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Hexaxim vaccine: हेक्साक्सिम वैक्सीन का क्यों किया जाता है इस्तेमाल, जानिए इससे जुड़ी सावधानियां!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/11/2021

    Hexaxim vaccine: हेक्साक्सिम वैक्सीन का क्यों किया जाता है इस्तेमाल, जानिए इससे जुड़ी सावधानियां!

    शरीर में वैक्सीन का प्रवेश होने से शरीर संक्रामक बीमारियों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। वैक्सीन जैसे ही शरीर में पहुंचती हैं, शरीर उस बीमारी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। आज हम आपको ऐसी वैक्सीन के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो एक नहीं बल्कि कई बीमारियों से बच्चे की रक्षा करती है।  हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस, हेपेटाइटिस बी, पोलियो और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी आदि के कारण होने वाली संक्रामक बीमारियों से बचाने में मदद करता है। हेक्साक्सिम वैक्सीन ( Hexaxim vaccine) बच्चों को दी जाने वाली वैक्सीन में शामिल है और ये छह सप्ताह की उम्र से बच्चों को दिया जा सकता है। आइए जानते हैं हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) के बारे में और साथ ही उन बीमारियों के बारे में भी, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं।

    हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) क्यों है जरूरी?

    जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस, हेपेटाइटिस बी, पोलियो आदि के संक्रमण से बचाने का काम करता है। हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) का इस्तेमाल इन बीमारियों से प्रति शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है।अगर सही समय पर वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाए, तो बच्चों को इन खतरनाक बीमारियों के खतरे से बचाया जा सकता है।

    डिप्थीरिया से सुरक्षा

    डिप्थीरिया (diphtheria) एक संक्रामक बीमारी है, जो आमतौर पर सबसे पहले थ्रोट यानी गले को प्रभावित करता है। थ्रोट इंफेक्शन के कारण गले में दर्द और सूजन की समस्या हो जाती है, जिससे दम घुट सकता है। रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया (Corynebacterium diphtheriae) गले के साथ ही हार्ट, किडनी और नसों को नुकसान पहुंचा सकता है। हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) इस बीमारी से सुरक्षा प्रदान करती है।

    टेटनस से सुरक्षा

    टेटनस की बीमारी (Tetanus) आमतौर पर टेटनस बैक्टीरिया के घाव में प्रवेश के कारण फैलती है। टेटनेस के कारण मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या हो जाती है और साथ ही सांस लेने में भी समस्या पैदा होती है। हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) टेटनेस की बीमारी से सुरक्षा प्रदान करती है।

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    पर्टुसिस से सुरक्षा

    पर्टुसिस को काली खांसी भी कहा जाता है। ये एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है, जो वायुमार्ग को प्रभावित करती है। यह गंभीर खांसी का कारण बनता है जिससे सांस लेने में समस्या हो सकती है।हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine)  बच्चों को लगवाने पर इस बीमारी से सुरक्षा प्रदान होती है।

    हेपेटाइटिस बी से सुरक्षा

    हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B) हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होता है। इस वायरस के संक्रमण के कारण लीवर सूज जाता है। कुछ लोगों में, वायरस लंबे समय तक शरीर में रह सकता है, और साथ ही लिवर कैंसर, लिवर की गंभीर समस्याएं भी पैदा कर सकता है।

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    पोलियो से सुरक्षा

    पोलियो के कारण लकवा का समस्या या मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है, जो आमतौर पर पैरों में होता है। पोलियो के कारण सांस लेने में समस्या भी होती है। सही समय पर वैक्सीन लगवाने से इस गंभीर बीमारी से बचने में मदद मिलती है।

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    हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी संक्रमण से सुरक्षा

    हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) के कारण हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी संक्रमण से भी सुरक्षा प्रदान होती है। ये एक प्रकार का गंभीर बैक्टीरिया संक्रमण है, जो मस्तिष्क के बाहरी आवरण की सूजन का कारण बन सकता है। इस कारण से बहरापन, मिर्गी या आंशिक अंधापन भी हो सकता है।

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    हेक्साक्सिम वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Hexaxim vaccine side effects)

    हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) लगवाने से बच्चे में कुछ साइड इफेक्ट्स या दुष्प्रभाव भी दिख सकते हैं। यह दुष्प्रभाव आमतौर पर 1 या 2 दिन रहते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं। अगर आपके बच्चे को वैक्सीन लगवाने के बाद इंजेक्शन के स्थान में दर्द, थकान, बुखार, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, उल्टी आदि की समस्या महसूस हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुछ बच्चों को बुखार भी आ सकता है। अगर बच्चों को दवा दी जाए, तो यह समस्या तुरंत ठीक हो जाती हैं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

    हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) की डोज

    हेक्साक्सिम वैक्सीन को 6 वीक के बच्चे को दिया जा सकता है। ये वैक्सीन इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है। चार सप्ताह के अंतर पर बच्चों के तीन इंजेक्शन दिए जाते हैं। आपको इसके बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। इंजेक्शन के पहले कोर्स के बाद बच्चों को बूस्टर डोज की सलाह भी दी जा सकती है। बच्चों को बूस्टर डोज देना है या फिर नहीं, आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। अगर बच्चे को आप हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) की डोज लगवाना भूल जाते हैं, तो आपको डॉक्टर से पूछना चाहिए कि वह इस वैक्सीन की डोज को कब ले सकता है।

    हेक्साक्सिम वैक्सीन : वैक्सीन लगवाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

  • अगर बच्चे को सांस संबंधी समस्या है, तो इस बारे में डॉक्टर को जानकारी दें क्योंकि ऐसी सिचुएशन में डॉक्टर वैक्सीन लेने की सलाह दे सकते हैं।
  • अगर बच्चे को टीके की पहली डोज लेने के बाद एलर्जी हुई है, तो आपको तुरंत डॉक्टर को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। वैक्सीन के इंग्रीडिएंट्स से एलर्जी होने पर डॉक्टर वैक्सीन को दोबारा देने की सलाह नहीं देते हैं।
  • अगर बच्चे को नर्वस सिस्टम संबंधी कोई समस्या है या फिर बच्चे को कोई शारीरिक गंभीर समस्या है, तो भी आपको डॉक्टर को इस बारे में जरूर जानकारी देनी चाहिए। अगर बच्चा लंबे समय से किसी प्रकार की दवाइयों का सेवन कर रहा है तो भी आप डॉक्टर को जरूर बताएं।
  • बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन कराना जरूरी होता है। बच्चों को किस उम्र में कौन सा वैक्सीन दिया जाएगा, आपको इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। डॉक्टर आपको एक चार्ट देंगे, जिसमें बच्चे की उम्र के हिसाब से टीके के बारे में जानकारी दी रहती है। आप डॉक्टर से इस बारे में पूछ सकते हैं कि बच्चे को किसी प्रकार की समस्या होने पर या फिर अगर कोई दवा ले रहा है, तो ऐसी सिचुएशन में क्या करना चाहिए। डॉक्टर आपको सही जानकारी देंगे

    इस आर्टिकल में हमने आपको हेक्साक्सिम वैक्सीन (Hexaxim vaccine) के बारे में  बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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