ये तो आप जानते ही होंगे कि स्तनपान कराना शिशु के लिए कितना जरूरी है। मां का दूध बच्चे को शुरुआती छह महीने में पिलाना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि नवजात शिशु को सारा पोषण मां के दूध से ही मिलता है। लेकिन कई बार महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं होती कि बच्चे को स्तनपान कैसे कराएं। खासतौर पर जो महिलाएं पहली बार मां बनी होती हैं उन्हें इस बात की कम समझ होती है कि स्तनपान कैसे कराएं।
अगर आप पहली बार मां बन रही हैं तो हो सकता है कि स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं? अक्सर नई बनी मांओं को समझ में नहीं आता है कि स्तनपान कैसे कराएं। तो इसके लिए हर मां को पहले से मानसिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है। सही ढंग से स्तनपान कराने का तरीका सीखने में मां को समय लगता है। आइए जानते हैं कि बच्चे को स्तनपान कैसे कराएं।
इस बारे मे फोर्टिस अस्पतालए मुलुंड की एचओडीः न्यूट्रशिन थेरिपी की डाॅक्टर रसिका परब का कहना है,’मां का दूध शिशुओं के लिए सबसे अच्छा भोजन होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व आसानी से शिशु के लिए आसानी से पचने योग्य होते हैं। सभी नर्सिंग माताओं के लिए स्तनपान भी सबसे किफायती विकल्प है। यह बच्चे के पोषण की स्थिति के लिए फायदेमंद है और माँ और उसके बच्चे के बीच भावनात्मक बंधन को भी मजबूत करता है। स्तनपान से शिशु में बचपन से अधिक वजन, अस्थमा, टाइप 1 और 2 मधुमेह, ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे रोगों का जोखिम कम हो सकता है। स्तनपान मां के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह डायबिटीज मेलिटस, हृदय रोग, स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर के जोखिम को कम करता है और वजन घटाने में भी मददगार है।’
पहली बार स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान होने वाली समस्याएं
इस पर वाराणसी के काशी मेडिकेयर की प्रसूती विशेषज्ञ डॉ. शिप्रा धर ने बताया हैलो स्वास्थ्य को बताया कि स्तनपान के दौरान कई मांओं को समस्या आती है। किसी भी चीज की शुरुआत कठिन होती है और कुछ ऐसा ही अनुभव हो सकता है पहली बार मां स्तनपान करा रही मां को। नवजात शिशु इतना नाजुक होता है कि कई बार मां को समझ में ही नहीं आता कि उसे स्तनपान कैसे कराएं । ऐसे में मां घबरा जाती है। इसके लिए गर्भवती महिला को अनुभवी लोगों से बातचीत कर के टिप्स लेने चाहिए और अपने अंदर आत्मविश्वास जगाना चाहिए। गर्भवती महिला चाहे तो इसके लिए अपने डॉक्टर से अपनी परेशानी साझा कर सकती हैं।
स्तनपान के दौरान दर्द होना
डॉ. शिप्रा धर ने बताया कि पहली बार जब बच्चा मां के स्तनों को लैच (Latch) करता है, तो मां के स्तनों में दर्द होता है। ऐसा इस कारण से होता है कि जब बच्चा स्तनपान शुरू करता है तो स्तनों की मांसपेशियों में खिंचाव होता है, जिसके कारण दर्द होता है। ऐसे में मां को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि संयम के साथ बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए।
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स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान चिड़चिड़ापन होना
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मां बच्चे को सही से नहीं स्तनपान करा पाती हैं या फिर बच्चा सही तरीके से स्तनों को लैच नहीं कर पाता है। ऐसी परिस्थिति में मां या बच्चे में चिड़चिड़ाहट पैदा होने लगती है। ऐसे में मां को संयम से काम लेते हुए थोड़ा रुकना चाहिए। इसके बाद, बच्चे को हल्की थपकी दें और अपनी उंगली को बच्चे के मुंह में डालें ताकि वह उसे सक (Suck) कर सके। इसके बाद, उसे दोबारा स्तनों से लैच कराएं और स्तनपान कराना शुरू करें।
क्या आपके बच्चे की जीभ नीचे जुड़ी है?
कुछ शिशुओं की जीभ मुंह में नीचे की तरफ जुड़ी रहती है। इसे एंकिलोग्लॉसिया कहते है। जिन शिशुओं को यह समस्या होती है वह स्तनपान ठीक से नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चे निप्पल को ठीक से सक (Suck) नहीं कर पाते हैं। ऐसी परिस्थिति में मां को डॉक्टर से बात करनी चाहिए। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही एंकिलोग्लॉसिया का इलाज कराना चाहिए।
स्तनपान कैसे कराएं – जानिए स्तनपान (Breastfeeding) कराने के कुछ आसान टिप्स
स्तनपान कैसे कराएं – बच्चे की भूख को पहचानें
स्तनपान कैसे कराएं और कब कराएं। इसके जवाब में नवजात शिशु को जब भूख लगती है, तो वह कुछ इशारे करता है, जिसे मां को समझना होता है। बच्चा अपनी उंगली या हाथ अपने मुंह में डालता है। इसके अलावा, बच्चा खुद ही स्तन की तलाश करने लगता है। ऐसे समय में मां द्वारा बच्चे को स्तनपान कराया जाना चाहिए।
स्तनपान कैसे कराएं – बच्चे की आदतों को समझें
कुछ बच्चों की आदत होती है कि वह मां के एक स्तन से दूध पी कर संतुष्ट हो जाते हैं। लेकिन, कुछ बच्चे एक बार के स्तनपान में दोनों स्तनों से दूध पीते हैं। ऐसे बच्चों को पहले आप एक स्तन का पूरा दूध पिलाएं। उसके बाद ही दूसरे स्तन को पीने के लिए दें। ऐसा न करने से बच्चा दोनों स्तन का थोड़ा दूध पिएगा और मां को समझ में नहीं आएगा कि बच्चे ने कितना दूध पिया है।
स्तनपान कैसे कराएं – बच्चे को दें स्किन-टू-स्किन टच (Skin to Skin Touch)
अगर स्तनपान कैसे कराएं के बारे में जानना चाहती हैं तो स्किन टू स्किन टच का ध्यान रखें। बच्चा जब दुनिया में आता है तो मां का फर्ज होता है कि वह बच्चे को बाहर के वातावरण के अनुरूप अनुकूल बनाएं। ऐसे में मां द्वारा बच्चे को छाती से लगाना उसे आराम देता है। इस प्रक्रिया को स्किन-टू-स्किन टच थेरिपी कहते हैं। जो बच्चे के दिल की धड़कनों और सांसों को बाहरी वातावरण के हिसाब से सामान्य करने में मदद करता है।
स्तनपान कैसे कराएं – बच्चे को स्तन और पेसीफायर में कंफ्यूज न करें
अक्सर देखा गया है कि बच्चे को लोग यह कह कर पेसीफायर थमा देते है कि बच्चा सक (Suck) करना सीखेगा। लेकिन, ऐसा करना सरासर गलत है। बच्चा मां के निप्पल और पेसीफायर में कंफ्यूज हो जाता है। बच्चे को हमेशा स्तनपान ही कराएं। ऐसा करने से ही बच्चे का सकिंग पावर (Sucking Power) विकसित होगा।
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सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean Delivery) में स्तनपान कैसे कराएं?
कई लोगों के मन में सवाल होता है कि सिजेरियन डिलिवरी के बाद स्तनपान कैसे कराएं। नॉर्मल डिलिवरी (Normal Delivery) होने के बाद मां होश में रहती है, इसलिए वह तुरंत बाद स्तनपान करा सकती है। लेकिन, सिजेरियन डिलिवरी (Cesarean Delivery) के केस में ऐसा नहीं हो पाता है, क्योंकि मां होश में नहीं होती है। इस परिस्थिति में डॉक्टर की विशेष भूमिका होती है। ऐसे में जन्म के तुरंत बाद मां के स्तनों को पोछ कर बच्चे को मां की छाती से चिपका देना चाहिए। ऐसा करने से स्किन-टू-स्किन टच होता है और मां के स्तन से पीला गाढ़ा दूध निकलना शुरू हो जाता है। जिसे बच्चे को सही तरीके से लैच करा के स्तनपान कराना चाहिए।
इन सभी बातों काे ध्यान में रखते हुए नई बनी मां अपने मन से पहली बार स्तनपान के दौरान होने वाली समस्याओं का सामना आसानी से कर सकती हैं। मां बनना मुश्किल बात नहीं है, बस सही सलाह और तरीकों को अपनाकर आप असानी से शिशु को स्तनपान करा सकती हैं।
उम्मीद है आपको इस आर्टिकल में पता चल गया होगा कि स्तनपान कैसे कराएं। अगर आप भी स्तनपान कैसे कराएं के बारे में जानना चाह रहे थे तो आपको इस आर्टिकल में समझ आ गया होगा कि स्तनपान कैसे कराएं। आशा करते हैं आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा और आप दी गई जानकारी से स्तनपान कराने के तरीके पता चल गए होंगे। अगर आपको इससे जुड़े कुछ और सवाल पूछने हैं तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।
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