनपान करने वाले बच्चों में यह इंफेक्शन अन्य बच्चों के मुकाबले कम होता है।

    रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शंस (Respiratory tract infections)

    6 महीने और उससे अधिक उम्र के बच्चों के ब्रेस्टफीडिंग करने से चार साल की उम्र तक उन्हें रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शंस (Respiratory tract infections) का खतरा कम रहता है।

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    सर्दी और फ्लू (Colds and flu)

    छोटे बच्चे सर्दी-खांसी या फ्लू का शिकार बहुत जल्दी हो जाते हैं।  ब्रेस्टफीडिंग करने से बच्चे में सर्दी और फ्लू से बचने की अधिक इम्युनिटी विकसित होती है और उनका इन बीमारियों से बचाव होता है।

    गट इंफेक्शंस (Gut infections)

    स्तनपान करने वाले बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट इंफेक्शंस (Gastrointestinal Tract Infections) होने की संभावना भी कम होती है।

    इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory bowel disease)

    ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज से इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज का खतरा भी कम रहता है।

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    डायबिटीज (Diabetes)

    आजकल छोटे बच्चों को भी डायबिटीज जैसे रोग होने का खतरा अधिक रहता है। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि जो बच्चे ब्रेस्टफीडिंग करते हैं। उनमें डायबिटीज न होने की संभावना अन्य बच्चों की तुलना में 35 प्रतिशत कम होती है

    चाइल्डहुड ल्यूकेमिया (Childhood leukemia)

    6 महीने तक अगर बच्चा ब्रेस्टफीडिंग करता है तो उससे उसे चाइल्डहुड ल्यूकेमिया होने की संभावना भी 20 प्रतिशत कम हो जाती है।

    ओबेसिटी (Obesity)

    ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों में अधिक वजन या ओबेसिटी होने के चांसेस कम होते हैं।

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    एलर्जी (Allergy)

    एलर्जी कंडीशंस जैसे एक्जिमा और अस्थमा आदि से भी शिशु को सुरक्षित रखने में मां का दूध मुख्य भूमिका निभाता है। यही नहीं, ब्रेस्टफीडिंग करने से बच्चों में अन्य कई बीमारियों और इंफेक्शन की गंभीरता भी कम हो सकती है। इसीलिए, ब्रेस्ट मिल्क को एक पावरफुल दवा माना जाता है। ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) से बच्चा कई समस्याओं से बच सकता है। इसलिए हर मां को ब्रेस्ट फीडिंग की सलाह दी जाती है। केवल उन्ही महिलाओं को बच्चे को ब्रेस्ट फीड कराने की सलाह नहीं दी जाती जो बीमार हों और किसी ट्रीटमेंट से गुजर रही हों। आइए जानते हैं अब ब्रेस्टफीडिंग के अन्य लाभों के बारे में।

    प्रीमेच्योर शिशुओं के लिए ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज

    प्रीमेच्योर शिशुओं का इम्यून सिस्टम अन्य बच्चों की तरह नहीं होता है। उन्हें इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। उन्हें अधिक देखभाल और सुरक्षा की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें ब्रेस्ट मिल्क की जरूरत भी अधिक होती है। ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) प्रीमेच्योर बच्चों को वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं।

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    डे केयर में रहने वाले बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज

    जो बच्चे डे केयर में रहते हैं उनके लिए भी ब्रेस्ट मिल्क बहुत लाभदायक है। ब्रेस्ट मिल्क में पाए जाने वाले एंटीबॉडीज बच्चों को बचपन में होने वाली कई बीमारियों से बचाते हैं। जिनका शिकार बच्चे डे केयर में बहुत आसानी से हो जाते हैं। अगर मां बीमार है जैसे उसे सर्दी-जुकाम या अन्य कोई बीमारी है, तो भी उसे ब्रेस्टफीडिंग जारी रखनी चाहिए। सामान्य बीमारियों में अपने बच्चे को स्तनपान कराना सुरक्षित होता है। अगर आपकी बीमारी से आपका बच्चा भी प्रभावित हो, तब भी आपको ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) को अपने बच्चे तक पास करना जारी रखना चाहिए। ताकि आपका बच्चा आसानी से इनसे लड़ सके। क्योंकि, अगर बच्चा बीमार होता है, तो यह एंटीबॉडीज उन्हें लड़ने में मदद करती हैं। इसके साथ ही यह ब्रेस्ट मिल्क बीमार बच्चे को न्यूट्रिशन, फ्लूइड और आराम यह सब भी प्रदान करता है।

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    ऐसी बहुत ही दुर्लभ स्थितियां होती हैं जब शिशु को ब्रेस्ट मिल्क देने की सलाह नहीं दी जाती है। जैसे मां का बीमार होना या कोई खास दवाई लेना। यानी, मां अगर किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो या कोई दवा ले रही हो। तो डॉक्टर उन्हें स्तनपान कराने से मना कर सकते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम मामलों में होता है। अधिकतर दवाइयां स्तनपान कर रहे शिशु को प्रभावित नहीं करती हैं। लेकिन, डॉक्टर को भी हमेशा शिशु को स्तनपान करा रही मां को दवा के रिस्क और लाभों के बारे में जानने के बाद ही कोई दवा देनी चाहिए। अब जानिए यह एंटीबॉडीज ब्रेस्ट मिल्क में कब होते हैं?

    ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी कब होते है?

    शुरुआत में जब ब्रेस्ट मिल्क बनता है, तभी से उनमें इम्युनिटी बूस्टिंग एंटीबॉडीज होती हैं। कोलोस्ट्रम, वो पहला दूध है जो मां अपने बच्चे के लिए बनाती है और यह एंटीबॉडीज से भरा होता है। ऐसे में शिशु के जन्म के तुरंत बाद अगर आप अपने बच्चे को ब्रेस्ट मिल्क देती हैं तो यह उसके लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। शोधकर्ता भी इस बात को मानते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग शिशु के लिए जरूरी है। इसलिए, शिशु के जन्म के शुरू के 6 महीनों से दो साल तक उसे मां का दूध अवश्य पिलाना चाहिए।

    सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (Center for Disease control and  Prevention) के अनुसार ब्रेस्ट मिल्क अधिकतर शिशुओं जिनमें प्रीमेच्योर और बीमारी नवजात शिशुओं के लिए सबसे बेहतर न्यूट्रिशन प्रदान करता है।

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    ब्रेस्ट मिल्क को स्टोर करना

    आजकल अधिकतर माताएं कामकाजी होने के कारण ब्रेस्ट मिल्क को पंप और स्टोर करती हैं, ताकि उनके मौजूद न होने पर भी शिशु को ब्रेस्ट मिल्क दिया जा सके। जब ब्रेस्ट मिल्क को पंप किया जाता है तो ब्रेस्ट मिल्क के साथ ही स्किन के बैक्टीरिया और जर्म्स भी दूध में मिल जाते हैं। ब्रेस्ट मिल्क को पंप और स्टोर भी तभी करना चाहिए, जब बच्चे को इसे तुरंत देना हो। हालांकि, यह रीयलिस्टिक नहीं है। रेफ्रीजिरेटर में स्टोर ब्रेस्ट मिल्क अपनी इम्यून प्रॉपर्टीज को मेंटेन रखता है लेकिन माइक्रोवेव या अन्य चीजों में इसे अधिक गर्म करने से ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies) और अन्य इम्यून फैक्टर्स नष्ट हो जाते हैं। जब ब्रेस्ट मिल्क को फ्रीज किया जाता है तो यह कुछ हेल्दी इम्यून फैक्टर्स को खो देता है।

    अगर ब्रेस्ट मिल्क को पूरी तरह से सुरक्षित तरीके से कलेक्ट और स्टोर किया जाता है, तभी यह अपने कुछ इम्यून फैक्टर और एंटीबॉडीज खो देता है हालांकि फार्मूला मिल्क से यह तब भी अधिक बेहतर है। इसलिए, माताओं को हमेशा खुद स्तनपान करने की सलाह दी जाती है। लेकिन, किन्हीं स्थितियों में अगर ऐसा संभव न हो तो फार्मूला मिल्क की तुलना में स्टोर किए ब्रेस्ट मिल्क को प्राथमिकता दी जा सकती है।

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    यह तो थी ब्रेस्ट मिल्क एंटीबॉडीज (Breast Milk Antibodies ) के बारे में जानकारी। शिशु के लिए तो यह वरदान है ही लेकिन मां के लिए भी यह बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसा माना गया है कि स्तनपान कराने से न केवल मां का वजन कम होने में मदद मिलती है, उसे तनाव से भी छुटकारा मिल सकता है बल्कि उसे कई अन्य समस्याओं से भी राहत मिल सकती है। इस बात को पूरी तरह से याद रखें कि ब्रेस्ट मिल्क से न केवल बच्चे को बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। बल्कि, पूरी उम्र उसे हेल्दी रहने में भी मदद मिल सकती है। यही नहीं, स्तनपान से मां और बच्चे के बीच का संबंध और भी मजबूत होता है। इसलिए, कभी यह न सोचें कि शिशु को स्तनपान कराने से आपको कोई नुकसान होगा।

    स्तनपान कराने वाली मां को अपने स्वास्थ्य, आहार आदि का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि वो खुद भी स्वस्थ रहे। मां स्वस्थ होगी तो वो अपने बच्चे का भी अच्छे से पालन-पोषण कर पाएगी। प्रसव के बाद अक्सर कई माताओं को स्तनपान करने में मुश्किल होती है। ऐसे में आप अपने डॉक्टर या नर्स की मदद ले सकती हैं।

    डिस्क्लेमर

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