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बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय न करें ये गलतियां, इन बातों का ध्यान रखें

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

    बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय न करें ये गलतियां, इन बातों का ध्यान रखें

    नवजात शिशु को मां का दूध पिलाने के फायदे तो आपको पता ही होंगे। अगर किसी को नहीं पता तो उनकी जानकारी के लिए बता दें कि शिशु को जन्म के छह महीने तक केवल मां का दूध पिलाने की ही सलाह दी जाती है, क्योंकि नवजात शिशु को सारा पोषण मां के दूध से ही मिलता है। बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराने से उसका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर तरीके से होता है। लेकिन कई बार महिलाओं को बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय कुछ जरूरी बातें नहीं पता होती हैं, जिस कारण वो बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय समय कुछ न कुछ गलतियां कर बैठती हैं। खासतौर पर वो महिलाएं, जो पहली बार मां बनी हों। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और क्या गलतियां नहीं करनी चाहिए, इस बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

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    ब्रेस्ट मिल्क फीडिंग से बनता है मां-बच्चे में भावनात्मक रिश्ता

    वाराणसी स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल (BHU) की प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. शालिनी टंडन ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि बच्चे और मां के बीच जो जुड़ाव और लगाव होता है, उसे जन्म के तुरंत बाद ही विकसित किया जाता है। इसलिए हर डॉक्टर जन्म के तुरंत बाद मां का पहला गाढ़ा दूध पिलाने की सलाह देते हैं। इस तरह से मां और बच्चे के बीच भावनात्मक जुड़ाव विकसित होता है। यही जुड़ाव बच्चे को स्वतः सीखने के लिए प्रेरित करता है।

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    बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय इन बातों का जरूर रखें ध्यान

    डॉ. टंडन के मुताबिक मां को स्तनपान कराते समय कई जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, उनमें सबसे अव्वल है ‘सफाई’। इसलिए आप बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय नीचे बताई गई बातों का खास ध्यान जरूर रखें, जैसे :

    • बच्चों में मां से जुड़ने की क्रिया-प्रतिक्रिया जन्म के पहलेसे ही विकसित होती है। इसलिए, बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसे मां के सीने से लगाने को कहा जाता है। इसके साथ ही बच्चे के मुंह को मां के स्तन के उस स्थान पर रखना चाहिए जहां से वो आसानी से स्तनपान करा सकें। बच्चों के अंदर स्तनपान की क्षमता (ability to suckle) जन्मजात से होती है।
    • जन्म के तुरंत बाद ही बच्चे को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाना चाहिए। मां का पहला दूध बच्चे के लिए किसी जीवन घुटी से कम नहीं होता है। बच्चा पहली बार बहुत कम मात्रा में ही दूध पी पाता है। मां को ध्यान रखना चाहिए कि 72 घंटे तक बच्चे को रुक-रुक कर ब्रेस्ट फीडिंग कराते रहना चाहिए। क्योंकि 72 घंटों में निकलने वाला दूध बच्चे के अंदर इम्यून सिस्टम को विकसित करने में मददगार साबित होता है।
    • डॉ. शालिनी के मुताबिक मां द्वारा बच्चे को हर दो घंटे के अंतर पर दूध पिलाते रहना चाहिए। शुरुआत के दिनों में बच्चे के पेट का आकार छोटा होता है, जिससे उसे जल्दी भूख लग जाती है। ऐसे में मां को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को कब दूध की जरूरत है।

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    बेबी को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भूल कर के भी न करें ये गलतियां (Mistakes during breastfeeding)

    बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आपको कई बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस दौरान कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें अनदेखा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से बच्च को या मां को, किसी को भी नुकसान पहुंच सकते हैं। नीचे हम आपको बताने जा रहे हैं बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय भूलकर भी ये गलतियां नहीं करनी चाहिए। नीचे जानिए कौन-सी हैं वो गलतियां :

    • भारत में एक मिथक भी है कि जच्चा-बच्चा को 6 दिनों तक नहीं नहलाना चाहिए। लेकिन, परिजनों को कोशिश करनी चाहिए कि मां को रोज नहलाएं। जिससे स्वच्छता बनी रहती है और जच्चा-बच्चा में किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा नहीं रहता है। अगर नहाना संभव न हो तो मां के स्तनों को गर्म तौलिए से साफ करने के बाद ही बच्चे को दूध पिलाना चाहिए।
    • डॉ. टंडन ने ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली मां को सलाह दी है कि उन्हें दोनों स्तनों से बदल-बदल कर दूध पिलाना चाहिए। ऐसा करने से हर स्तन में पर्याप्त दूध बनता है और मां के स्तनों में होने वाला दर्द भी नहीं होता है।
    • ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान कभी-कभी मां के निप्पल पर दरारें हो जाती है। जो ध्यान न देने पर फोड़े का रूप ले सकती हैं। ऐसे में मां को स्तनपान कराने में तकलीफ होती है और बच्चे में संक्रमण का भी खतरा होता है। इस परिस्थिति में मां को डॉक्टर की सलाह पर मलहम (Ointment) लगाना चाहिए या फिर दवाएं लेनी चाहिए। साथ ही स्तनों की सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
    • छह माह तक बच्चे को मां का ही दूध देते रहना चाहिए। इस दौरान, कई बार बच्चे को लोग पानी पिलाते हैं। ऐसा कतई नहीं करना चाहिए, क्योंकि मां के दूध से ही छह माह तक बच्चे के शरीर में पानी की आपूर्ति होती रहती है।

    इन टिप्स के साथ डॉ. टंडन ने एक अच्छी बात यह बताई कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बेहद कम होता है। साथ ही डिलिवरी के बाद होने वाले रक्तस्राव से भी राहत मिलती है। इस तरह से ब्रेस्ट फीडिंग महिला के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बहुत जरूरी है।

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    अगर आप पहली बार मां बनी हैं तो यकीनन आपको ब्रेस्टफीडिंग कराने से जुड़ी कई सारी बातें नहीं पता होंगी और आप काफी सारी गलतियां भी कर देती होंगी। तो ऐसे में आपसे ये गलतियां न हों और आपको ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी जरूरी बातें जाननी हों, तो ये आर्टिकल आपके काफी काम आ सकता है। उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा और आपको इससे संबंधित जानकारियां मिल गई होंगी। लेकिन अगर फिर भी इससे जुड़ी कोई और जानकारी चाहिए तो हमसे जरूर पूछें। आपको हम डॉक्टर की सलाह लेकर जवाब देने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा अगर आपको हैलो हेल्थ का ये आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें, ताकि उन तक भी ये जानकारी पहुंचे और वो भी बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराते समय ऐसी कोई गलती न करें जो उनके और बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो।

    डिस्क्लेमर

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    Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

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